देहरादून.
उत्तराखंड के अंतरिम पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) अभिनव कुमार ने प्रदेश पुलिस अधिनियम 2007 के प्रावधानों का हवाला देते हुए राज्य सरकार से उत्तर प्रदेश की तरह पुलिस प्रमुख पद पर नियुक्ति प्रक्रिया अपनाने का अनुरोध किया। उत्तराखंड में डीजीपी की नियुक्ति के लिए पारदर्शी और स्वतंत्र प्रक्रिया के वास्ते प्रदेश के गृह सचिव शैलेश बगौली को दिए अपने प्रत्यावेदन में कुमार ने कहा कि वर्तमान में प्रदेश के पुलिस प्रमुख की नियुक्ति को लेकर अपनाई जा रही प्रक्रिया में संघ लोक सेवा आयोग एवं गृह मंत्रालय की निर्णायक भूमिका है जो उनके विचार से ‘संवैधानिक व व्यवहारिक दृष्टिकोण’ से उचित नहीं है ।
भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के 1996 बैच के अधिकारी कुमार ने इस संबंध में पुलिस अधिनियम 2007 के प्रावधानों की ओर ध्यान दिलाया जिसके तहत राज्य सरकार एक समिति का गठन करेगी जो स्क्रीनिंग के बाद योग्य अधिकारियों का एक पैनल तैयार करेगी और इसमें से ही राज्य सरकार डीजीपी की नियुक्ति करेगी। उन्होंने कहा कि इस अधिनियम में यह भी प्रावधान है कि इस पैनल में अधिकारियों की संख्या पुलिस महानिदेशक स्तर के स्वीकृत पदों की संख्या के तीन गुने से अधिक नहीं होगी।
इस परिप्रेक्ष्य में उन्होंने कहा कि हाल में उत्तर प्रदेश में उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के अनुसार डीजीपी की नियुक्ति के लिए नए नियम लागू किए गए हैं ताकि पुलिस बल के प्रमुख की निुयक्ति में संवैधानिक व्यवस्था और शीर्ष अदालत के निर्णय के अनुरूप राज्य सरकार की निर्णायक भूमिका बनी रहे । उन्होंने कहा, “चूंकि पुलिस व्यवस्था भारतीय संविधान की अनुसूची सात की सूची दो के तहत राज्य विषय है । यह महत्वपूर्ण है कि उत्तराखंड सरकार भी ऐसे नियमों को लागू करने पर विचार करे ताकि डीजीपी की नियुक्ति में पारदर्शिता और स्वायत्तता के साथ राज्य सरकार की निर्णायक भमिका भी सुनिश्चित हो सके।” कुमार की डीजीपी के पद पर अंतरिम नियुक्ति पिछले साल 30 नवंबर को की गई थी।