देहरादून
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि अनुच्छेद 370 पर दिए बयान के बाद स्वामी रामदेव ने कहा था कि वे शंकराचार्य नहीं हैं। उन्होंने कहा कि वे स्वामी रामदेव को नोटिस भेजेंगे। क्योंकि उन्होंने आरोप तो लगा दिए, लेकिन सिद्ध नहीं कर पा रहे। उन्होंने आचार्य धीरेंद्र शास्त्री पर भी निशाना साधा और कहा कि वे उनके खिलाफ बेवजह की बयानबाजी ना करें।
ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा कि उत्तराखंड में चारधाम के कपाट भले ही सर्दियों में बंद हो जाते हैं, लेकिन दूसरे स्थानों पर शीतकालीन पूजा जारी रहती है। ऐसे में श्रद्धालु शीतकाल में भी भगवान के दर्शन कर सकते हैं। इसके लिए सरकार को शीतकालीन चारधाम यात्रा शुरू करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हम पिछले साल से यात्रा अपने स्तर पर शुरू कर चुके हैं। इस बार भी 16 दिसंबर से शीतकालीन चारधाम यात्रा शुरू होगी।
देहरादून के वसंत विहार में सोमवार को पत्रकारों से बातचीत में शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि जल्द ही प्रदेश में धार्मिक आस्था के 108 स्थान चिह्नित कर उनकी यात्रा भी शुरू की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग चारधाम यात्रा में सीमित लोगों को आने देने की बात कहते हैं, वे गलत हैं। जितने ज्यादा से ज्यादा लोग यात्रा पर आएंगे, उतना सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार होगा। राज्य के लोगों को भी इसका लाभ मिलेगा।
केदारनाथ में उपचुनाव के सवाल पर उन्होंने कहा कि केदारनाथ मन की शांति के लिए है, न कि चुनावी हार-जीत के लिए। ऐसे में चुनाव से इसे ना जोड़ा जाए। जो गाय को माता का दर्जा दिलाएगा उसे वोट करेंइससे पहले अपने प्रवचन में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि जो गाय को माता का दर्जा दिलाएगा, उसे ही वोट करें। उन्होंने लोगों से चुनाव में जरूर मतदान की भी अपील की। पत्रकारों ने सवाल किया कि प्रदेश के मुख्यमंत्री लव जेहाद और लैंड जेहाद से देवभूमि की छवि खराब होने की बात कह रहे हैं। इस पर शंकराचार्य ने कहा कि कानून व्यवस्था और पुलिस मुख्यमंत्री के हाथ में है। वे ये ना कहें कि लव जेहाद और लैंड जेहाद हो रहा है, अगर हो रहा है तो उसे रोकें।
वीआईपी कल्चर को बताया गलत
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि इस देश में हर जगह वीआईपी कल्चर है। कम से कम भगवान के दर पर तो सभी सनातनी एक बराबर हों। चारधाम में वीआईपी दर्शन की परीपाटी खत्म होनी चाहिए। ये पूरी तरह से गलत है। भगवान के दर्शन सभी का समान अधिकार है।