देश

उत्तराखंड की भाषाई और साहित्यिक धरोहर को वैश्विक मंच पर लाने की तैयारी, अपनी जड़ों से जुड़ेगी भावी पीढ़ी

देहरादून.
उत्तराखण्ड भाषा संस्थान ने राज्य की साहित्यिक और भाषाई विरासत को संरक्षित करने के उद्देश्य से तीन नई शोध परियोजनाओं का शुभारंभ किया है। इन परियोजनाओं को भाषा विभाग के मंत्री सुबोध उनियाल के अनुमोदन के बाद प्रारंभ किया गया है। यह प्रयास राज्य के साहित्य और संस्कृति को नई पीढ़ी तक पहुंचाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।

इस संबंध में भाषा विभाग के मंत्री सुबोध उनियाल ने बताया कि इन परियोजनाओं की मुख्य विशेषताएं हैं। उत्तराखण्ड की उच्च हिमालयी एवं जनजातीय भाषाओं का संरक्षण व अध्ययन किया गया तो पता चला कि उत्तराखण्ड की उच्च हिमालयी क्षेत्रों और जनजातीय समुदायों की विशिष्ट भाषाएं और बोलियां विलुप्ति के कगार पर हैं। इन भाषाओं के संरक्षण के लिए साहित्य, लोकगीत, परंपरा, उत्सव, खानपान और सांस्कृतिक विरासत का व्यापक अध्ययन किया जाएगा। इस पहल के माध्यम से कुमाउंनी, गढ़वाली समेत अन्य बोली-भाषाओं को संरक्षित करने की ठोस योजना बनाई गई है।

उन्होंने बताया कि उत्तराखण्ड के मूर्धन्य साहित्यकार पं. गोविन्द बल्लभ पंत ने हिन्दी साहित्य को अद्वितीय योगदान दिया है। उनकी रचित ऐतिहासिक, पौराणिक और साहित्यिक कृतियों का समग्र संग्रह तैयार करने की योजना बनाई गई है। यह पहल उनके साहित्यिक योगदान को सहेजने और इसे व्यापक पाठक वर्ग तक पहुंचाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। भाषा विभाग मंत्री ने बताया कि राज्य के प्रारंभिक साहित्यकारों की धरोहर को बचाने के लिए यह परियोजना शुरू की जा रही है। इसके अंतर्गत प्रतिष्ठित पत्रिकाओं (जैसे सरस्वती, चांद, माधुरी, धर्मयुग आदि) और देशभर के पुस्तकालयों में संरक्षित दुर्लभ साहित्य को खोजकर उसकी छाया प्रतियां एकत्रित की जाएंगी। इससे उत्तराखण्ड के साहित्यकारों की अप्रकाशित और भूली-बिसरी कृतियों को संरक्षित करने में सहायता मिलेगी।

उत्तराखंड की सांस्कृतिक पहचान को सहेजने की पहल
भाषा संस्थान ने इन परियोजनाओं के लिए शोधकर्ताओं और साहित्यकारों से प्रस्ताव आमंत्रित किए हैं। संस्थान का उद्देश्य उत्तराखण्ड की भाषाई और साहित्यिक धरोहर को संरक्षित करना और इसे वैश्विक मंच तक पहुंचाना है। यह पहल न केवल राज्य की सांस्कृतिक पहचान को सहेजने में सहायक होगी, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को अपनी जड़ों से जोड़ने का माध्यम भी बनेगी।

PRATYUSHAASHAKINAYIKIRAN.COM
Editor : Maya Puranik
Permanent Address : Yadu kirana store ke pass Parshuram nagar professor colony raipur cg
Email : puranikrajesh2008@gmail.com
Mobile : -91-9893051148
Website : pratyushaashakinayikiran.com