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अमेरिका पर रोजाना ₹5,31,94,85,78,490 बढ़ रहा कर्ज, हर आदमी पर कितना बोझ?

नई दिल्ली.
डॉनल्ड ट्रंप के दूसरी बार अमेरिका का राष्ट्रपति बनने से पहले ही देश का कर्ज रेकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। दुनिया की सबसे बड़ी इकॉनमी वाले देश अमेरिका का कर्ज 36 ट्रिलियन डॉलर पहुंच चुका है। इस साल इसमें दो ट्रिलियन डॉलर का इजाफा हुआ है। पिछले 316 दिन में अमेरिका के कर्ज में रोजाना 6.3 अरब डॉलर यानी करीब 5,31,94,85,78,490 रुपये की बढ़ोतरी हुई है। इसका मतलब है कि अमेरिका के हर नागरिक पर 108,000 डॉलर का कर्ज है। जीडीपी के परसेंटेज के रूप में डेफिसिट स्पेंडिंग दूसरे विश्व युद्ध के स्तर पर पहुंच चुका है। कोरोना महामारी शुरू होने के बाद से अमेरिका के कर्ज में करीब 16 ट्रिलियन डॉलर का इजाफा हुआ है। अमेरिका के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ है कि सरकार को इतना कर्ज लेना पड़ा है।

अमेरिका का कर्ज पिछले 24 साल में छह गुना बढ़ा है। साल 2000 में अमेरिका पर 5.7 ट्रिलियन डॉलर का कर्ज था। साल 2010 में यह 12.3 ट्रिलियन डॉलर और 2020 में 23.2 ट्रिलियन डॉलर था। यूएस कांग्रेस के बजट दस्तावेजों के मुताबिक अगले दशक तक देश का कर्ज 54 ट्रिलियन डॉलर पहुंचने का अनुमान है। देश का कर्ज जीडीपी का करीब 125% है। स्थिति यह हो गई है कि अमेरिका को रोज 1.8 अरब डॉलर से ज्यादा ब्याज के भुगतान में खर्च करने पड़ रहे हैं। साफ है कि सरकार की कमाई कम हो रही है और खर्च बढ़ गया है।

क्या होगा असर?
जानकारों का कहना है कि यह देश की इकॉनमी और नेशनल सिक्योरिटी के लिए अच्छी बात नहीं है। माना जा रहा है कि अगले कुछ साल में अमेरिका का डेट-टु-जीडीपी रेश्यो 200% तक पहुंच सकता है। मतलब देश का कर्ज इकॉनमी से दोगुना पहुंच जाएगा। अगर ऐसा हुआ तो कर्ज चुकाते-चुकाते ही अमेरिका की इकॉनमी का दम निकल जाएगा। इससे सरकार को रिसर्च एंड डेवलपमेंट, इन्फ्रास्ट्रक्चर और शिक्षा पर होने वाले कुल खर्च से ज्यादा पैसा ब्याज चुकाने में देना होगा। चिंता की बात यह है कि अमेरिका का कर्ज ऐसे समय बढ़ रहा है जब देश की इकॉनमी अच्छी स्थिति में है। अमूमन जब इकॉनमी में कमजोरी आती है तो सरकार खर्च बढ़ाती है ताकि ग्रोथ को हवा दी जा सके।

बढ़ते कर्ज से देश में एक बार फिर शटडाउन की नौबत आ सकती है। कर्ज को लेकर अक्सर दोनों पक्षों यानी रिपलिकन्स और डेमोक्रेट्स में विवाद रहता है। मगर सच्चाई यह है कि दोनों दलों के कार्यकाल में देश का कर्ज बढ़ा है। देश की क्रेडिट रेटिंग पर भी इसका असर दिखना शुरू हो गया है। पिछले साल अगस्त में फिच ने अमेरिका के सॉवरेन डेट की रेटिंग AA+ से घटाकर AAA कर दी थी। मूडीज ने भी चेतावनी दी थी कि वह अमेरिका की AAA में कटौती कर सकती है। पिछले साल जून में अमेरिका पहली बार डिफॉल्ट की दहलीज पर पहुंच गया था और एक बार फिर यह स्थिति बन रही है।

कैसे घटेगा खर्च?
ट्रंप ने सरकारी खर्चों में कटौती करने और सरकार की कार्यक्षमता बढ़ाने के लिए एक नया विभाग डिपार्टमेंट ऑफ गवर्मेंट एफिशिएंसी बनाने की घोषणा की है। इसकी कमान दुनिया के सबसे बड़े रईस एलन मस्क और विवेक रामास्वामी को दी गई है। मस्क ने ट्रंप के लिए चुनाव प्रचार करते हुए कहा था कि वह सरकारी बजट में अरबों डॉलर की बचत कर सकते हैं। उन्होंने सरकारी खर्च में कटौती की बात कही है। इसमें पब्लिक ब्रॉडकास्टिंग और गर्भपात अधिकार समूहों को दी जाने वाली राशि शामिल है।

 

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