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क्रेडिट कार्ड का भारतीयों को लगा ऐसा चस्‍का, पैसा नहीं फ‍िर भी दबाकर कर रहे शॉप‍िंग

नई दिल्ली

फेस्‍ट‍िव सीजन के दौरान देश में क्रेडिट कार्ड से खर्च 2 लाख करोड़ रुपये के पार पहुंच गया. यह सितंबर महीने की तुलना में 14.5 प्रतिशत ज्‍यादा है. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के ताजा आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर में क्रेडिट कार्ड पर खर्च 2.02 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जो पिछले साल की तुलना में 13 प्रतिशत ज्‍यादा है. केंद्रीय बैंक के आंकड़ों के अनुसार, सिस्टम में बकाया क्रेडिट कार्ड 12.85 प्रतिशत बढ़कर 106.88 मिलियन हो गए, जो सितंबर से 0.74 प्रतिशत ज्‍यादा है.

HDFC बैंक ने सबसे ज्‍यादा क्रेडिट कार्ड जारी क‍िये

एचडीएफसी बैंक 241,119 क्रेडिट कार्ड जारी कर चार्ट में सबसे आगे रहा, उसके बाद एसबीआई कार्ड्स ने 220,265 कार्ड और आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank) ने 138,541 कार्ड जारी किए. इस बीच, आरबीआई के मासिक आंकड़ों के अनुसार, यूपीआई बेस्‍ड डिजिटल पेमेंट उछाल के कारण, डेबिट कार्ड बेस्‍ड लेनदेन अगस्त में करीब 43,350 करोड़ रुपये से करीब 8 प्रतिशत घटकर सितंबर में करीब 39,920 करोड़ रुपये रह गया.

सितंबर में करीब 5 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई
दूसरी तरफ देश में क्रेडिट कार्ड लेनदेन में वृद्धि हुई, जिसमें सितंबर के महीने में लगभग 5 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई, जो अगस्त में 1.68 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 1.76 लाख करोड़ रुपये हो गई. बाजार के जानकारों के अनुसार, क्रेडिट कार्ड खर्च में वृद्धि पिछले साल और फेस्‍ट‍िव सीजन में लोअर बेस के कारण हुई है, क्योंकि फेस्‍ट‍िव सीजन के दौरान समान मासिक किस्तों जैसी प्रमोशनल स्कीम में तेजी आई है.

मार्च 2021 में डिजिटल पेमेंट की हिस्सेदारी 14-19 प्रतिशत से बढ़कर मार्च 2024 में 40-48 प्रतिशत हो गई, जिसमें यूपीआई की अहम भूमिका रही. यूपीआई पेमेंट में 75 प्रतिशत सीएजीआर की शानदार गति से वृद्धि हुई है, जबकि अगस्त 2019-अगस्त 2024 की अवधि में यूपीआई खर्च 68 प्रतिशत सीएजीआर की दर से बढ़ा है, क्योंकि कार्ड इंडस्ट्री की वृद्धि धीमी रही है.

एक्सिस सिक्योरिटीज की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, यूपीआई की बढ़ती लोकप्रियता लेनदेन मात्रा अनुपात से देखी जा सकती है, जो क्रेडिट कार्ड लेनदेन मात्रा का 38.4 गुना है. हालांकि, यूपीआई लेनदेन के कम (मूल्य के) टिकट साइज को देखते हुए, अगस्त में यूपीआई-टू-क्रेडिट कार्ड खर्च 0.3 गुना रहा, जो वर्तमान स्तरों पर काफी हद तक स्थिर है.

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