बिहार में मंत्रिमंडल विस्तार के बाद अब सबकी नजरें राज्यपाल कोटे से विधानपरिषद में मनोनयन की 12 सीटों पर टिकी हुई हैं. राज्य सरकार जल्द ही 12 नामों की एक सूची राज्यपाल को भेजी जा सकती है.
बिहार में मंत्रिमंडल विस्तार के बाद अब सबकी नजरें राज्यपाल कोटे से विधानपरिषद् में मनोनयन की 12 सीटों पर टिकी हुई हैं. सूत्रों के मुताबिक, अगले एक-दो हफ्तों में राज्य सरकार राज्यपाल के पास 12 नामों की एक सूची सिफारिश के तौर पर भेज सकती है. राज्यपाल कोटे की ये सीटें पिछले साल मई से ही खाली हैं.
विधानसभा चुनाव से पहले BJP और JDU के बीच सहमति नहीं बन पाई थी. लिहाजा ये सीटें अब तक खाली हैं. दोनों पार्टियों के बीच 6-6 सीटों को लेकर सहमति बन गई है. नीतीश मंत्रिमंडल विस्तार में शामिल जेडीयू के अशोक चौधरी और बीजेपी के जनक राम अभी तक किसी भी सदन के सदस्य नही हैं. इसीलिए इन दोनों को विधानपरिषद में भेजा जाना तय माना जा रहा है.
बीजेपी कोटे से संभावित चेहरों में जनक राम, राजेंद्र गुप्ता, शिवनारायण महतो, प्रेम रंजन पटेल, प्रमोद चंद्रवंशी, देवेश कुमार, अनिल शर्मा, निवेदिता सिंह और घनश्याम ठाकुर शामिल हैं. वहीं, जेडीयू कोटे से संभावित चेहरों में सत्य प्रकाश सिंह, संजय सिंह, संजय गांधी, रविंद्र सिंह, अशोक चौधरी, ललन सर्राफ़, उमेश कुशवाहा, उपेन्द्र कुशवाहा की पत्नी स्नेहलता, सुमन मल्लिक, अजय आलोक और राजीव रंजन के नामों की चर्चा है.
राज्यपाल कोटे की एमएलसी सीटों पर कला, विज्ञान, साहित्य और समाजसेवा के क्षेत्रों से आने वाले लोगों को मनोनीत किया जाता है. राज्यपाल द्वारा मनोनीत होने वाले एमएलसी सदस्यों के नामों की सिफारिश राज्य सरकार ही करती है. इसके बावजूद यह राज्यपाल पर निर्भर करता है कि वह सरकार की सिफारिश को मानें या उसे लौटा दें. लेकिन, राज्य सरकार की दोबारा भेजी गई सिफारिश को राज्यपाल की मंजूरी मिल जाती है.
हालांकि, राज्यपाल की राज्य सरकार से अपेक्षा होती है कि जिन नामों की सिफारिश राज्य सरकार कर रही है, वे गैरराजनीतिक हों. इसके बावजूद हाल के वर्षों में सत्ता पर काबिज पार्टियां राजनीतिक पृष्ठभूमि के लोगों को ही राज्यपाल कोटे के तहत एमएलसी के लिए मनोनयन की सिफारिश करती हैं.
साल 2014 में बिहार विधानपरिषद में मनोनीत जावेद इकबाल अंसारी, ललन सर्राफ, रामचंद्र भारती, रामलखन रामरमण, रामबचन राय, राणा गंगेश्वर सिंह, रणवीर नंदन, संजय कुमार सिंह, शिवप्रसन्न यादव और विजय कुमार मिश्रा मई में रिटायर हो चुके हैं, जबकि 2019 में लोकसभा के लिए चुने जाने के बाद पशुपति कुमार पारस और राजीव रंजन सिंह ‘ललन सिंह’ की सीटें पहले से ही खाली पड़ी हैं.