मध्यप्रदेश

जबलपुर हाई कोर्ट ने डॉक्टरों की हड़ताल को गैरकानूनी बताने वाले मामले में दी बड़ी राहत

इंदौर
 अब डॉक्टर्स की हड़ताल गैरकानूनी नहीं मानी जाएगी। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने डॉक्टर्स को महत्वपूर्ण राहत प्रदान की है, यह निर्णय चिकित्सा सेवाओं की अनिवार्यता को ध्यान में रखते हुए लिया गया। क्योंकि डॉक्टर्स की हड़ताल से मरीजों की देखभाल पर खतरा आ सकता है, इसलिए हड़ताल पर जाने की छूट नहीं दी जाती थी।

आमतौर पर, यदि डॉक्टर्स किसी आदेश या घटना से आहत होकर हड़ताल पर जाते थे, तो यह हड़ताल गैरकानूनी मानी जाती थी। कई मामलों में सरकार और विभाग ने हड़ताल पर गए डॉक्टर्स के खिलाफ कार्रवाई भी की थी। एक मामले की सुनवाई के दौरान, एमपी हाईकोर्ट ने डॉक्टर्स को राहत दी है।

डॉक्टर्स को हड़ताल से रोकने के कारण
डॉक्टर्स को हड़ताल पर जाने की अनुमति नहीं दी जाती है, क्योंकि इससे मरीजों के इलाज में गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। भारतीय चिकित्सा परिषद (पेशेवर आचरण, शिष्टाचार और नैतिकता) विनियम, 2002 के तहत भी डॉक्टरों को हड़ताल से मना किया गया है। इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट भी कह चुका है कि न्यायाधीश और डॉक्टर हड़ताल पर नहीं जा सकते, क्योंकि उनका काम जीवन और स्वतंत्रता से जुड़े मामलों से संबंधित होता है।

हड़ताल पर जाने से पहले अनुमति की जरूरत
हाई कोर्ट ने डॉक्टरों को हड़ताल पर जाने की छूट दी है, लेकिन इसके लिए उन्हें पहले कोर्ट से अनुमति लेनी होगी। जबलपुर हाईकोर्ट ने सरकारी डॉक्टरों के हड़ताल से संबंधित मामले में स्पष्ट किया कि अगर डॉक्टर सरकार के किसी निर्णय से आहत होते हैं, तो वे हड़ताल कर सकते हैं, बशर्ते कोर्ट को पहले सूचित किया जाए।

इसके साथ ही, कोर्ट ने राज्य सरकार को डॉक्टरों की लंबित मांगों को हल करने के लिए 2 सप्ताह में एक उच्च स्तरीय समिति बनाने का आदेश दिया है।

पूरा मामला
यह मामला 2023 में प्रदेशभर के डॉक्टरों की हड़ताल से जुड़ा था। 3 मई को चिकित्सक महासंघ के आह्वान पर राज्यभर के मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पताल, सीएससी और पीएचसी के डॉक्टर हड़ताल पर गए थे। उन्होंने अपनी कार्यकाल, वेतन और सुविधाओं से संबंधित कई महत्वपूर्ण मांगें राज्य सरकार के सामने रखी थीं, जिनका समाधान न होने पर डॉक्टरों ने हड़ताल और विरोध प्रदर्शन जारी रखा।

हाई कोर्ट ने चिकित्सक महासंघ को एक हफ्ते का समय दिया है, ताकि वे अपनी सभी लंबित मांगों और सुझावों को राज्य सरकार तक पहुंचा सकें। पहले कोर्ट ने इस हड़ताल को गैरकानूनी करार दिया था और भविष्य में किसी भी हड़ताल के लिए कोर्ट से अनुमति अनिवार्य कर दी थी।

1 हफ्ते में मांग-सुझाव सरकार तक प​हुंचाएं

    हाई कोर्ट ने चिकित्सक महासंघ को एक हफ्ते का समय दिया है, ताकि वे अपनी सभी लंबित मांगों और सुझावों को राज्य सरकार तक पहुंचा सकें।

    यह मामला 2023 में प्रदेशभर के चिकित्सकों की हड़ताल से जुड़ा था। तब 3 मई को चिकित्सक महासंघ के आह्वान पर राज्यभर के मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पताल, सीएससी और पीएचसी के डॉक्टर हड़ताल पर चले गए थे।

    चिकित्सक महासंघ ने राज्य सरकार से डॉक्टरों के कार्यकाल, वेतन और सुविधाओं को लेकर कई महत्वपूर्ण मांगें रखी हैं। इन मांगों का समाधान न होने पर डॉक्टर लगातार हड़ताल और विरोध प्रदर्शन कर रहे थे।

    शासकीय-स्वशासी चिकित्सा महासंघ मप्र के मुख्य संयोजन डॉक्टर राकेश मालवीय के मुताबिक पहले हाई कोर्ट ने प्रदेश के डॉक्टरों की हड़ताल को गैरकानूनी करार दिया था। साथ ही भविष्य में किसी भी टोकन स्ट्राइक के लिए कोर्ट की अनुमति लेना अनिवार्य कर दिया था। इसके बाद डॉक्टरों ने अपनी आवाज उठाने के लिए अन्य विकल्प तलाशे।

 

PRATYUSHAASHAKINAYIKIRAN.COM
Editor : Maya Puranik
Permanent Address : Yadu kirana store ke pass Parshuram nagar professor colony raipur cg
Email : puranikrajesh2008@gmail.com
Mobile : -91-9893051148
Website : pratyushaashakinayikiran.com