ज्योतिष

करियर के इन क्षेत्रों में बढ़ाएं रुचि ताकि तरक्की के साथ बरसता रहे धन

हर कोई देवी लक्ष्मी की कृपा चाहता है। बात अगर करियर की करें, तो हर युवा ऐसी नौकरी चाहता है, जिसमें खूब धन भी बरसे और लगातार तरक्की भी मिलती रहे। अगर आप भी चाहते हैं कि लक्ष्मी आप पर मेहरबान रहें, तो अपनी रुचि करियर के उन क्षेत्रों में बढ़ाएं, जिनमें आज और आने वाले दिनों में भी लगातार आकर्षक सैलरी मिलने की पूरी उम्मीद होती है।

डाटा साइंटिस्ट: इंटरनेट के इस दौर में बढ़ते ऑनलाइन डाटा कलेक्शन को देखते हुए आजकल देश में डेटा साइंटिस्ट की काफी डिमांड है। आकड़ों के अनुसार, पिछले एक साल में इस पेशे की डिमांड करीब 40 फीसदी तक बढ़ी है। इस फील्ड में कमाई की भी बेहतर संभावनाएं हैं। हाल में आए एक सर्वे की मानें, तो अनुभवी डाटा साइंटिस्ट की टॉप सालाना सैलरी आजकल 60 लाख से 70 लाख रुपये तक है। इन्हें किसी भी आइटी प्रोग्रामर्स के मुकाबले दो से तीन गुना ज्यादा सैलरी मिल रही है। इस हाईपे पैकेज के कारण ही यह फील्ड आज के टॉप 10 करियर में शुमार किया जाता है। दरअसल, डाटा साइंटिस्ट आइओटी, डिवाइसेज, सेंसर्स, सर्वर्स तथा बायोमेट्रिक मॉनीटर्स आदि के जरिए एकत्रित होने वाले डाटा को मेंटेन रखने तथा उसकी एनालिसिस करके महत्वपूर्ण जानकारियां निकालने में काफी कुशल होते हैं। यही वजह है कि तकरीबन सभी बड़ी कंपनियों को आज इनकी जरूरत है। इनकी मदद से बिजनेस कंपनियां पूर्वानुमान लगाकर अपनी सेल्स और मार्केटिंग रणनीति को और मजबूत कर सकती हैं और फायदे कमा सकती हैं।

कोर्स एवं योग्यता: अगर आप ग्रेजुएट्स हैं या फिर बीई/बीटेक बैकग्राउंड के हैं, तो डाटा सांइस में पीजी डिप्लोमा कोर्स करके इस फील्ड में एंट्री पा सकते हैं। भारत में आइआइटी खड़गपुर, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बेंगलुरु और आइआइएम में डाटा साइंस से संबंधित कोर्स ऑफर किए जाते हैं। इनके अलावा, कई निजी संस्थानों में भी आजकल डाटा सांइस में अंडरग्रेजुएट इंटीग्रेटेड कोर्स ऑफर किए जा रहे हैं, जिसे 12वीं के बाद कर सकते हैं। यदि आप जॉब करते हुए अपनी स्किल बढ़ाकर इस फील्ड में आना चाहते हैं, तो जिगसॉ, एनालिटिक्सलैब जैसे कुछ इंस्टीट्यूट ऑनलाइन माध्यम से भी बिग डाटा एनालिटिक्स में शॉर्ट टर्म कोर्स कराते हैं, जिसे युवाओं द्वारा काफी पसंद भी किया जा रहा है।

एआइ/एमएल एक्सपर्ट: कंपनियों में ऑटोमेशन पर जोर दिए जाने से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) और मशीन लर्निंग (एमएल) एक्सपर्ट की मांग भी लगातार बढ़ रही है। डाटा साइंटिस्ट की तरह ही यह फील्ड भी एक हाईपेइंग जॉब है। सैलरी डॉट कॉम के अनुसार, तीन से पांच साल के अनुभवी लोगों को इस फील्ड में 40 से 50 लाख रुपये तक सालाना पैकेज मिल रहा है। माना जा रहा है कि आने वाले दौर में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग की मांग और तेजी से बढ़ेगी, क्योंकि इस तकनीक के फायदे देखते हुए हर जगह इसके उपयोग की संभावनाएं देखी जा रही हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एक कंप्यूटर बेस्ड सिस्टम है और एमएल इसी का एक सॉफ्टवेयर है, जो उन सभी कार्यों को भी करने में सक्षम होता है जिसे सिर्फ इंसान ही कर सकते हैं। एआइ के इस्तेमाल की बात करें, तो अभी गूगल, फेसबुक, ट्विटर, अमेजन जैसी बड़ी सर्च इंजन, सोशल मीडिया और ई-कॉमर्स कंपनियों में एआइ तकनीक का सबसे अधिक उपयोग हो रहा है। इसके अलावा, रोबोटिक्स और डाटा माइनिंग के फील्ड में भी ऐसे प्रोफेशनल्स की काफी मांग देखी जा रही है।

कोर्स एवं योग्यताएं: जो युवा इंजीनियरिंग, सॉफ्टवेयर, आइटी, डाटा साइंस या फिर मैथ्स बैकग्राउंड के हैं, उनके लिए यह सबसे अधिक उपयुक्त कोर्स है। हाल में इंडस्ट्री की जरूरतों को देखते हुए इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, हैदराबाद ने पहली बार एआइ/एमल में बीटेक डिग्री प्रोग्राम शुरू किया है। आइआइटी बांबे में भी एमएल में पीजी डिप्लोमा तथा मास्टर्स प्रोग्राम कराए जा रहे हैं। इसके अलावा, माइक्रोसॉफ्ट इंडिया, आइबीएम जैसी कुछ टॉप आइटी कंपनियां भी इसकी ट्रेनिंग उपलब्ध करा रही हैं।

ब्लॉकचेन डेवलपर: नई तकनीक के रूप में ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी की भी चर्चा आजकल खूब है। आने वाले समय में सरकारी प्रतिष्ठानों से लेकर प्राइवेट कंपनियों तक हर जगह ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी की समझ रखने वाले ब्लॉकचेन एनालिस्ट/ब्लॉकचेन डेवलपर की भारी जरूरत होगी। यह जॉब भी नए जमाने की टॉप 10 नौकरियों में शुमार है, जिसमें प्रोफेशनल्स को 45 से 50 लाख रुपये तक का पैकेज मिल रहा है। विशेषज्ञों की मानें, तो क्रिप्टोकरेंसी के अलावा जल्द ही इस तकनीक का प्रभाव इंटरनेट कनेक्टिविटी तथा डाटा सिक्युरिटी जैसे क्षेत्रों में भी देखने को मिलेगा।

कोर्स एवं योग्यता: ब्लॉकचेन तकनीक की मांग को देखते हुए भारत के कई आइआइटी संस्थानों के इंजीनियरिंग प्रोग्राम में अलग से एक माड्यूल के तौर पर इस विषय को जोड़ा जा रहा है ताकि छात्रों को इसकी जानकारी दी सके। इसके अलावा, आइबीएम, टैलेंट स्प्रिंट जैसे कुछ संस्थानों में यह कोर्स कराया जा रहा है। कोर्सेरा उडेमी जैसे पोर्टल्स के द्वारा भी इसके लिए शॉर्टटर्म कोर्स चलाए जा रहे हैं, जहां से आप इसे ऑनलाइन भी कर सकते हैं। यह कोर्स एक माह से लेकर तीन और छह माह की अवधि का है, जिसे कोई भी युवा कर सकता है। लेकिन जो लोग इंजीनियरिंग या प्रोग्रामिंग बैकग्राउंड के हैं, कोडिंग/जावा जानते हैं या फिर सॉफ्टवेयर डेवलपिंग, बैंकिंग/फाइनेंशियल सेक्टर में हैं, उनके लिए यह कोर्स ज्यादा उपयुक्त है।

सॉफ्टवेयर डेवलपर: वेबसाइट्स और एप्स के बढ़ते बाजार की वजह से दुनियाभर में सॉफ्टवेयर डेवलपर की मांग लगातार बढ़ रही है। सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री में डेवलपर की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है, जहां ये प्रोफेशनल एप्लिकेशन की डिजाइनिंग, डेवलपमेंट एक्टिविटी, लैंग्वेज की प्रोग्रामिंग, असेंबलिंग और टूल्स डेवलपमेंट जैसी तमाम चीजों को डेवलप करने का काम करते हैं। साथ ही पुराने हो चुके सॉफ्टवेयर एप्लिकेशंस में नए फंक्शन, स्पेसिफिकेशन, खामी व स्पीड पर काम करके उसे अपडेट रखने का काम भी इन्हीं का होता है। जो स्टूडेंट्स सॉफ्टवेयर प्रोग्रामिंग या डेवलपमेंट के क्षेत्र में काम करने की इच्छा रखते हैं, वे प्रोग्रामिंग, कंप्यूटर साइंस या सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग का कोर्स कर सकते हैं। इसके लिए साइंस स्ट्रीम के साथ ग्रेजुएट होना जरूरी है। एंट्री लेवल डेवलपर्स को शुरुआत में 4 से 6 लाख रुपये तक पैकेज मिलता है, जो अनुभव बढ़ने पर 25 से 30 लाख रुपये तक हो सकता है।

प्रोडक्ट मैनेजर: मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों तथा बड़े-बड़े प्रतिष्ठानों में प्रोडक्ट मैनेजमेंट एक लुके्रटिव पद माना जाता है। ये प्रोफेशनल्स अपनी कंपनी के लिए स्ट्रेट्रेजी बनाने से लेकर मार्केटिंग, प्रोडक्ट क्वालिटी आदि का काम देखते हैं। इस फील्ड में एंट्री पाने के लिए आपके पास मैनेजमेंट समेत कोई अन्य प्रोफेशनल डिग्री तथा संबंधित एरिया में स्पेशलाइजेशन होना चाहिए। प्रोडक्ट मैनेजर्स को औसत सालाना सैलरी 15 लाख रुपये तक मिलती है, जबकि अनुभवी प्रोफेशनल्स 25 से 26 लाख रुपये तक का पैकेज पा रहे हैं।

सोशल मीडिया मैनेजर: सोशल मीडिया के लगातार बढ़ते इस्तेमाल की वजह से इन दिनों कई क्षेत्रों में सोशल मीडिया मैनेजर्स की डिमांड बढ़ रही है। स्मार्टफोन और इंटरनेट उपभोक्ताओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए सोशल मीडिया साइट्स (फेसबुक, इंस्टाग्राम, ट्विटर एवं वाट्सएप आदि) पर ऑनलाइन मार्केटिंग में विशेषज्ञता रखने वाले प्रोफेशनल्स के लिए इस फील्ड में काम करने के काफी अच्छे मौके हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, ये लोग 30 से 35 लाख रुपये सालाना तक पैकेज पा रहे हैं। ग्रेजुएशन के बाद यह कोर्स ऑनलाइन या फिर ऑफलाइन किया जा सकता है।

जीएसटी से और निखरा सीए: सीए से हर कोई भली-भांति परिचित है। गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) लागू होने के बाद से इस फील्ड में कमाई और संभावनाएं, दोनों तेजी से बढ़ी हैं। कंप्यूटर और अपडेटेड एकाउंटिंग सॉफ्टवेयर्स आ जाने से अब यह काम बहुत एडवांस भी हो गया है। यदि आप व्यापार करते हैं या उद्योग चलाते हैं तो हर समय आपको सीए (चार्टर्ड एकाउंटेंट) की जरूरत पड़ती है। सीए यानी चार्टर्ड एकाउंटेंट बनने के लिए इससे संबंधित कोर्स करना होता है, जिसका संचालन इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट ऑफ इंडिया (आइसीएआइ) द्वारा किया जाता है। चार्टर्ड एकाउंटेंसी कोर्स में प्रवेश पाने के दो तरीके हैं, एक तो आप इंटरमीडिएट के बाद फाउंडेशन परीक्षा पास करके सीए में प्रवेश ले सकते हैं या फिर ग्रेजुएशन के बाद डायरेक्ट एंट्री ले सकते हैं। कॉमर्स स्ट्रीम से 12वीं पास युवा यह कोर्स कर सकते हैं।

 

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