भाजपा विधायक वासुदेव देवनानी को सोमवार को सदन से एक दिन निलंबित करने के बाद पैदा हुआ गतिरोध बुधवार को खत्म हो गया। भाजपा विधायकों ने सदन का बहिष्कार खत्म कर कार्यवाही में हिस्सा लेना शुरू कर दिया है। भाजपा विधायक दल की बैठक में रणनीति तय कर सदन की कार्यवाही में हिस्सा लेने का फैसला किया। इसके बाद नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया, उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने स्पीकर सीपी जोशी से मुलाकात कर गतिरोध खत्म करने पर चर्चा की। 11 बजे सदन की कार्यवाही शुरू होने के बाद उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने वासुदेव देवनानी के व्यवहार पर स्पीकर से माफी मांगी।
सदन की कार्यवाही शुरू होते ही राजेंद्र राठौड़ ने कहा- देवनानी गुस्से में वेल में आए। यह उचित नहीं था। आप ही हमारे संरक्षण करने वाले हैं। राठौड़ ने स्पीकर से कहा- गुस्सा छोड़ो, कहा तो मानो, थोड़ी नजरें इधर भी इनायत करो। अध्यक्ष ही हमारा संरक्षण नहीं करेंगे तो हम कहां जाएंगे। संसदीय कार्य मंत्री भी अपना आचरण ठीक करें। सदन चलाने की जिम्मेदारी उनकी होती है लेकिन वे ही उकसाने का काम करते हैं।
स्पीकर ने कहा कि देवनानी का व्यवहार गलत था। अध्यक्ष के खड़े होने के बावजूद विधायक बोल रहे हैं। इससे गलत पंरपरा चली जाएगी। आप जैसे पार्लियामेंटेरियन को उसी वक्त खड़े होकर अपने विधायक का विरोध करना चाहिए था। इस पर राठौड़ ने कहा- आसन आहत हुआ है तो हम क्षमायाचना करते हैं। हम सदन चलाना चाहते हैं। इसके बाद गतिरोध खत्म हो गया।
इससे पहले सोमवार को भाजपा विधायक वासुदेव देवनानी ने एबीवीपी छात्रों पर हुए हमले के मामले में स्थगन प्रस्ताव पर बोलने की अनुमति मांगी थी। लेकिन अनुमति नहीं मिलने पर देवनानी स्पीकर जोशी से उलझ गए। स्पीकर से उलझने के बाद देवनानी को सोमवार को पूरे दिन सदन से निलंबित कर दिया। इससे नाराज भाजपा विधायकों ने सदन की कार्यवाही का बहिष्कार कर दिया था।
कांग्रेस विधायक भरत सिंह ने अपनी ही सरकार को सदन में घेरा
प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस विधायक भरत सिंह ने सदन में अपनी ही सरकार को घेरा। उन्होंने तल्ख अंदाज में पूछा- भ्रष्ट ट्रैक रिकॉर्ड वाले अफसरों को कलेक्टर-एसपी बनाने के पीछे सरकार की आखिर क्या मजबूरी है? कोरोना काल में अपराधों में कमी आई लेकिन भ्रष्टाचार के मामलों में कमी नहीं आई। भरत सिंह भ्रष्टाचार पर सरकार को घेरना चाहते थे लेकिन स्पीकर ने सवाल से आगे जाकर बहस करने की मंजूरी नहीं दी। भरत सिंह ने भ्रष्टाचार के आरोप में बर्खास्त पुलिस इंस्पेक्टर को फिर से बहाल करने पर सवाल लगाया था। इसके जवाब में संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने बताया कि पुलिस इंस्पेक्टर को जनवरी 2020 में बर्खास्त किया था। उसने इसके खिलाफ रैट में अपील की है। सरकार ने उसे सेवा में वापस नहीं लिया।
विधानसभा में गूंजा निजी स्कूलों के फीस वसूली में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के उल्लंघन का मुद्दा
भाजपा विधायक कालीचरण सर्राफ ने कहा- कोराना के कारण निजी स्कूलों में पढ़ाई नहीं हो पाई। ऑनलाइन पढ़ाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की गई। कोराना में लोगों की आय प्रभावित हुई है। इस वजह से फीस नहीं भर पाए। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि 6 किश्तों में फीस वसूली जा सकती हैं। फीस भरने में असमर्थ अभिभावकों को राहत देने का आदेश है। फीस नहीं दे सकने वालों को पढ़ाई और परीक्षा से वंचित नहीं जाने का भी उल्लेख है। निजी स्कूल सुप्रीम कोर्ट की मनमानी व्याख्या करके अभिभावकों को परेशान कर रहे हैं। सरकार अभिभावकों को राहत दे। जरूरत पड़ने पर कानून लाए।