इंदौर-महू के बीच की दूरी 25 किलोमीटर है. यात्रियों को इसके लिए पहले 10 रुपये का टिकट लेना पड़ता था, जिसे बढ़ाकर 36 रुपये कर दिया गया है.
मध्य प्रदेश के प्रमुख वाणिज्यिक इंदौर में कोरोना (Coronavirus Pandemic) महामारी के करीब 11 महीने बाद पटरी पर आई लोकल पैसेंजर ट्रेनों का सफर बस से भी ज्यादा महंगा हो गया है. पहले ट्रेन का न्यूनतम किराया 10 रुपये था, जिसे बढ़ाकर 25 से 30 रुपये तक कर दिया गया है. उस पर ऑनलाइन टिकट खरीदने पर 10 से 15 रुपए टैक्स के तौर पर अतिरिक्त लग रहा है. इससे डेली आने और जाने वालों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इंदौर-महू के बीच बड़ी संख्या में लोग ट्रेन से 10 रुपये के किराये में यात्रा करते थे. अब इसे बढ़ाकर 36 रुपये कर दिया गया है, जबकि बस का किराया 20 रुपए है.
कोरोना संकट के बाद ट्रेनों के पहिए अब रफ्तार पकड़ रहे हैं. रेलवे ने पहले स्पेशल ट्रेनों की शुरुआत की और अब उसके बाद कम दूरी की लोकल और पैसेंजर ट्रेनों की सेवाएं भी शुरू कर दी गयी हैं. लोकल ट्रेनों की गति के साथ किराये ने भी रफ्तार पकड़ ली है. भारतीय रेलवे ने लोगों को राहत देने की बजाय उनकी जेब पर भार डाल दिया है. कोरोना महामारी के बाद पटरी पर लौटी लोकल पैसेंजर ट्रेनों से लोगों को आस थी कि उनका सफर आसान हो जाएगा. वे कम किराये में अपने गंतव्य तक पहुंच जाएंगे. साथ ही बसों में बढ़ रही भीड़ से भी निजात मिल जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
GM से शिकायत
इंदौर-महू के बीच लोकल ट्रेन का का किराया 10 रुपए था, लेकिन अब यह टिकट 36 रुपए में मिल रहा है जो बस से काफी महंगा है. इसकी शिकायत पश्चिम रेलवे के जीएम से की गई है और तत्काल किराया कम करने की मांग की गई है. इंदौर-महू के बीच सबसे ज्यादा कॉलेज के छात्र-छात्राएं सफर करते हैं. इसके बाद नौकरी और व्यवसाय करने वाले अपडाउन करते हैं. लेकिन, ज्यादा किराया होने से इसका असर उनकी आर्थिक स्थिति पर पड़ रहा है.
रेलवे ने बतायी वजह
इंदौर-महू के बीच की दूरी 25 किलोमीटर है. इतनी कम दूरी का ज्यादा किराया लेने के पीछे रेलवे अपने तर्क दे रहा है. पश्चिम रेलवे के सीनियर पीआरओ जितेन्द्र कुमार जयंत का कहना है कोविड के कारण सभी ट्रेनों को स्पेशल ट्रेन के रूप में ही चलाया जा रहा है. सिर्फ रिजर्वेशन वाले यात्री ही सफर कर पाएंगे. इसीलिए लोकल ट्रेनों में भी रिजर्वेशन किया जा रहा है. यही वजह कि इंदौर-महू के बीच 10 रुपये ट्रेन किराया है. उसमें 15 रुपये रिजर्वेशन चार्ज है और आईआरसीटीसी का चार्ज 11 रुपये है. इस तरह ये टिकट 36 रुपए का पड़ रहा है.
कम नहीं हो सकता किराया
रेलवे के जीएम आलोक कंसल के मुताबिक, कोविड-19 संकट के कारण यात्री ट्रेनों के परिचालन में कटौती और इनमें क्षमता से कम लोगों के सफर करने के कारण पश्चिम रेलवे को करीब 5,000 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान झेलना पड़ा है. अभी भी पश्चिम रेलवे की जो यात्री ट्रेनें चल रही हैं, उनमें से कुछ ट्रेनों में तो कुल सीट क्षमता के केवल 10 प्रतिशत लोग ही सफर कर रहे हैं. इसलिए रेलवे को भारी घाटा हो रहा है. इसकी भरपाई करना मुश्किल है. ऊपर से लोग कम किराये की मांग कर रहे हैं जो संभव नहीं है.