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यूरोपा पर एवरेस्ट की ऊंचाई से 4 गुना मोटी बर्फ, जीवन की खोज हुई मुश्किल

न्यूयॉर्क

दुनिया भर के एस्ट्रोबायोलॉजिस्ट ये सोच रहे थे कि बृहस्पति के बर्फीले चांद यूरोपा की मोटी बर्फीली परत के नीचे जीवन होगा. क्योंकि इसके नीचे नमकीन पानी का समंदर है. जीवन की संभावना हो सकती है. लेकिन हाल ही में हुए खुलासे में उनकी ये धारणा बदल गई है. क्योंकि यहां पर इतनी मोटी बर्फ है, जो उम्मीद से बहुत ज्यादा है.
      
यूरोपा की सतह पर बर्फ की जो परत है, वो 35 km गहरी है. ये जांच नासा के स्पेसक्राफ्ट जूनो ने की. वह 2016 से लगातार बृहस्पति और उसके चंद्रमाओं के चक्कर लगा रहा है. उसने माइक्रोवेव रेडियोमीटर (MWR) के जरिए सतह की मोटाई नापने की कोशिश की. पता चला 35 किलोमीटर गहरी तो सिर्फ बर्फ की परत ही है.
     
जूनो के प्रोजेक्ट साइंटिस्ट स्टीवन लेविन ने कहा कि ये औसत मोटाई है. कहीं कहीं ये इससे कई गुना ज्यादा है. ये ऊंचाई चार माउंट एवरेस्ट की ऊंचाई जितनी है. इंसानों ने धरती पर सबसे गहरी जो ड्रिलिंग की है, उससे तीन गुना ज्यादा गहरी बर्फ है. ये हम सभी वैज्ञानिकों की उम्मीद से बहुत ज्यादा है और हैरान करने वाला है.

पर्ड्यू यूनिवर्सिटी के प्लैनेटरी साइंटिस्ट ब्रैंडन जॉन्सन कहते हैं कि अगर ये आंकड़ें सही हैं तो ये हैरान करने वाले हैं. हमारी धरती पर मौजूद कई चीजों से कई गुना ज्यादा बड़ी, गहरी और ऊंची है यूरोपा की बर्फ की परत. ये 35 km मोटी परत भी कई लेयर्स में बंटी है. पहली 7 km वाली सख्त लेयर. दूसरी 13 km वाली मोबाइल लेयर.
       
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा NASA ने यूरोपा पर अंतरिक्ष के कचरों के टकराने से बने गड्ढे देखे हैं. यहां पर कई स्थानों पर प्राचीन गड्ढे, घाटियां, दरारें आदि हैं. यूरोपा पर इन सब चीजों के साथ काफी तीव्र रेडिएशन भी है. लेकिन इसकी ऊपरी ऊबड़-खाबड़ बर्फीली सतह के बीच कुछ गहरे रंग की आकृतियां भी दिखाई दीं है.

यूरोपा पर कई छोटे-छोटे इम्पैक्ट क्रेटर हैं. वैज्ञानिकों को लगता था कि मोटी परत के नीचे से जो पानी निकलता है उससे जीवन के बाहर आने की भी संभावना है. पानी के बाहर आने का सिस्टम इम्पैक्ट गार्डेनिंग नाम की एक प्रक्रिया की वजह से बाधित हो रही है. यूरोपा की सतह पर करोड़ों छोटे गड्ढे हैं, जो करीब 12 इंच गहरे हैं.

इन छोटे गड्ढों पर अगर किसी भी तरह के केमिकल बायोसिग्नेचर मिलते हैं तो इसका मतलब ये है कि यहां पर जीवन की उत्पत्ति के रासायनिक सबूत मिल रहे हैं. ये गहराई में जीवन को पैदा कर सकते हैं. अभी की स्थिति ऐसी है कि रेडिएशन की वजह से चीजें टूट जाती हैं.जीवन की उत्पत्ति के लिए जरूरी कणों का विभाजन हो जा रहा है.

अंतरिक्ष से आकर यूरोपा से टकराने वाली चीजों में भी जीवन के होने की उम्मीद रहती है. लेकिन इस समय यूरोपा पर चल रहे विनाशकारी रेडिएशन की वजह से केमिकल बायोसिग्नेचर जीवन के रूप में पनप नहीं पा रहे हैं. भविष्य में जैसे-जैसे रेडिएशन कम होगा, वैसे ही जीवन की उत्पत्ति की संभावना बढ़ जाएगी.

नासा के जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी की यूरोपा साइंटिस्ट सिंथिया फिलिप्स ने कहा कि हम लगातार अपनी स्टडी को और गहन कर रहे हैं. हम सौर मंडल की वजह से यूरोपा पर पड़ने वाले सभी प्रभावों का अध्ययन कर रहे हैं. अगर हमें किसी ग्रह की उत्पत्ति और उसपर जीवन के संकेतों का अध्ययन करना है.

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