बैंकों और ग्राहकों की मुख्य समस्याएं एक ही जैसी हैं। इन दोनों की मुख्य चिंता साइबर सुरक्षा, डेटा प्रोटेक्शन और डेटा शेयरिंग है। यह जानकारी डेलॉय की एक रिपोर्ट में दी गई है।
400 लोगों को सर्वे में शामिल किया गया
ओपन बैंकिंग नाम की इस रिपोर्ट के मुताबिक, सर्वे में लगभग 70% लोगों ने कहा कि डेटा प्रोटेक्शन की दिशा में अधिक जोर दिया जाना चाहिए। डेलॉय ने कहा कि रिपोर्ट में काफी रिसर्च किया गया है। इस सर्वे में 400 लोगों को शामिल किया गया था।
लेन-देन के डिटेल्स साझा करने में दिक्कत महसूस होती है
रिपोर्ट में कहा गया है कि 80% से अधिक लोग अकाउंट्स के लेन-देन के इतिहास को साझा करने में असहज महसूस करते हैं। यह इस बात को दर्शाता है कि सभी वित्तीय संस्थानों (एफआईएस) को ग्राहकों को विश्वास दिलाना चाहिए कि उनका डेटा सुरक्षित है। यह देखते हुए कि न केवल बैंक, बल्कि ग्राहक भी डेटा साझा करने में सावधानी बरतते हैं। इसमें कहा गया है कि साइबर सुरक्षा और डेटा प्रोटेक्शन सभी उम्र के लोगों में सबसे बड़े चिंता के विषय हैं। इसके बाद डेटा के थर्ड पार्टी एक्सेस की चिंता की बारी आती है।
दुनिया में सभी देश ग्राहकों को मजबूत बना रहे हैं
विश्व के सभी देश अपने ग्राहकों को अपनी पसंद के संस्थानों तक पहुंचने के लिए उन्हें मजबूत बना रहे हैं। वित्तीय संस्थानों ने यह भी महसूस किया है कि वे अब संरक्षक (custodians) हैं न कि डेटा के मालिक हैं। ग्राहकों की मंजूरी मिलने के बाद वैकल्पिक रेवेन्यू सोर्स में जाने की कोशिश कर रहे हैं। डेलॉय इंडिया के पार्टनर संदीप सोनपटकी ने कहा कि महामारी की शुरुआत से भारत में डिजिटल आधारित बैंकिंग का शानदार आगाज हुआ है। इसमें अधिकांश सैलरी वाले लोग हैं जो डिजिटल बैंकिंग में असुरक्षा महसूस करते हैं।
डेटा प्रोटेक्शन पर जोर देना चाहिए
उन्होंने कहा कि हालांकि हमारे सर्वेक्षण में 69.3 % लोगों ने महसूस किया कि संस्थानों द्वारा डेटा प्रोटेक्शन पर अधिक जोर दिया जाना चाहिए। इनको एपीआई सक्षम वाले उत्पादों और सेवाओं को लाना चाहिए। रिपोर्ट के अनुसार, डेटा तक एक्सेस बनाकर लीड जनरेशन, क्रॉस-सेलिंग प्रोडक्ट्स और रिस्क असेसमेंट का फायदा उठाया जा सकता है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि कुल मिलाकर लब्बोलुआब यह है कि ग्राहकों को उनकी जानकारी साझा करने और एक डेटा संचालित नजरिये के माध्यम से उनकी सर्विसिंग पर नियंत्रण प्रदान करना है। रिपोर्ट कहती है कि पेपरलेस व्यवस्था, वेरीफिकेशन और क्रेडिट रिस्क अससेमेंट के माध्यम से दूर दराज के लोकेशन पर ग्राहकों की संख्या बढ़ाने की गुंजाइश भी बैंकों को देखनी चाहिए।