नंदीग्राम में इन दिनों इस बात की चर्चानंदीग्राम में इन दिनों इस बात की चर्चा है कि ये लड़ाई स्थानीय और बाहरी नेता की है. जो आरोप ममता बनर्जी पहले बीजेपी पर लगा रही थी. वहीं आरोप अब बीजेपी वाले लगा रहे हैं. ऐसे में ये मुक़ाबला बेहद दिलचप्स हो गया है. है कि ये लड़ाई स्थानीय और बाहरी नेता की है. जो आरोप ममता बनर्जी पहले बीजेपी पर लगा रही थी. वहीं आरोप अब बीजेपी वाले लगा रहे हैं. ऐसे में ये मुक़ाबला बेहद दिलचप्स हो गया है.
नंदीग्राम के टेंगिया मोड़ पर हमलोग खड़े थे. तभी कुछ स्थानीय लोगों ने बताया कि वो इस बात से बेहद खुश हैं कि ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) यहां से चुनाव लड़ रही हैं. इसकी वजह ये है कि यहां अब रोड बन गया है जिसके चलते ये लोग बड़े आराम से अपने दुकान जा सकेंगे. कुछ दिनों पहले तक ये रोड नहीं था. यहां मौजूद लोगों ने कहा कि ये रोड दीदी के कहने पर ही इतनी जल्दी बनाया गया होगा. इसी रोड से पिछले दिनों बुधवार को शुवेंदु अधिकारी (Suvendu Adhikari) यहां बीजेपी के एक ऑफिस का उद्घाटन करने के लिए पहुंचे थे. एक रैली को संबोधित करते हुए शुवेंदु अधिकारी ने कहा कि वो नंदीग्राम के पुत्र हैं, जबकि ममता चुनाव लड़ने के लिए वहां बाहर से आई हैं. उन्होंने यहां एक वीडियो भी लोगों को दिखाया जहां ममता चंडीपाठ का जाप कर रही थीं. शुवेंदु ने दावा किया कि ममता ने यहां मंत्र का गलत उच्चारण किया था.
कुछ युवा शुवेंदु अधिकारी अधकारी के आने का इंतजार कर रहे थे. उनमें से एक, प्रतिन मल्लिक ने कहा, ‘उसने (ममता) हमारे लिए कुछ नहीं किया है. मैं केवल 3,000 रुपये कमाता हूं जो मेरे लिए घर चलाने के लिए काफी नहीं है. शुवेंदु के आने से हमें उम्मीद जगी है. अब जब वे भाजपा में शामिल हो गए हैं, तो वो हमारे लिए काम जरूर करेंगे. मुझे पीएम पर भरोसा है और यही वजह है कि ममता यहां से हार जाएंगी’. वहां मौजूद उनके एक और दोस्त राजन बसाक ने कहा, ‘मैं जानना चाहता हूं कि जब वह नमाज पढ़ने के लिए तुरंत मस्जिद गई तो उसने हिंदू होने का नाटक क्यों किया.’
वोटों का ध्रुवीकरण?
ऐसा लग रहा है कि नंदीग्राम में वोटों का ध्रुवीकरण हो रहा है. यहां कई ऐसे वीडियो वायरल हैं जहां देखा जा सकता है कि ममता बनर्जी नमाज अदा कर रही हैं. हालांकि ये वीडियो फेक हैं या असली इसको लेकर फिलहाल कुछ भी नहीं कहा जा सकता है. लेकिन नंदीग्राम में भाजपा कार्यकर्ताओं के लिए ये पर्याप्त सबूत है कि ममता खुद को हिंदू के रूप में पेश करने की कोशिश करते हुए मुसलमानों को खुश कर रही है. तृणमूल कांग्रेस समर्थक मालती बसक ने कहा, ‘ये बकवास है. मैं उसके साथ थी. वह वहां कभी नहीं गई. मैं एक हिंदू हूं और उसने मेरी देखभाल की है. भाजपा उनके बारे में यह कैसे कह सकती है? ‘
स्थानीय Vs बाहरी नेता
नंदीग्राम में इन दिनों इस बात की चर्चा है कि ये लड़ाई स्थानीय और बहारी नेता की है. जो आरोप ममता बनर्जी पहले बीजेपी पर लगा रही थी. वहीं आरोप अब बीजेपी वाले लगा रहे हैं. बीजेपी के समर्थकों का कहना है कि ममता एक बाहरी व्यक्ति हैं और संकट में नंदीग्राम में आने वाली एक ‘मौसमी नेता’ हैं जो कभी कभार दिखती हैं.
शुवेंदु अधिकारी Vs ममता
सोनाचूरा के जिस इलाके से शुवेंदु अधिकारी का काफिला गुजर रहा था वहां बड़ी संख्या में हिंदू रहते हैं. यहां लोगों की अलग-अलग राय है. 76 वर्षीय देबू दास, जो 2007 में तृणमूल की अगुवाई में भूमि अधिग्रहण विरोधी आंदोलन में शामिल थे और पुलिस की गोलीबारी में आहत हुए थे, उन्होंने कहा, ‘मैं ममता को एक बाहरी नेता के रूप में कभी नहीं देखूंगा. नंदीग्राम उसके कारण जाना जाता है. हर बार एक शक्तिशाली कॉर्पोरेट किसानों की जमीन पर कब्जा करना चाहता है, नंदीग्राम लोगों को याद दिलाता है कि वहां क्या हो सकता है. ‘ हालांकि उनके मित्र रतन बसाक ने असहमति जताई और कहा, ‘लेकिन वो वापस नहीं आई. अगर उन्हें हमारा ख्याल रखना था तो उन्हें यहां से चुनाव लड़ना चाहिए था न की भवानीपुर से. उसने शुवेंदु को हमें देखने के लिए छोड़ दिया. तो हमें देशद्रोही क्यों होना चाहिए?.’ रतन को गुस्से में देख देबू ने अपनी चाय पीना छोड़ दिया और कहा, ‘देशद्रोही? क्या शुवेंदु देशद्रोही नहीं है? उन्होंने उस पार्टी को छोड़ दिया जिसने उन्हें लोकप्रिय बनाया. वह बाहरी लोगों को बंगाल में प्रवेश करने की अनुमति दे रहा है.’
ममता की मुश्किल
रेयापारा के जिस इलाके में ममता बनर्जी ने किराए घर लिया है वहां उनके नए पोस्टर लगाए जा रहे हैं. शुवेंदु अधिकारी के पोस्टर फाड़े जा रहे हैं. इस बीच वहां मौजूद कुछ लड़कों ने कहा, ‘आखिर कैसे ममता बनर्जी यहां बाहरी हो सकती है. उन्होंने नंदीग्राम को बनाया. सूत्रों का कहना है कि ममता ने यहां इसलिए घर लिया, क्योंकि वो लोगों को ये बताना चाहती हैं कि वो अब नंदीग्राम में रहना चाहती है.