मध्यप्रदेश

नाबालिग दूल्हा ने बकरे पर सवार हो निभाई शादी की रस्म लोहिया परिवार का अनोखा रिवाज

टीकमगढ़
 भारतीय संस्कृति में मानव जीवन 16 संस्कारों से जुड़ा है। जन्मपूर्व से लेकर जीवन पर्यन्त हर संस्कार का अपना अलग महत्व है, इन्हीं संस्कार में से एक कर्णछेदन संस्कार का सैकड़ों वर्ष पुराना रिवाज भी अनोखा है, जिसमें कर्णछेदन संस्कार होने बाले बालक को दूल्हा बनाकर बकरे पर सवार कर उसकी पांच स्थानों से बारात निकाली जाती है।

अपनी बड़ी भाभी से कराई शादी
टीकमगढ़ के प्रतिष्ठित ठेकेदार व लोहा कारोबारी प्रकाश अग्रवाल के परिवार में अनोखी शादी हुई, शादी से पहले बारात निकाली गई। यहां 12 साल के बच्चे की घोड़ी की जगह बकरे पर बैठाकर बारात निकाली गई, बारात में बैंड-बाजों पर परिजनों ने जमकर डांस किया। इस दौरान जमकर आतिशबाजी भी हुई, इसके बाद दूल्हे की उसकी बड़ी भाभी से शादी की रस्म निभाई गई।

शादी असल में नहीं बल्कि एक रिवाज
शहर के प्रतिष्ठित लोहिया परिवार के कैलाश अग्रवाल कहते हैं कि हमारे यहां अनेकों पीढ़ियों में सैकड़ों साल से चली आ रही यह एक अनोखी परंपरा है। जिसमें परिवार के बड़े बेटे का कर्णछेदन का संस्कार शादी समारोह की तरह धूमधाम से किया जाता है। जिसमें तीन दिन का आयोजन होता है। कर्ण छेदन संस्कार में बड़े बेटे को दूल्हा बनाकर उसकी बारात बकरे पर बैठाकर निकालने की परंपरा है। इस शादी में परिवार के अलावा रिश्तेदार और मोहल्ले के लोग शामिल होते हैं। इसके बाद विधि विधान से शादी की रस्में पूरी की जाती है।

इस रिवाज की बजह अभी भी अज्ञात
लोहिया परिवार के ही एक बुजुर्ग सदस्य का कहना है कि ये रिवाज कई पीढ़ियों से सैकड़ों वर्षों से चला आ रही है। आखिर बकरे पर बैठाकर नाबालिग की बारात और शादी की रस्म निभाने की परम्परा क्यों शुरू की गई होगी। इसका ठीक-ठीक कारण तो पता नहीं है, लेकिन परिवार में बड़े बेटे के कर्णछेदन संस्कार के समय इस तरह के आयोजन लोहिया परिवार में होते रहे हैं, जिसका हम सब पालन करते आ रहे हैं। ये हमारे परिवार के लिए शुभ है, जिस कारण हमारे परिवार इसको निभा रहे हैं।

PRATYUSHAASHAKINAYIKIRAN.COM
Editor : Maya Puranik
Permanent Address : Yadu kirana store ke pass Parshuram nagar professor colony raipur cg
Email : puranikrajesh2008@gmail.com
Mobile : -91-9893051148
Website : pratyushaashakinayikiran.com