मध्यप्रदेश

31वीं राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस का समापन

अंतर्राष्ट्रीय विद्यार्थियों के 6 और विभिन्न राज्यों के 20 नवाचारों को किया पुरस्कृत
यह कार्यक्रम भविष्य के वैज्ञानिकों को तैयार करने का एक महत्वपूर्ण कदम : डॉ. कोठारी
640 छात्र, 194 विज्ञान मॉडल, नवाचार और सृजनशीलता की अनूठी झलक

भोपाल
31वें राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस का समापन समारोह भोपाल के रवींद्र भवन में उल्लास, जोश और ऊर्जा के साथ सम्पन्न हुआ। चार दिवसीय इस आयोजन ने 'स्वास्थ्य और कल्याण के लिए पारिस्थितिकी तंत्र की समझ’ थीम पर विज्ञान और नवाचार को केंद्र में रखते हुए हजारों छात्रों को अपनी प्रतिभा प्रदर्शित करने का अवसर प्रदान किया।

मेपकास्ट के महानिदेशक डॉ. अनिल कोठारी ने कहा कि यह आयोजन बाल वैज्ञानिकों के लिए एक अद्भुत मंच है, जहां उनकी कल्पनाशीलता और नवाचार को नई दिशा मिलती है। यह कार्यक्रम भविष्य के वैज्ञानिकों को तैयार करने का एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने कहा यह मंच न केवल विज्ञान को समझने का अवसर देता है, बल्कि बच्चों को अपनी सोच और शोध को एक सही दिशा देने का अवसर भी प्रदान करता है।

एन.सी.एस.टी.सी., डी.एस.टी. की प्रमुख डॉ. रश्मि शर्मा ने विषय 'स्वास्थ्य और कल्याण के लिए पारिस्थितिकी तंत्र की समझ' की प्रशंसा करते हुए कहा कि विज्ञान केवल प्रयोगशालाओं तक सीमित नहीं है। यह हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। उन्होंने कार्यक्रम की थीम को समयानुकूल और प्रासंगिक बताते हुए छात्रों को विकसित राष्ट्र के निर्माण में योगदान देने के लिए प्रेरित किया। छात्रों के प्रोजेक्ट्स की सराहना करते हुए कहा कि ये मॉडल नवाचार और रचनात्मकता का प्रमाण हैं। उन्होंने सांस्कृतिक विविधता को एकता का प्रतीक बताया। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'युवा शक्ति' के सपने को दोहराते हुए कहा कि "आज के युवा वैज्ञानिक हमारे देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाने में सक्षम हैं।"

मुख्यमंत्री के सांस्कृतिक सलाहकार श्री श्रीराम तिवारी ने विज्ञान और संस्कृति के बीच संबंध पर जोर देते हुए कहा कि विज्ञान केवल तकनीकी विकास का माध्यम नहीं है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक धरोहर का भी हिस्सा है। उन्होंने विज्ञान और संस्कृति के बीच संतुलन पर जोर देते हुए छात्रों के नवाचार और प्रदर्शित मॉडलों की सराहना की और विज्ञान को समाज के प्रत्येक वर्ग तक पहुँचाने की आवश्यकता पर बल दिया।

विज्ञान भारती के राष्ट्रीय सह संगठन सचिव श्री प्रवीण रामदास ने कहा कि विज्ञान का मुख्य उद्देश्य समाज में बदलाव लाना और समस्याओं का समाधान खोजना है। उन्होंने कहा कि यह आयोजन छात्रों को न केवल विज्ञान की बारीकियों को समझने का अवसर देता है, बल्कि उन्हें वास्तविक जीवन की समस्याओं का समाधान खोजने की दिशा में प्रेरित करता है।

राष्ट्रीय तकनीकी शिक्षक प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान भोपाल के निदेशक डॉ. सी.सी. त्रिपाठी ने कहा कि आज के युग में डेटा एनालिटिक्स और मशीन लर्निंग का ज्ञान आवश्यक हो गया है। विज्ञान और तकनीक का सही उपयोग देश को आत्मनिर्भर और सशक्त बना सकता है। विज्ञान को प्रयोग से अनुप्रयोग में बदलने पर जोर दिया।

राजीव गाँधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. राजीव त्रिपाठी ने छात्रों को विज्ञान और वेदांत के बीच संतुलन बनाए रखने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि विज्ञान केवल प्रयोगशाला तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा है।

कार्यक्रम में 640 छात्रों ने भागीदारी की, जिसमे 194 प्रोजेक्ट मॉडल प्रस्तुत किये गए। इसमें 10 अंतर्राष्ट्रीय नवाचार मॉडल भी थे। 376 छात्राओं ने अपने वैज्ञानिक मॉडल्स के माध्यम से भागीदारी की। सांस्कृतिक कार्यक्रमों में 28 राज्यों और 6 देशों के बच्चों ने भाग लिया। 16 सत्रों में विज्ञान के विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों ने बच्चों के प्रश्नों के उत्तर दिए और उन्हें भविष्य में अनुसंधान के लिए प्रेरित किया। देश के भीतर सर्वश्रेष्ठ 20 एवं 06 अंतर्राष्ट्रीय मॉडल्स को स्मृति-चिह्न और प्रमाण-पत्र देकर सम्मानित किया गया। इस आयोजन में कतर, कुवैत, सऊदी अरब और अन्य देशों के छात्रों ने अपनी भागीदारी दर्ज कराई। विज्ञान पर आधारित नाट्य प्रस्तुतियाँ हुई। यह मॉडल कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) आधारित रोबोटिक डॉग का प्रदर्शन किया गया। इसमें अत्याधुनिक वैज्ञानिक तकनीकों का लाइव प्रदर्शन किया गया। लखन प्रजापति द्वारा पोट्रेट प्रदर्शनी: विज्ञान और कला का अनोखा संगम देखने को मिला। विभिन्न विद्यालयों के प्रोजेक्ट मॉडल: छात्रों ने स्वास्थ्य, पर्यावरण संतुलन, ऊर्जा संरक्षण, जैव विविधता और सतत विकास पर प्रोजेक्ट प्रस्तुत किए। छत्तीसगढ़, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, त्रिपुरा और दिल्ली के छात्रों को विशेष पुरस्कार प्रदान किए गए।

 

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