राज्यों से

189 देशों में जितनी आबादी नहीं, उससे कहीं ज्यादा की भीड़ संगम नगरी में लगाई डुबकी

प्रयागराज

दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक पर्व महाकुंभ का आयोजन इस बार संगम नगरी प्रयागराज में हो रहा है. करोड़ों साल पहले कुंभ से गिरे अमृत की तलाश में श्रद्धालुओं का रैला गंगा-यमुना और अदृश्य सरस्वती के किनारे खिंचा चला आ रहा है. मकर संक्रांति के दिन यानि मंगलवार के दिन 3.5 करोड़ श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई. यह आंकड़ा वाकई में हैरान कर देने वाला है. क्योंकि दुनिया के 234 देशों में सिर्फ 45 की ही आबादी 3.4 करोड़ से अधिक है.

यानि 189 देशों में जितनी आबादी नहीं, उससे कहीं ज्यादा की भीड़ संगम नगरी में शाही स्नान की खातिर पहुंची. यही तो भगवान के प्रति लोगों की सच्ची आस्था को दर्शाता है. मकर संक्रांति के दिन श्रद्धालुओं ने जैसे ही गंगा में डुबली लगाई, त्रिवेणी संगम की बूंदें ऐसे छलक उठीं मानो कुंभ से अमृत छलक उठा हो. मंगलवार को महाकुंभ में विभिन्न अखाड़ों के साधुओं ने पहला ‘अमृत स्नान’ किया. इस अवसर पर त्रिवेणी संगम पर लोगों का सैलाब उमड़ पड़ था.

महाकुंभ में अधिकांश अखाड़ों का नेतृत्व राख से लिपटे नागा साधु कर रहे थे, जिन्होंने अपने अनुशासन और पारंपरिक हथियारों की महारत से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया. एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि भाले और तलवारों को कुशलता से चलाने से लेकर जोश के साथ ‘डमरू’ बजाने तक, उनके प्रदर्शन सदियों पुरानी परंपराओं का जीवंत उत्सव थे.

महाकुंभ में पुरुष नागा साधुओं के अलावा महिला नागा तपस्वी भी बड़ी संख्या में मौजूद थीं. महाकुंभ का पहला बड़ा स्नान सोमवार को ‘पौष पूर्णिमा’ के अवसर पर हुआ, जबकि अखाड़ों या हिंदू मठों के सदस्यों ने मकर संक्रांति पर अपना पहला स्नान किया.

13 अखाड़े ले रहे भाग
श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी और श्री शंभू पंचायती अटल अखाड़ा ने सबसे पहले ‘अमृत स्नान’ किया. महाकुंभ में तेरह अखाड़े भाग ले रहे हैं. अमृत स्नान के दौरान श्रद्धालुओं पर हेलीकॉप्टर से गुलाब की पंखुड़ियां बरसाई गईं. महानिर्वाणी अखाड़े के महामंडलेश्वर चेतनगिरी महाराज ने कहा कि प्रयागराज में हर 12 साल में पूर्ण कुंभ का आयोजन होता है, लेकिन 12 पूर्ण कुंभ के बाद 144 साल में एक बार महाकुंभ होता है. इस पवित्र आयोजन में भाग लेना श्रद्धालुओं के लिए एक दुर्लभ आशीर्वाद है. महानिर्वाणी अखाड़े के 68 महामंडलेश्वर और हजारों साधुओं ने अमृत स्नान में भाग लिया.

किन्नर अखाड़े ने भी लगाई डुबकी
निरंजनी अखाड़े के 35 महामंडलेश्वर और हजारों नागा साधुओं ने अमृत स्नान में भाग लिया. इसके अलावा जूना अखाड़ा, आवाहन अखाड़ा और पंचाग्नि अखाड़े के हजारों संतों ने भी अमृत स्नान किया. किन्नर अखाड़े के सदस्यों ने भी जूना अखाड़े के साथ पवित्र डुबकी लगाई, जिसका नेतृत्व आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि ने किया, जो एक भव्य रथ में घाट पर पहुंचे, उनके पीछे नागा साधुओं का समूह था.

भाले और त्रिशूल लेकर नागा साधु अपने शरीर पर राख लपेटे हुए, कुछ घुड़सवार घोड़ों के साथ एक जुलूस में शाही स्नान के लिए आगे बढ़े. जटाओं में फूल, गले में माला और हाथ में त्रिशूल लेकर उन्होंने महाकुंभ की आध्यात्मिक भव्यता में चार चांद लगा दिए.

 

PRATYUSHAASHAKINAYIKIRAN.COM
Editor : Maya Puranik
Permanent Address : Yadu kirana store ke pass Parshuram nagar professor colony raipur cg
Email : puranikrajesh2008@gmail.com
Mobile : -91-9893051148
Website : pratyushaashakinayikiran.com