वन विभाग का दो दिवसीय मंथन प्रारंभ
वन विभाग ने नवीन प्रोटोकाल विकसित करने के उद्देश्य से दो दिवसीय मंथन अशोक बर्णवाल की अध्यक्षता में प्रारंभ हुआ
वन विभाग में नवाचार विकसित करने के लिये विचार-विमर्श
भोपाल
वन विभाग द्वारा नवीन प्रोटोकाल विकसित करने के उद्देश्य से दो दिवसीय मंथन अपेक्स बैंक भोपाल के सभागृह में अपर मुख्य सचिव वन अशोक बर्णवाल की अध्यक्षता में शुक्रवार को प्रारंभ हुआ। मंथन में क्षेत्रीय सीसीएफ, डीएफओ, टाइगर रिजर्व के संचालक और वन अधिकारी शामिल हुए।
अपर मुख्य सचिव बर्णवाल ने कहा कि बदलते सामाजिक एवं आर्थिक परिवेश में बदलाव की जरूरत है। उन्होंने कहा कि यह आवश्यक हो गया है कि विभाग में जो गतिविधियाँ संचालित हो रही हैं, उनका विश्लेषण किया जाये। बर्णवाल ने कहा कि विभाग को सशक्त करने के उद्देश्य से सभी अधिकारी आपस में विचार-विमर्श कर विभाग की भूमिका को सामयिक एवं प्रासंगिक बनाये रखने के लिये नवीन पहल या नवाचार करने की आवश्यकता है।
प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख असीम श्रीवास्तव ने कहा कि मंथन में वन और वन्य-जीव प्रबंधन के विस्तार की योजना तैयार की जायेगी। उन्होंने कहा कि जंगलों में रहने वाले वन्य-प्राणियों का बेहतर प्रबंधन करने के लिये नये आयामों की रूपरेखा पर विस्तृत चर्चा होगी।
मंथन में प्रथम तकनीकी सत्र में प्रदेश के कृषकों की निजी भूमि पर बाँस-रोपण को प्रोत्साहित करने के लिये प्रक्रिया का सरलीकरण एवं प्रचार-प्रसार की रणनीति पर चर्चा हुई। ट्री-आउटसाइड फॉरेस्ट (टीओएफ) को बढ़ावा देने के लिये कार्ययोजना बनायी गयी और नगर वनों की तरह ही ग्राम पंचायतों के लिये भी ग्राम वनों का विकास करने की योजना के विषयों पर चर्चा की गयी। इस सत्र के समन्वयक अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक एच.एस. मोहंता, सत्र सहायक मुख्य वन संरक्षक रमेश गणावा और रेपोटियर उप वन संरक्षक रजनीश सिंह और संजय पाठक रहे। तकनीकी के दूसरे सत्र में तेंदूपत्ता को छोड़कर अन्य लघु वनोपजों के संग्रहण, प्र-संस्करण और विपणन के माध्यम से वनाश्रित समुदायों की आजीविका, सूक्ष्म योजना (माइक्रो प्लान) के निर्माण एवं क्रियान्वयन, वन समितियों के सदस्यों के लिये स्किल डेवलपमेंट को वृहद स्तर पर लिया जाना, वन समिति के कार्यकारी सदस्यों को अधिकतम 3 दिवस के रिफ्रेशर कोर्स के लिये मॉड्यूल तैयार करना और वन क्षेत्रों में पुनीत वनों की पहचान एवं उनके दीर्घकालिक संरक्षण विषयों पर चर्चा की गयी।
मंथन के तीसरे तकनीकी सत्र में पीएमएस में उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर भविष्य में होने वाले वृक्षारोपण की पद्धति में सुधार, अतिक्रमित क्षेत्रों के रिक्लेमेशन की कार्य-योजना, वनों की उत्पादकता एवं राजस्व वृद्धि के लिये प्रयास और वन समितियों के माध्यम से वन विकास अभिकरण का उपयोग कर राशि के उपयोग को पुनर्जीवित किया जाना विषयों पर चर्चा हुई।
मंथन में तकनीकी के चौथे सत्र में वन अधिकार अधिनियम के अमान्य दावों का अंतिम निराकरण के लिये छत्तीसगढ़ राज्य के अनुसार रूपरेखा तैयार करना, ईको पर्यटन बोर्ड के नियमों पर चर्चा, प्रदेश में वन एवं वन्य-जीवों के वैज्ञानिक प्रबंधन के लिये राज्य वन अनुसंधान संस्थान जबलपुर का सुदृढ़ीकरण और वन-रक्षक से लेकर मुख्य वन संरक्षक/वन संरक्षक स्तर के कर्मचारियों एवं अधिकारियों के लिये 3 दिवसीय रिफ्रेशर कोर्स तैयार करना विषय पर चर्चा की गयी।
प्रथम तकनीकी सत्र में समन्वयक अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक एच.एस. मोहंता, सत्र सहायक मुख्य वन संरक्षक रमेश गणावा और रेपोटियर उप वन संरक्षक रजनीश सिंह और संजय पाठक ने प्रेजेंटेशन दिया। द्वितीय तकनीकी सत्र में सत्र समन्वयक अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक उत्तम शर्मा, सत्र सहायक मुख्य वन संरक्षक अशोक कुमार और रेपोटियर उप वन संरक्षक विजय शाह एवं हमदुल्लाह खान ने प्रेजेंटेशन दिया। तृतीय तकनीकी सत्र में सत्र समन्वयक अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक एल. कृष्णमूर्ति, सत्र सहायक मुख्य वन संरक्षक एम.आर. बघेल और रिपोटियर उप वन संरक्षक गौरव शर्मा एवं अविनाश जोशी ने प्रेजेंटेशन दिया। चतुर्थ तकनीकी सत्र में सत्र समन्वयक अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक मनोज अग्रवाल, सत्र सहायक मुख्य वन संरक्षक राजेश राय और रिपोटियर उप वन संरक्षक अंकित पाण्डे एवं जितेन्द्र गुप्ता ने प्रेजेंटेशन दिया।
मंथन में संरक्षित क्षेत्र के कान्हा टाइगर रिजर्व, बाँधवगढ़ टाइगर रिजर्व, संजय टाइगर रिजर्व, पेंच टाइगर रिजर्व, सतपुड़ा टाइगर रिजर्व, पन्ना टाइगर रिजर्व, वीरांगना दुर्गावती टाइगर रिजर्व, रातापानी टाइगर रिजर्व, कूनो राष्ट्रीय उद्यान, माध्यम राष्ट्रीय उद्यान और वन विहार राष्ट्रीय उद्यान के प्रबंधकों द्वारा प्रेजेंटेशन दिया गया।