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ग्रामीण सशक्तिकरण में भू-अभिलेखों के डिजिटलीकरण की भूमिका अहम, पीएम मोदी ने भी सराहा

नई दिल्ली
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ग्रामीण सशक्तिकरण पर विशेष फोकस है। सरकार ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने और ग्रामीणों के जीवनस्तर को बेहतर करने के लिए कई सकारात्मक कदम उठा रही है, जिसमें भूमि अभिलेखों का डिजटलीकरण भी शामिल है। 'माईगवरमेंट इंडिया' के 'एक्स' हैंडल से भूमि अभिलेख डिजिटलीकरण को लेकर पोस्ट किया गया, जिसकी पीएम मोदी ने प्रशंसा की। इसे शेयर करते हुए उन्होंने लिखा, "प्रौद्योगिकी और सुशासन का लाभ उठा ग्रामीण भारत सशक्त हो रहा है।"

'माईगवरमेंट इंडिया' के मुताबिक ग्रामीण भूमि अभिलेखों का डिजिटलीकरण ग्रामीण भारत को सुघड़ आकार दे रहा है। एक्स पोस्ट में दावा किया गया है कि "ग्रामीण भूमि अभिलेख डिजिटलीकरण भारत में कृषि के भविष्य को नया आकार दे रहा है? यह परिवर्तनकारी कदम भूमि विवादों को कम करने और भूमि प्रबंधन में मदद करेगा। जिससे पारदर्शिता आएगी और ग्रामीण समुदाय सशक्त होगा। इसे ग्रामीण अपने स्वामित्व और अधिकारों के प्रति जागरूक होते हैं और उनके लिए अपनी भूमि पर दावा करना आसान हो जाता है। यह परिवर्तन खेती के भविष्य को भी बेहतर आकार दे रहा है!"

इससे पहले पीएम मोदी 'माईगवरमेंट इंडिया' के स्वामित्व योजना से जुड़े एक पोस्ट को भी शेयर किया। पोस्ट में लिखा था, "ग्रामीण भारत में स्वामित्व (गांवों का सर्वेक्षण और ग्रामीण क्षेत्रों में सुधारित तकनीक के साथ मैपिंग) पहल ग्रामीण भारत को बदल रही है। संपत्ति के स्वामित्व का सटीक डाटा प्रदान करके, यह रोजमर्रा की जिंदगी में सकारात्मक बदलाव ला रहा है। अब ग्रामीणों को स्पष्ट स्वामित्व का अधिकार मिल गया है, जिससे विवाद कम हो रहे हैं और बेहतर अवसर उपलब्ध हो रहे हैं।" बता दें कि 'डिजिटल इंडिया लैंड रिकॉर्ड आधुनिकीकरण कार्यक्रम' (डीआईएलआरएमपी) को पहले राष्ट्रीय भूमि रिकॉर्ड आधुनिकीकरण कार्यक्रम के नाम से जाना जाता था। यह कार्यक्रम को पूरे तरह से केंद्र द्वारा फाइनेंस किया जाता है। 2016 में केंद्रीय योजना के रूप में इसका पुनर्गठन किया गया था।

 

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