राज्यों से

महाकुंभ में अकेले श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े के अंतर्गत 200 से अधिक महिलाओं की संन्यास दीक्षा होगी: महिला संत दिव्या गिरी

प्रयागराज
प्रयागराज महाकुंभ में इस बार नागा पुरुषों के साथ महिलाओं का भी दीक्षा संस्कार होगा और यह एक नया इतिहास लिखने जा रहा है. महाकुंभ में इस बार मातृ शक्ति ने अखाड़ों से जुड़ने में गहरी रुचि दिखाई है. इसके परिणामस्वरूप प्रयागराज महाकुंभ सबसे अधिक महिला संन्यासियों की दीक्षा का इतिहास लिखने जा रहा है. संन्यासिनी श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े की महिला संत दिव्या गिरी बताती हैं कि इस बार महाकुंभ में अकेले श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े के अंतर्गत 200 से अधिक महिलाओं की संन्यास दीक्षा होगी. सभी अखाड़ों को अगर शामिल कर लिया जाए तो यह संख्या एक हजार का आंकड़ा पार कर जाएगी.

महिलाएं भी बनती हैं नागा साध्वी
महिलाओं के लिए नागा साधु बनने का रास्ता बेहद कठिन होता है. इसमें 10 से 15 साल तक कठोर ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करना पड़ता है. गुरु को अपनी योग्यता और ईश्वर के प्रति समर्पण का प्रमाण देना होता है. महिला नागा साधुओं को जीवित रहते हुए अपना पिंडदान और मुंडन भी जरूर करना होता है.

जूना अखाड़ा है बेहद खास
गंगा के तट पर श्री पंच दशनाम जूना अखाड़े के अवधूतों को नागा दीक्षा की प्रक्रिया शुरू हो गई. संन्यासी अखाड़ों में सबसे अधिक नागा संन्यासियों वाला अखाड़ा श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा है. जिसमें निरंतर नागाओं की संख्या बढ़ती ही जा रही है जिसके विस्तार की प्रक्रिया शनिवार से शुरू हो गई. इसके अलावा आज निरंजनी और आनंद अखाड़े की बारी है.

नागा साधु बनने की प्रक्रिया
भगवान शिव के दिगम्बर भक्त नागा संन्यासी महाकुम्भ में सबका ध्यान अपनी तरफ खींचते हैं और यही वजह है कि शायद महाकुंभ में सबसे अधिक जन आस्था का सैलाब जूना अखाड़े के शिविर में दिखता है. अखाड़ों की छावनी की जगह सेक्टर 20 में गंगा का तट इन नागा संन्यासियों की उस परम्परा का साक्षी बना जिसका इंतजार हर 12 साल में अखाड़ों के अवधूत करते हैं. शनिवार को नागा दीक्षा की शुरुआत हो गई है. नागा संन्यासियों की संख्या में जूना अखाड़ा काफी आगे है जिसमे अभी 5.3 लाख से अधिक नागा संन्यासी हैं तो वहीं निरंजनी अखाड़े में भी 5 लाख के ऊपर नीगा संन्यासी हैं.

कैसे बनते हैं नागा संन्यासी
नागा संन्यासी केवल कुंभ में बनते हैं और वहीं उनकी दीक्षा होती है. सबसे पहले साधक को ब्रह्मचारी के रूप में रहना पड़ता है. उसे तीन साल गुरुओं की सेवा करने और धर्म-कर्म और अखाड़ों के नियमों को समझना होता है. इसी अवधि में ब्रह्मचर्य की परीक्षा ली जाती है. अगर अखाड़ा और उस व्यक्ति का गुरु यह निश्चित कर ले कि वह दीक्षा देने लायक हो चुका है तो फिर उसे अगली प्रक्रिया में ले जाया जाता है. यह प्रकिया महाकुंभ में होती है जहां वह ब्रह्मचारी से महापुरुष और फिर अवधूत बनाया जाता है. महाकुंभ में गंगा किनारे उनका मुंडन कराने के साथ उसे 108 बार महाकुंभ की नदी में डुबकी लगवाई जाती है.

नागा साधु
अंतिम प्रक्रिया में उनका स्वयं का पिंडदान तथा दंडी संस्कार आदि शामिल होता है. अखाड़े की धर्म ध्वजा के नीचे अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर उसे नागा दीक्षा देते हैं. प्रयाग के महाकुंभ में दीक्षा लेने वालों को राज राजेश्वरी नागा, उज्जैन में दीक्षा लेने वालों को खूनी नागा, हरिद्वार में दीक्षा लेने वालों को बर्फानी व नासिक वालों को खिचड़िया नागा के नाम से जाना जाता है. इन्हें अलग-अलग नाम से केवल इसलिए जाना जाता है, जिससे उनकी यह पहचान हो सके कि किसने कहां दीक्षा ली है.

Tags

RO Number- 13098/ 20

PRATYUSHAASHAKINAYIKIRAN.COM
Editor : Maya Puranik
Permanent Address : Yadu kirana store ke pass Parshuram nagar professor colony raipur cg
Email : puranikrajesh2008@gmail.com
Mobile : -91-9893051148
Website : pratyushaashakinayikiran.com