नई दिल्ली
अंग्रेजों ने कई साल तक भारत में राज किया था और इस दौरान खरबों डॉलर की लूट की थी। Oxfam की एक रिपोर्ट के मुताबिक अंग्रेज साल 1765 से साल 1900 के बीच भारत से $64.82 ट्रिलियन डॉलर अपने देश ले गए थे। इस रकम का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि इससे आप पूरे लंदन में 50 पाउंड के नोटों का चार बार कारपेट बना सकते हैं। यह रकम दुनिया की सबसे बड़ी इकॉनमी अमेरिका की जीडीपी से दोगुना से भी ज्यादा है। फोर्ब्स के मुताबिक अमेरिका की जीडीपी 30.34 ट्रिलियन डॉलर की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अंग्रेजों द्वारा भारत से की गई कमाई में से ब्रिटेन के सबसे अमीर 10 फीसदी लोगों की जेब में $33.8 ट्रिलियन आए थे।
Oxfam ने अपनी रिपोर्ट “Takers, not Makers” में कहा है ब्रिटेन की सरकार ने नस्लवादी व्यवस्था पर रोक लगाने के लिए अमीरों को भारी-भरकम मुआवजा दिया था। ब्रिटेन के अधिकांश अमीरों की कमाई का यही मुख्य जरिया था। भारत में अंग्रेजों ने 100 साल से भी अधिक समय तक लूट मचाई और उसका फायदा ब्रिटेन में नए उभर रहे मिडिल क्लास को भी हुआ। भारत से हुई कमाई से देश के अमीरों के बाद सबसे ज्यादा फायदा इसी क्लास को हुआ। इस कमाई को 52 फीसदी हिस्सा देश के 10 फीसदी अमीरों की जेब में गया जबकि 32 फीसदी मिडिल क्लास को मिला।
भारत को कंगाल बना गए अंग्रेज…
इतिहासकार उत्सा पटनायक के मुताबिक, अंग्रेजों ने 1765 से 1938 के बीच भारत से करीब 45 ट्रिलियन डॉलर लूटे थे. यह रकम आज के समय में ब्रिटेन के सालाना सकल घरेलू उत्पाद से करीब 15 गुना ज्यादा है. ब्रिटेन के लोग मानते हैं कि भारत के भारत के उपनिवेशीकरण (Colonisation) से ब्रिटेन को कोई खास आर्थिक लाभ नहीं हुआ, लेकिन सच्चाई इससे इतर है. ब्रिटिश हुकूमत ने इस 'सोने की चिड़िया' के पर ऐसे कतरे कि उसे उड़ने लायक नहीं छोड़ा. इस दौरान अंग्रेज भारत से तकरीबन 45 ट्रिलियन डॉलर की संपत्ति लूट ले गए.
प्लासी की लड़ाई रही टर्निंग प्वॉइंट्स!
बताते चलें कि अंग्रेजों ने भारत पर 1757 से 1947 तक यानी 190 सालों तक शासन किया. प्लासी के युद्ध में जीत के बाद अंग्रेजों ने भारत में अपना आधिपत्य स्थापित किया था. इसके बाद 1858 में ईस्ट इंडिया कंपनी का शासन रानी विक्टोरिया के नाम कर दिया गया.
भारत पर आर्थिक शोषण, राजनीतिक उत्पीड़न और सांस्कृतिक साम्राज्यवाद
15 अगस्त 1947 को भारत ने आजादी हासिल की और अंग्रेजों का शासन खत्म हो गया. इस शासन को उपनिवेशवाद के नाम से जाना जाता है. अंग्रेजों ने भारत पर आर्थिक शोषण, राजनीतिक उत्पीड़न, और सांस्कृतिक साम्राज्यवाद किया. हालांकि, उन्होंने भारत में कई नए उद्योगों की स्थापना भी की और अर्थव्यवस्था को विकसित करने में मदद की, लेकिन इस बात में कोई दो राय नहीं कि अंग्रेजों ने भारत के संसाधनों और धन संपदा को जमकर लूटा.
घरेलू उद्योगों को किया बर्बाद
Oxfam का कहना है कि अंग्रेजों की नीतियों के कारण भारत के घरेलू उद्योग-धंधों को बर्बाद कर दिया था। 1750 में दुनिया के औद्योगिक उत्पादन में भारतीय उपमहाद्वीप की हिस्सेदारी करीब 25 फीसदी थी जो 1900 में घटकर महज 2 फीसदी रह गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि डच और अंग्रेजों ने उपनिवेशों पर अपनी सत्ता मजबूत करने के लिए वहां के लोगों को नशे का आदी बनाया। अंग्रेजों ने भारत में अफीम की खेती की और इसे चीन को एक्सपोर्ट किया। रिपोर्ट में कई अध्ययनों और रिसर्च पेपर का हवाला देकर कहा गया है कि आज की मल्टीनेशनल कंपनियां उपनिवेशवाद की उपज हैं।
भारत किसी जमाने में दुनिया की सबसे अमीर अर्थव्यवस्थाओं में से एक माना जाता था। अंग्रेज व्यापारी के रूप में भारत आए और देसी राजाओं की आपसी फूट का फायदा उठाते हुए धीरे-धीरे खुद को ताकतवर बनाया। उन्होंने एक के बाद एक कई रियासतें पर कब्जा किया और करीब 200 साल तक हम पर शासन किया। ईस्ट इंडिया कंपनी की शुरुआत 1600 के दशक में 250 निवेशकों के साथ हुई थी। उस जमाने में £68,373 के शुरुआती निवेश से बनी इस कंपनी और अंग्रेजी हुकूमत ने भारत से £45 ट्रिलियन की लूट की। अंग्रेज अर्थशास्त्री एंगस मैडिसन की मानें तो साल 1700 ई. में दुनिया की इनकम में भारत का हिस्सा 27% था जबकि यूरोप की हिस्सेदारी 23% थी। लेकिन 1950 में भारत की हिस्सेदारी महज 3% रह गई।