मध्यप्रदेश

मेजरिंग डिवाइस में फूंक मारने मात्र से पता चलेगा शरीर का शुगर लेवल

बालाघाट
 बालाघाट में स्थित शासकीय जटाशंकर त्रिवेदी पीजी कालेज में वैसे तो सामान्य तौर पर शिक्षण कार्य ही होता आया है, लेकिन यहां पढ़ाने वाले सहायक प्राध्यापक डॉ.दुर्गेश अगासे के मन में देश में बढ़ते मधुमेह के खतरे और उससे उपचार व जांच को लेकर कुछ ऐसा करने का संकल्प था जिससे मधुमेह से पीड़ित लोगों को राहत मिल सके।

कैंसर बायोलाजी से पीएचडी कर चुके डॉ.दुर्गेश कालेज में अपनी टीम के साथ एक नवाचार पर काम किया और उसे विकसित करने में सफल रहे। उनकी बदौलत अब मधुमेह के रोगियों को जल्द ही शर्करा (शुगर) का स्तर पता करने के लिए रक्त का सैंपल देने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी बल्कि मात्र फूंक मारते ही मधुमेह रोगी के शरीर में शर्करा के स्तर का पता चल सकेगा। उन्होंने इसे ‘नान इन्वेंशन ब्लड ग्लूकोज मेजरिंग डिवाइस’ नाम दिया है।

आसानी से पता चल जाएगा शुगल लेवल

हाल ही में दिल्ली में संपन्न ‘विकसित भारत-यंग लीडर्स डायलाग' कार्यक्रम में देशभर के 72 प्रोजेक्ट के साथ इसे प्रदर्शित किया गया था। इसमें इसे पांचवां स्थान मिला है। पीएम गैलरी में चुने गए देशभर के 12 प्रोजेक्ट में भी यह शामिल है। इस प्रोजेक्ट का पेटेंट प्रकाशित हो चुका है।

डॉ. अगासे की टीम में हर्ष तिवारी, पल्लवी ऐड़े, वर्षा धुर्वे, रश्मि उरकुड़े और अंकित काले हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी इस यंत्र की सराहना की है। उन्होंने अपने एक्स हैंडल पर इसकी तस्वीर भी अपलोड की है। बालाघाट के वरिष्ठ चिकित्सक एमडी मेडिसिन (कार्डियो डायबिटोलाजिस्ट) डॉ. बीएम शरणागत का कहना है कि अगर डिवाइस एसीटोन से शर्करा का स्तर बता रही है, तो रोगियों के लिए कारगर साबित होगी। इसे बेहतर किया जा सकता है। मधुमेह रोग विशेषज्ञ व जनरल फिजिशियन डा. वेदप्रकाश लिल्हारे का कहना है कि ये डिवाइस उन मधुमेह रोगियों के लिए कारगर होगा, जिनके शरीर में कीटोन बनता है। इसी से एसीटोन का उत्सर्जन होता है।
ब्रीथ एनालाइजर की तर्ज पर तैयार किया डिवाइस

डॉ. अगासे ने बताया कि इस यंत्र को तैयार करने में हमने कीटोजेनिक मेटाबालिज्म का अध्ययन किया। कीटोन का ही एक प्रकार एसीटोन होता है जो मधुमेह रोगी द्वारा श्वास लेने में नाक के माध्यम से निकलता है। एसीटोन गैस स्वरूप में होता है। टीम ने ब्रीथ एनालाइजर की तर्ज पर यह यंत्र तैयार किया। इससे शर्करा पता करने वाली मशीन में उंगली से रक्त निकालकर स्ट्रिप पर रखने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

इसमें लगा सेंसर रोगी की श्वास से निकलने वाले एसीटोन से उसके शरीर में शुगर की मात्रा दर्शाएगा। उन्होंने अब तक 50 से ज्यादा मधुमेह रोगियों के एसीटोन की मात्रा और उसी समय उनके शरीर के ब्लड शुगर की मात्रा का अध्ययन किया गया। यंत्र को विकसित करने के लिए जरूरी फंडिंग और तकनीकी सहयोग के लिए भोपाल स्थित मैनिट संस्था के इंजीनियरों ने रुचि दिखाई है।

जनसम्पर्क विभाग – आरएसएस फीड

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