मध्यप्रदेश

मध्‍य प्रदेश में समर्थन मूल्य पर गेहूं उपार्जन के लिए पौने चार हजार केंद्र बनाए जाएंगे

भोपाल
 प्रदेश सरकार हर बार की तरह इस बार भी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं का उपार्जन करेगी। इसके लिए किसानों का पंजीयन प्रारंभ कर दिया गया है।पिछले साल 100 लाख टन उपार्जन का लक्ष्य रखा गया था। इसके हिसाब से ही बोरे, सिलाई के लिए धागा और भुगतान के लिए भारतीय रिजर्व बैंक से साख सीमा स्वीकृत कराई गई थी।

सरकार ने ऋण की गारंटी ली, पर खरीदी 48 लाख टन ही हुई थी। इससे सबक लेते हुए सरकार ने इस बार लक्ष्य 20 लाख टन घटा दिया है।

अब 80 लाख टन के हिसाब से तैयारी की जा रही है, जबकि गेहूं बोवनी का क्षेत्र चार लाख हेक्टेयर बढ़कर 100 लाख हेक्टेयर हो गया है।

    गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रति क्विंटल 2,425 रुपये है। यह पिछले वर्ष 2,275 रुपये था। इस पर सरकार ने 125 रुपये प्रति क्विंटल बोनस दिया था।

    छह लाख 16 हजार किसानों से 48 लाख 38 हजार टन गेहूं खरीदा गया जबकि, सरकार ने बारिश होने के कारण उपज की गुणवत्ता प्रभावित होने के कारण चमकविहीन गेहूं के लिए निर्धारित मापदंड से छूट भी ले ली थी।

    दरअसल, उपज का दाम बाजार में समर्थन मूल्य से अधिक था, जिसके कारण किसानों ने सरकार को देने के स्थान पर या तो बाजार में बेचा या फिर रोककर रख लिया।

    इसे देखते हुए सरकार ने आकलन किया और इस बार के लिए उपार्जन का लक्ष्य सौ लाख टन के स्थान पर घटाकर 80 लाख टन कर दिया।

    गुणवत्तायुक्त खरीदी सुनिश्चित करने के लिए उपज ग्रेडिंग करके ली जाएगी। इसके लिए व्यवस्था बनाई जा रही है। साथ ही किसानों को भुगतान उनके आधार कार्ड से लिंक बैंक खाते में सीधे किया जाएगा।

समर्थन मूल्य पर 43 लाख टन से अधिक हुई धान खरीदी, दो दिन और होगी

    प्रदेश में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 43 लाख टन धान की खरीदी हो चुकी है। छह लाख 61 हजार 777 किसानों से यह उपार्जन किया गया। दो दिन और यानी 23 जनवरी तक उपार्जन किया जाएगा।

    खाद्य नागरिक आपूर्ति मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने बताया कि सामान्य धान 2,300 रुपये की दर से खरीदी गई है।

    अभी तक किसानों को उनके आधार से लिंक बैंक खातों में 7,856 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है।

    38 लाख 18 हजार 332टन उपार्जित धान का परिवहन हो चुका है और 11 लाख 79 हजार 448 टन धान मिलर्स को दी जा चुकी है।

    सभी अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे मिलिंग के लिए मिलर्स को जल्द धान का उठाव कराएं ताकि चावल बनाकर भारतीय खाद्य निगम को समयसीमा में दिया जा सके।

    इस बार केंद्र सरकार ने जून तक मिलिंग पूरी करने के लिए कहा है।

 

जनसम्पर्क विभाग – आरएसएस फीड

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