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भारत 2030 से पहले मातृ, शिशु और शिशु मृत्यु दर के लिए अपने सतत विकास लक्ष्य को कर लेगा हासिल : केंद्र सरकार

नईदिल्ली

राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) ने भारत के सार्वजनिक स्वास्थ्य परिणामों में सुधार करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) 2005 में ग्रामीण आबादी, विशेष रूप से कमजोर समूहों को जिला अस्पतालों (डीएच) स्तर तक सुलभ, सस्ती और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणालियों के निर्माण के उद्देश्य से शुरू किया गया था। इसके बाद 2012 में, राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन (एनयूएचएम) की अवधारणा तैयार की गई और एनआरएचएम को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) का नया नाम दिया गया, जिसमें दो उप मिशन, अर्थात् एनआरएचएम और एनयूएचएम थे।

1 अप्रैल 2017 से 31 मार्च 2020 तक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की निरंतरता को कैबिनेट ने 21 मार्च 2018 को अपनी बैठक में मंजूरी दी थी।पिछले तीन वर्षों में, एनएचएम ने मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य, रोग उन्मूलन और स्वास्थ्य सेवा बुनियादी ढांचे सहित कई क्षेत्रों में पर्याप्त प्रगति की है। मिशन के प्रयास विशेष रूप से कोविड-19 महामारी के दौरानभारत के स्वास्थ्य सुधारों का अभिन्न अंग रहे हैं, और देश भर में अधिक सुलभ और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

वहीँ, केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत देश में प्राप्त उपलब्धियों को स्वीकारते हुए को इसे अगले पांच वर्षों तक जारी रखने को मंजूरी प्रदान की है।आइये आपको राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (2021-24) के तहत महत्वपूर्ण उपलब्धिययों की जानकारी दे दें।

स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में मानव संसाधनों में महत्वपूर्ण वृद्धि

आपको बता दें एनएचएम की एक प्रमुख उपलब्धि स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में मानव संसाधनों में महत्वपूर्ण वृद्धि है। वित्तीय वर्ष 2021-22 में, एनएचएम ने जनरल ड्यूटी मेडिकल आफिसरों (जीडीएमओ), विशेषज्ञों, स्टाफ नर्सों, एएनएम, आयुष डॉक्टरों, संबद्ध स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रबंधकों सहित 2.69 लाख अतिरिक्त स्वास्थ्य कर्मियों को नियुक्त करने में सहायता की। इसके अतिरिक्त, 90,740 सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों (सीएचओ) को भी नियुक्त किया गया। यह संख्या बाद के वर्षों में बढ़ी वित्तीय वर्ष 2022-23 में 1.29 लाख सीएचओ सहित 4.21 लाख अतिरिक्त स्वास्थ्य पेशेवरों को और वित्तीय वर्ष 2023-24 में 1.38 लाख सीएचओ सहित 5.23 लाख श्रमिकों को नियुक्त किया गया।

कोविड-19 महामारी की प्रतिक्रिया में स्वास्थ्य सुविधाओं और कार्यकर्ताओं के मौजूदा नेटवर्क का उपयोग करके, एनएचएम ने जनवरी 2021 और मार्च 2024 के बीच 220 करोड़ से अधिक कोविड-19 वैक्सीन खुराकें देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

भारत 2030 से पहले मातृ, शिशु और शिशु मृत्यु दर के लिए अपने सतत विकास लक्ष्य को प्राप्त कर लेगा

एनएचएम के तहत भारत ने प्रमुख स्वास्थ्य सूचकांकों में भी प्रभावशाली प्रगति की है। मातृ मृत्यु अनुपात (एमएमआर) 2014-16 में प्रति लाख जीवित जन्मों पर 130 से घटकर 2018-20 में प्रति लाख 97 हो गया है, जो 25% की कमी दर्शाता है। 1990 के बाद से इसमें 83% की गिरावट आई है, जो कि वैश्विक गिरावट 45% से अधिक है। इसी तरह, 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर (यू5एमआर) 2014 में प्रति 1,000 जीवित जन्मों पर 45 से घटकर 2020 में 32 हो गई है, जो 1990 के बाद से वैश्विक स्तर पर 60% की कमी की तुलना में मृत्यु दर में 75% की अधिक गिरावट प्रदर्शित करती है। शिशु मृत्यु दर (आईएमआर) 2014 में प्रति 1,000 जीवित जन्मों पर 39 से घटकर 2020 में 28 हो गई है। ये सुधार बताते हैं कि भारत 2030 से बहुत पहले मातृ, शिशु और शिशु मृत्यु दर के लिए अपने सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) को पूरा करने की राह पर है।

एनएचएम विभिन्न बीमारियों के उन्मूलन और नियंत्रण में भी सहायक

एनएचएम विभिन्न बीमारियों के उन्मूलन और नियंत्रण में भी सहायक रहा है। उदाहरण के लिए, राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) के तहत, तपेदिक (टीबी) के मामले 2015 में प्रति 1,00,000 जनसंख्या पर 237 से घटकर 2023 में 195 हो गए हैं, और इसी अवधि में मृत्यु दर 28 से घटकर 22 हो गई है।

मलेरिया के संदर्भ में, वर्ष 2021 में, 2020 की तुलना में मलेरिया के मामलों और मौतों में क्रमशः 13.28% और 3.22% की कमी आई है। वर्ष 2022 में, मलेरिया निगरानी और मामलों में क्रमशः 32.92% और 9.13% की वृद्धि हुई है, जबकि 2021 की तुलना में मलेरिया से होने वाली मौतों में 7.77% की कमी आई है। वर्ष 2023 में, मलेरिया निगरानी और मामलों में क्रमशः 2022 की तुलना में 8.34% और 28.91% की वृद्धि हुई है। इसके अतिरिक्त, काला-अजार उन्मूलन के प्रयास सफल रहे हैं, और 2023 के अंत तक 100% एंडेमिक ब्लॉक ने 10,000 जनसंख्या पर एक से कम मामले का लक्ष्य प्राप्त कर लिया है। इंटेसिफाइड मिशन इंद्रधनुष (आईएमआई) 5.0 के तहत खसरा-रूबेला उन्मूलन अभियान में 34.77 करोड़ से अधिक बच्चों का टीकाकरण किया गया, जिससे 97.98% कवरेज प्राप्त हुआ।

सितंबर 2022 में शुरू किए गए प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान में 1,56,572 लाख नि-क्षय मित्र स्वयंसेवकों का पंजीकरण हुआ है, जो 9.40 लाख से अधिक टीबी रोगियों का सहयोग कर रहे हैं। प्रधानमंत्री राष्ट्रीय डायलिसिस कार्यक्रम (पीएमएनडीपी) का भी विस्तार किया गया है, जिसमें वित्तीय वर्ष 2023-24 में 62.35 लाख से अधिक हीमोडायलिसिस सत्र प्रदान किए गए हैं, जिससे 4.53 लाख से अधिक डायलिसिस रोगियों को लाभ हुआ है।

इसके अलावा, 2023 में शुरू किए गए राष्ट्रीय सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन ने जनजातीय क्षेत्रों में 2.61 करोड़ से अधिक व्यक्तियों की जांच की है, और इसका लक्ष्य 2047 तक सिकल सेल रोग को खत्म करना है।

डिजिटल स्वास्थ्य पहल: 2023 में यू-विन प्लेटफॉर्म की शुरुआत

यही नहीं डिजिटल स्वास्थ्य पहल पर भी प्रमुख रूप से ध्यान केंद्रित किया गया है। जनवरी 2023 में यू-विन प्लेटफॉर्म की शुरुआत भारत भर में गर्भवती महिलाओं, शिशुओं और बच्चों को समय पर टीके लगवाना सुनिश्चित करता है। वित्तीय वर्ष 2023-24 के अंत तक, यह प्लेटफॉर्म 36 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के 65 जिलों तक विस्तारित हो गया था, जिससे वास्तविक समय में टीकाकरण को ट्रैक करना और टीकाकरण कवरेज में सुधार सुनिश्चित हुआ।

आयुष्मान आरोग्य मंदिर की संख्या में बढ़ोतरी

आयुष्मान आरोग्य मंदिर (एएएम) केंद्रों की संख्या, जो विभिन्न प्रकार की स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करते हैं, वित्तीय वर्ष 2023-24 के अंत तक बढ़कर 1,72,148 हो गई है, जिनमें से 1,34,650 केंद्र 12 प्रमुख स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कर रहे हैं।

आपातकालीन सेवाओं में सुधार

एनएचएम के प्रयासों को आपातकालीन सेवाओं में सुधार करने के लिए विस्तारित किया गया है, जिसमें 24×7 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) और प्रथम रेफरल इकाइयां (एफआरयू) स्थापित की गई हैं। मार्च 2024 तक, 12,348 पीएचसी को 24×7 सेवाओं में परिवर्तित कर दिया गया था और पूरे देश में 3,133 एफआरयू संचालित थे।

मोबाइल मेडिकल इकाइयों (एमएमयू) का बेड़ा भी विस्तारित किया गया

इसके अतिरिक्त, मोबाइल मेडिकल इकाइयों (एमएमयू) का बेड़ा भी विस्तारित किया गया है, अब 1,424 एमएमयू दूरदराज और वंचित क्षेत्रों में स्वास्थ्य देखभाल पहुंच सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहे हैं। 2023 में एमएमयू पोर्टल की शुरुआत ने कमजोर आदिवासी समूहों के स्वास्थ्य सूंचकांकों पर निगरानी और डेटा संग्रह को और मजबूत किया।

तंबाकू के उपयोग और सांप काटने से होने वाले जहर जैसी गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंताओं का भी समाधान

गौरतलब हो, एनएचएम ने तंबाकू के उपयोग और सांप काटने से होने वाले जहर जैसी गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंताओं का भी समाधान किया है। निरंतर सार्वजनिक जागरूकता अभियानों और तंबाकू नियंत्रण कानूनों के प्रवर्तन के माध्यम से, इसने पिछले दशक में तंबाकू के उपयोग में 17.3% की कमी में योगदान दिया है।

इसके अलावा, वित्तीय वर्ष 2022-23 में, सांप काटने से फैलने वाले जहर के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना (एनएपीएसई) शुरू की गई थी, जिसमें सांप काटने की रोकथाम, शिक्षा और प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित किया गया था।

एनएचएम का पूरे देश में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता और पहुंच में सुधार करना जारी है

दरअसल एनएचएम के चल रहे प्रयासों ने सफलतापूर्वक भारत के स्वास्थ्य सेवा परिदृश्य में एक नाटकीय बदलाव किया है। मानव संसाधनों का विस्तार करके, स्वास्थ्य परिणामों में सुधार करके और गंभीर स्वास्थ्य मुद्दों का समाधान करके, एनएचएम पूरे देश में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता और पहुंच में सुधार करना जारी रखता है।

सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति के साथ, भारत 2030 की समय सीमा से काफी पहले अपने स्वास्थ्य लक्ष्यों को पूरा करने की राह पर है।

 

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