ज्योतिष

अस्थियों को पवित्र गंगा नदी में क्यों बहाया जाता है?

हिंदू धर्म में जब भी किसी शख्स की मृत्यु होती है तो उसके शव को जलाकर पूरे रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार किया जाता है. इसके बाद अस्थियों को पवित्र गंगा नदी में बहाया जाता है. अधिकतर लोग अस्थि विसर्जन के लिए हर की पौड़ी हरिद्वार ही आते हैं. फिर यहां गंगा नदी में अस्थि विसर्जन करते हैं. प्रयागराज में भी अस्थि विसर्जन किया जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर गंगा नदी में ही क्यों अस्थियां बहाई जाती हैं.

इसके पीछे कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं. मान्यता है कि मां गंगा को श्री कृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त है. ऐसे में जब तक मृत आत्मा की अस्थियां और हड्डियां मां गंगा में तैरती हैं या बसती हैं, तब तक आत्मा को श्री कृष्ण के गोलोक धाम में रहने का मौका मिलता है.

वहीं ऐसा भी कहा जाता है कि भागीरथ माता गंगा को स्वर्ग से पृथ्वी लोक लेकर आए थे. ऐसे में मरने के बाद जब तक व्यक्ति की अस्थियां गंगा में बहती हैं तब तक उसकी आत्मा को स्वर्ग लोक में रहने का मौका मिलता है.

कथा के मुताबिक, कपिल मुनि के श्राप के कारण राजा सगर के 60 हजार पुत्रों की मृत्यु हो गई थी. ऐसे में राजा सगर के वंशज भागीरथ ने घोर तपस्या कर मां गंगा को पृथ्वी लोक पर बुलाया और सगर के पुत्रों को मुक्ति दिलाई.

राजा शांतनु ने की गंगा माता से शादी
अन्य कथा के मुताबिक, हस्तिनापुर के राजा शांतनु को मां गंगा से प्रेम हो गया था. ऐसे में उन्होंने मां गंगा से शादी करने की इच्छा जताई. परंतु मां गंगा ने कहा कि मैं शादी इसी शर्त पर करूंगी, अगर आप मुझे कुछ भी करने से नहीं रोकेंगे, शांतनु ने उनकी बात मान ली. शादी होने के बाद जब उनका पहला पुत्र हुआ तो मां गंगा ने उसे अपने ही पानी में बहा दिया. यह देखकर शांतनु को बेहद दुख हुआ परंतु वह कुछ नहीं बोल पाए.

भीष्म पितामह थे गंगा के आठवें पुत्र
इसी प्रकार उन्होंने अपने सात पुत्रों को गंगा में बहा दिया, जब वह अपने आठवें पुत्र को गंगा में बहाने जा रही थीं तो शांतनु से देखा नहीं गया और उन्होंने मां गंगा को रोक दिया. उन्होंने कहा कि तुम ऐसा क्यों कर रही हो. तब मां गंगा ने कहा कि मेरे पुत्रों को वशिष्ठ जी का श्राप है कि वह पृथ्वी लोक में पैदा होंगे और कष्ट भोगेंगे. ऐसे में मैं उन्हें गंगा में प्रवाहित करके उन्हें मुक्ति दिला रही हूं. परंतु अब में आठवें पुत्र को नहीं बहा सकती. अब यह पृथ्वी लोक पर ही कष्ट भोगेगा. भीष्म पितामह मां गंगा के आठवें पुत्र थे. यही कारण है कि जिस प्रकार मां गंगा ने अपने पुत्रों की मुक्ति के लिए उन्हें गंगा में बहाया उसी प्रकार अस्थियों को भी मुक्ति के लिए गंगा में बहाया जाता है.

और कहां कर सकते हैं अस्थि विसर्जन
गंगा नदी के अलावा, नर्मदा, गोदावरी, कृष्णा, और ब्रह्मपुत्र जैसी नदियों में भी अस्थि विसर्जन किया जा सकता है. अस्थि विसर्जन के लिए, अस्थियों को दूध और गंगाजल से धोकर अस्थिकलश या पीतवस्त्र से बने थैले में रखा जाता है.

 

PRATYUSHAASHAKINAYIKIRAN.COM
Editor : Maya Puranik
Permanent Address : Yadu kirana store ke pass Parshuram nagar professor colony raipur cg
Email : puranikrajesh2008@gmail.com
Mobile : -91-9893051148
Website : pratyushaashakinayikiran.com