विदेश

तजाकिस्‍तान ने ईरान से चाबहार पोर्ट के इस्‍तेमाल को लेकर बातचीत की शुरू, भारत की बल्‍ले-बल्‍ले

तेहरान
तालिबानी सेना और टीटीपी आतंकियों के हमले से जूझ रहे पाकिस्‍तान के लिए एक और बुरी खबर है। तजाकिस्‍तान ने ईरान के साथ चाबहार पोर्ट के इस्‍तेमाल को लेकर बातचीत शुरू कर दी है। तजाकिस्‍तान और ईरान के बीच में भारत के बनाए हुए चाबहार पोर्ट से सामानों की आवाजाही को लेकर यह बातचीत हो रही है। तजाकिस्‍तान और ईरान में यह डील होती है तो भारत के लिए तिहरी खुशखबरी होगा। एक तरफ जहां इससे भारत के लिए भी मध्‍य एशिया तक पहुंचने का रास्‍ता साफ होगा, वहीं चाबहार पोर्ट से कमाई भी होगी। भारत ने चाबहार पोर्ट को बनाने में करोड़ों डॉलर का निवेश किया है और साल 2024 में इस बंदरगाह के प्रबंधन को लेकर 10 साल का समझौता भी किया है।

भारत की इस डील से पाकिस्‍तान को भी बड़ा झटका लगेगा जो तजाकिस्‍तान को तालिबान के खिलाफ खड़ा करने की कोशिश कर रहा है। हाल ही में पाकिस्‍तान की खुफिया एजेंसी के प्रमुख ने तजाकिस्‍तान का दौरा किया था। पाकिस्‍तानी मीडिया के मुताबिक आईएसआई चीफ ने न केवल तजाकिस्‍तान के राष्‍ट्रपति से बातचीत की थी बल्कि वह तालिबान विरोधी नादर्न अलायंस के नेताओं से भी मिले थे। अहमद मसूद समेत नादर्न अलायंस के नेताओं ने एनआरएफ नाम से एक संगठन बनाया है जो तजाकिस्‍तान में रहकर तालिबानी प्रशासन को बंदूकों के बल पर चुनौती दे रहा है।

तालिबान और तजाकिस्‍तान में सुधर रहे रिश्‍ते

तजाकिस्‍तान चाहता है कि भारत और खाड़ी तथा हिंद महासागर के देशों के साथ उसका व्‍यापार बढ़े और इसी वजह से चाबहार पोर्ट के जरिए सामानों के आवाजाही पर समझौता करना चाहता है। तजाकिस्‍तान ट्रांसपोर्ट मंत्री अजीम इब्राहिम और ईरान के सड़क मंत्री फरजानेह सदेघी ने हाल ही में एक सहयोग समझौते पर हस्‍ताक्षर किया है। इसके जरिए चाबहार पोर्ट के जरिए सामानों की आवाजाही की जा सकेगी। इससे पहले तजाकिस्‍तान के अधिकारियों ने ईरान के बंदर अब्‍बास पोर्ट के भी इस्‍तेमाल का ऐलान किया था ताकि सामानों को ले जाया जा सके।

तजाकिस्‍तान की सीमा ईरान से नहीं लगती है। तजाकिस्‍तान को ईरान के पोर्ट तक पहुंचने से पहले उज्‍बेकिस्‍तान और तुर्कमेनिस्‍तान या अफगानिस्‍तान के रास्‍ते का इस्‍तेमाल करना होगा। तजाकिस्‍तान से चाबहार पोर्ट तक पहुंचने के लिए अफगानिस्‍तान का रास्‍ता सबसे छोटा है। मध्‍य एशिया के देशों की तुलना में तजाकिस्‍तान ने अभी तक तालिबानी सरकार के साथ रिश्‍ते मधुर नहीं किए हैं। हालांकि दोनों के बीच अब धीरे-धीरे रिश्‍ते विकसित हो रहे हैं। अफगान समाज में तजाकिस्‍तान की भूमिका काफी ज्‍यादा है। अफगानिस्‍तान में बहुत बड़ी तादाद में ताजिक मूल के लोग रहते हैं। तजाकिस्‍तान तालिबान को रोकने के लिए तैयार है लेकिन पाकिस्‍तान के इशारे पर तालिबानी सरकार के खिलाफ कोई सुरक्षा अलायंस नहीं बनाने जा रहा है। भारत और तजाकिस्‍तान के बीच दशकों पुरानी दोस्‍ती है और अब तालिबान सरकार तथा नई दिल्‍ली के बीच दोस्‍ती भी मजबूत हो रही है।

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