भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई (RBI) ने बुधवार को चालू वित्त वर्ष 2021-22 (FY22) के लिए आर्थिक वृद्धि के अनुमान को 10.5 फीसदी पर बरकरार रखा. आरबीआई ने कहा कि कोविड-19 संक्रमण में बढ़ोतरी ने आर्थिक वृद्धि दर में सुधार को लेकर अनिश्चितता पैदा की है.
जीडीपी ग्रोथ अनुमान 10.5% पर कायम
अपनी ताजा मौद्रिक नीति समीक्षा में, आरबीआई ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए जीडीपी वृद्धि दर के 10.5 फीसदी पर रहने का अनुमान जताया. बता दें कि पिछली पॉलिसी मीट में भी आरबीआई ने वित्त वर्ष 2022 के लिए जीडीपी ग्रोथ अनुमान 10.5 फीसदी ही दिया था.
समीक्षा में कहा गया कि विभिन्न कारकों को ध्यान में रखते हुए वास्तवित जीडीपी वृद्धि के 2021-22 में 10.5 फीसदी पर रहने का अनुमान है, जो पहली तिमाही में 26.2 फीसदी, दूसरी तिमाही में 8.3 फीसदी, तीसरी तिमाही में 5.4 फीसदी और चौथी तिमाही मे 6.2 फीसदी रह सकती है.
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति समिति (MPC) के फैसलों की घोषणा करते हुए कहा, ”सभी की सहमति से यह भी निर्णय लिया कि टिकाऊ आधार पर वृद्धि को बनाए रखने के लिए जब तक जरूरी हो, उदार रुख को बरकरार रखा जाएगा और अर्थव्यवस्था पर कोविड-19 के असर को कम करने के प्रयास जारी रहेंगे.”
रेपो रेट 4 फीसदी पर बरकरार
आरबीआई ने रेपो रेट को 4 फीसदी पर अपरिवर्तित रखने का फैसला किया, लेकिन साथ ही अर्थव्यवस्था को समर्थन देने के लिए जरूरत पड़ने पर आगे कटौती की बात कहकर उदार रुख को बरकरार रखा. दास ने कहा कि केंद्रीय बैंक प्रणाली में पर्याप्त नकदी सुनिश्चित करेगा, ताकि उत्पादक क्षेत्रों को ऋण आसानी से मिले. आरबीआई ने कहा कि हालांकि मैन्युफैक्चरिंग, सेवाओं और इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्रों की कंपनियां मांग में बढ़ोतरी को लेकर आशावादी हैं, लेकिन दूसरी ओर कोविड-19 संक्रमण के मामले बढ़ने से उपभोक्ता विश्वास कमजोर हुआ है.