विदेश

इमिग्रेशन नियमों में सख्ती से भारतीयों की परेशानी बढ़ी, इंडियन कपल को अमेरिका से वापस लौटाया

वॉशिंगटन
अमेरिका में अपने बच्चों से मिलने आए भारतीय माता-पिता को कथित तौर पर एयरपोर्ट में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी गई और उन्हें वापस भारत भेज दिया गया। एम9 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यह मामला नेवार्क एयरपोर्ट का है। रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय माता-पिता बी-1/बी-2 वीजा पर अमेरिका पहुंचे थे। उन्हें इसलिए प्रवेश से वंचित कर दिया गया क्योंकि उन्होंने पहले से वापसी की उड़ान टिकट बुक नहीं की थी। माता-पिता अमेरिका में अपने बच्चो के साथ पांच महीने तक रहने की योजना बना रहे थे।

रिपोर्ट के मुताबिक, पोर्ट ऑफ एंट्री पर आव्रजन अधिकारी ने उन्हें सूचित किया कि नए 2025 नियमों के तहत अब वापसी टिकट अनिवार्य है। उनके अनुरोध के बावजूद, माता-पिता को सीधे एयरपोर्ट से भारत वापस भेज दिया गया। रिपोर्ट के मुताबिक, यह अभूतपूर्व स्थिति है क्योंकि इस बात की कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है कि अमेरिका आने वाले आगंतुकों के लिए वापसी टिकट अनिवार्य है।

आव्रजन अधिकारी ने क्या कहा?

इस मामले में आव्रजन अधिकारी ने कहा कि नए 2025 नियमों के अनुसार, आगंतुकों को अमेरिका में वापसी टिकट के साथ आना चाहिए। रिपोर्ट में बताया गया है कि पोर्ट ऑफ एंट्री पर परिवर्तनों के बारे में सूचित किया गया, लेकिन इस बारे में कोई पूर्व सूचना या स्पष्टीकरण नहीं दिया गया कि क्या बदल गया या निकट भविष्य में क्या बदल सकता है। इस घटना ने ऐसे सवालों को जन्म दिया कि पोर्ट ऑफ एंट्री पर और क्या अप्रत्याशित उपाय लागू किए जा सकते हैं।

अवैध प्रवासियों पर ट्रंप सरकार का एक्शन

बता दें कि हाल ही में अमेरिका में दूसरी बार राष्ट्रपति बने डोनाल्ड ट्रंप भी आव्रजन के मामले में काफी सख्त नजर आ रहे हैं। आव्रजन संबंधी नियमों का उल्लंघन न हो, अधिकारी यह सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहे हैं। वहीं, अमेरिका में बिना कानूनी स्थिति वाले लोगों के खिलाफ बड़े पैमाने पर निर्वासन का अभियान चलाया जा रहा है। वाइट हाउस के अनुसार, 538 अवैध प्रवासियों को गिरफ्तार भी किया गया है और उनमें से सैकड़ों को निर्वासित किया गया है। वाइट हाउस के अनुसार, ये वो लोग हैं जो अवैध आप्रवासी अपराधी हैं, जो गंभीर अपराधों में शामिल रहे हैं।

बी-1/बी-2 विजिटर वीजा पर अपने बच्चों से मिलने आए एक भारतीय जोड़े को वापसी टिकट न दिखाने के कारण अमेरिका में एंट्री से रोक दिया गया. उन्हें एयरपोर्ट से ही वापस भारत लौटा दिया गया. अमेरिकी अधिकारियों ने इसके पीछे तर्क देते हुए कहा कि अमेरिका के 2025 के इमिग्रेशन नियमों के तहत अमेरिका में विजिटर वीजा पर आए लोगों के पास वापसी का टिकट होना जरूरी है.

बिना बताए नियम में बदलाव से बनी भ्रम की स्थिति

रिटर्न टिकट जरूरी बनाए जाने के नियम ने यात्रियों के बीच चिंता पैदा कर दी है. भारतीय कपल को इस बात की जानकारी नहीं थी कि अगर उनके पास रिटर्न टिकट नहीं है तो उन्हें अमेरिका में एंट्री नहीं मिलेगी और इस बारे में कोई पूर्व सूचना भी नहीं दी गई थी. इस वजह से यात्री भ्रम की स्थिति में हैं.

इस नियम के अचानक लागू होने से कई यात्री यह भी सोच रहे हैं कि इसके बाद और अधिक कड़े इमिग्रेशन नियम बनाए जा सकते हैं. अमेरिकी इमिग्रेशन अधिकारियों की तरफ से सूचना की कमी की वजह से लोग और परेशान हो रहे हैं.

भारत सरकार ने यात्रियों को दी ये सलाह

अमेरिका में इमिग्रेशन निममों में हो रहे अप्रत्याशित बदलाव को देखते हुए भारत सरकार ने यात्रियों से अतिरिक्त सावधानी बरतने का आग्रह किया है. सरकार ने कहा है कि प्रस्थान से पहले यात्री अपने सभी डॉक्यूमेंट्स जैसे वापसी टिकट और ट्रैवल प्लान का सबूत लेना सुनिश्चित करें.

यात्रियों को यह भी सलाह दी गई है कि वे नए इमिग्रेशन नियमों के बारे में जानने के लिए आधिकारिक सरकारी वेबसाइट और ट्रैवल एजेंटों से परामर्श लें.

ट्रंप की सख्त नीतियों ने बढ़ाई भारतीयों की चिंता

ट्रंप ने आते ही एच-1बी वीजा प्रोग्राम में बदलाव के संकेत दिए हैं. उन्होंने कहा है कि इस वीजा के जरिए देश में ऐसे विदेशी ही आने चाहिए जो अपने काम में कुशल हैं. ट्रंप ने जन्म से मिलने वाली नागरिकता को भी समाप्त करने का आदेश दिया है जिससे अमेरिका में रहने वाले हजारों भारतीयों की मुश्किलें बढ़ गई हैं.

20 जनवरी को पद ग्रहण करते ही ट्रंप ने आदेश जारी कर जन्मसिद्ध नागरिकता के अधिकार को समाप्त करने का आदेश जारी किया. उन्होंने आदेश को लागू करने के लिए 20 फरवरी तक का वक्त दिया. इसे देखते हुए जो भारतीय महिलाएं अपनी प्रेग्नेंसी के 7वें या 8वें हफ्ते में हैं, वो समय से पहले सी-सेक्शन डिलीवरी करा रही है.

प्रेग्नेंट भारतीय महिलाएं 20 फरवरी से पहले अपने बच्चे को जन्म देना चाहती हैं ताकि उनके बच्चा और वो अमेरिकी नागरिकता से वंचित न रह जाए.

इधर, अमेरिका की कई जिला अदालतों ने ट्रंप के आदेश पर अस्थायी रोक लगा दी है. अदालतों ने ट्रंप के आदेश को असंवैधानिक करार दिया है.

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