देश

सुप्रीम कोर्ट में सेकुलर प्रॉपर्टी कानून की मांग उठाते हुए एक मुस्लिम महिला ने याचिका दायर की

नई दिल्ली
देश भर में यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर डिबेट जारी है। इस बीच सुप्रीम कोर्ट में सेकुलर प्रॉपर्टी कानून की मांग उठाते हुए एक मुस्लिम महिला ने याचिका दायर की है। इस पर शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। महिला ने अदालत में अपील की है कि यदि कोई मुस्लिम चाहे तो उसे उत्तराधिकार कानून के तहत प्रॉपर्टी में अधिकार दिया जाए। इस पर बेंच ने केंद्र सरकार से पूछा है कि कैसे एक मुस्लिम को शरिया कानून की बजाय सेकुलर कानून के तहत प्रॉपर्टी में अधिकार दिया जा सकता है। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अगुवाई वाली बेंच ने अगली सुनवाई की तारीख 5 मई तय की है। यह अर्जी केरल की रहने वाली महिला साफिया ने दायर की थी। महिला का कहना है कि वह अपनी पूरी संपत्ति बेटी को देना चाहती है।

महिला का कहना है कि मेरा बेटा मनमौजी है और बेटी ही मेरी देखभाल करती है। इसलिए मैं अपनी सारी संपत्ति उसके ही नाम करना चाहती हूं। लेकिन इसमें दिक्कत यह आ रही है कि वह शरिया कानून के तहत ऐसा नहीं कर सकती। मुस्लिम पर्सनल लॉ के अनुसार यदि पैतृक संपत्ति का बंटवारा होता है तो फिर बेटे को बेटी के मुकाबले दोगुना हिस्सा मिलता है। मान लीजिए कि किसी परिवार में एक बेटा है और एक बेटी है तो बंटवारे में बेटे को 66 फीसदी हिस्सा मिलेगा और बेटी को 33 फीसदी। यही वजह है कि महिला अपनी संपत्ति बेटी के नाम नहीं कर पा रही है क्योंकि मुस्लिम लॉ के अनुसार बेटे का दो तिहाई संपत्ति पर अधिकार है।

महिला का कहना है कि उसे शरीयत कानून में विश्वास नहीं है और वह चाहती है कि उस पर उत्तराधिकार कानून लागू हो। अब अदालत ने इस पर केंद्र सरकार की राय मांगी है। एक्स-मुस्लिम्स ऑफ केरल की महासचिव और अलाप्पुझा की रहने वाली सफिया पीएम ने यह याचिका दाखिल की, जिस पर चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने सुनवाई की।

केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि याचिका में दिलचस्प सवाल उठाया गया है। उन्होंने कहा, 'याचिकाकर्ता महिला जन्म से मुस्लिम है। अब उसका कहना है कि वह शरीयत में विश्वास नहीं करती है और उसे लगता है कि यह पिछड़ा कानून है।' मेहता ने इस मुद्दे पर जवाबी हलफनामा दायर करने के लिए एससी से तीन सप्ताह का समय मांगा। पीठ ने उन्हें चार हफ्ते का समय दिया और कहा कि मामले की अगली सुनवाई 5 मई से शुरू होने वाले सप्ताह में होगी।

महिला ने आधिकारिक तौर पर नहीं छोड़ा इस्लाम
सुप्रीम कोर्ट इस याचिका पर पिछले साल 29 अप्रैल को भी केंद्र और केरल सरकार से जवाब मांग चुका है। याचिकाकर्ता का कहना है कि उसने आधिकारिक तौर पर इस्लाम नहीं छोड़ा है। मगर, वह इसमें विश्वास नहीं करती और अनुच्छेद 25 के तहत धर्म के अपने मौलिक अधिकार को लागू करना चाहती है। याचिका में कहा गया कि 'विश्वास न करने का अधिकार' भी शामिल होना चाहिए। उसने मांग रखी की कि जो व्यक्ति मुस्लिम पर्सनल लॉ से शासित नहीं होना चाहता, उसे देश के धर्मनिरपेक्ष कानून (भारतीय उत्तराधिकार अधिनियम, 1925) से शासित होने की अनुमति दी जानी चाहिए।

PRATYUSHAASHAKINAYIKIRAN.COM
Editor : Maya Puranik
Permanent Address : Yadu kirana store ke pass Parshuram nagar professor colony raipur cg
Email : puranikrajesh2008@gmail.com
Mobile : -91-9893051148
Website : pratyushaashakinayikiran.com