मार्च महीने में सरकार को थोक महंगाई दर (WPI) के मोर्चे पर झटका लगा है. आठ साल की ऊंचाई पर थोक मंहगाई दर पहुंच गई है. मार्च में थोक महंगाई दर फरवरी के 4.17 फीसदी से बढ़कर 7.39 फीसदी पर आ गई है. आपको बता दें थोक महंगाई का ये स्तर मार्च 2021 से पहले अक्टूबर 2012 में था. इस समय मुद्रास्फीति 7.4 फीसदी पर थी. कच्चे तेल और मेटल की बढ़ती कीमतों के कारण थोक कीमतों पर असर देखने को मिला है.
महीनें दर महीनें आधार पर मार्च में खाद्य थोक महंगाई फऱवरी के 3.31 फीसदी से बढ़कर 5.28 फीसदी पर रही है. वहीं, फ्यूल और पावर महंगाई फरवरी के 0.58 फीसदी से बढ़कर 10.25 फीसदी पर आ गई है.
डब्ल्यूपीआई मुद्रास्फीति में लगातार तीसरे महीने बढ़ोतरी हुई है. वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने कहा, ‘‘मुद्रास्फीति की वार्षिक दर मार्च 2020 के मुकाबले मार्च 2021 में 7.39 फीसदी थी.’’
कैसा रहा दाल और सब्जियों का हाल
मार्च में दाल की महंगाई फरवरी के 10.25 फीसदी से बढ़कर 13.14 फीसदी पर आ गई है. वहीं, प्याज की महंगाई फरवरी के 31.28 फीसदी से घटकर 5.15 फीसदी पर रही है. मार्च में दूध की महंगाई फरवरी के 3.21 फीसदी से घटकर 2.65 फीसदी पर रही है. वहीं, अंडा, मीट, मछली महंगाई फरवरी के -0.78 फीसदी से बढ़कर 5.38 फीसदी रही है
पेट्रोल-डीजल और बिजली का हाल
पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों के कारण मार्च में ईंधन और बिजली की मुद्रास्फीति 10.25 फीसदी रही, जो फरवरी में 0.58 फीसदी थी. इस सप्ताह की शुरुआत में जारी आंकड़ों के अनुसार मार्च में खुदरा मुद्रास्फीति चार महीने के उच्च स्तर 5.52 फीसदी पर पहुंच गई थी.