देश में कोरोना (Corona) ने कोहराम मचा रखा है. अस्पतालों में न तो बेड है और न ही ऑक्सीजन. कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच एंटीवायरल दवा रेमडेसिविर (Remdesivir) की डिमांड भी लगातार बढ़ती जा रही है. अधिकांश राज्यों में आसानी से यह इंजेक्शन (Injection) नहीं मिल रहा है. जहां मिल भी रहा है वहां इसे हासिल करने के लिए लोगों को 20 से 40 हजार रुपये कीमत चुकानी पड़ रही है. इतना ज्यादा रुपये देने के बाद भी लोगों को नकली रेमडेसिविर मिलने की खबरें लगातार बढ़ती जा रही हैं. ऐसे में जरूरी है कि नकली रेमडेसिविर की पहचान कैसे की जाए.
रेमडेसिविर के पैकेट के ऊपर की कुछ गलतियों को पढ़कर असली और नकली का फर्क आसाने से लगाया जा सकता है. 100 मिलीग्राम का इंजेक्शन सिर्फ पाउडर के तौर पर ही शीशी में रहता है. इंजेक्शन के सभी शीशी पर Rxremdesivir लिखा रहता है. यही नहीं इंजेक्शन के बॉक्स के पीछे एक बार कोड भी बना होता है. दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच की डीसीपी मोनिका भारद्वाज ने एक ट्वीट के जरिए असली और नकली रेमडेसिविर के बारे में जानकारी दी है.
बताया गया है कि रेमडेसिविर के पैकेट पर अंग्रेजी में For use in लिखा है जबकि नकली रेमडेसिविर बनाने वाले गिरोह ने इसे छापा तो है लेकिन कुछ इस तरह से लिखा है for use in. मतलब नकली वाले में कैपिटल लेटर से शुरुआत नहीं हो रही है. असली पैकेट के पीछे चेतावनी लाल रंग से है जबकि नकली पैकेट पर चेतावनी काले रंग से दी गई है.
रेमडेसिविर में अंग्रेजी की तमाम गलतियां देखने को मिल रही है. अगर इस डिब्बे को ध्यान से पढ़ा जाए तो इन गलतियों का आसानी से पता चल जाता है. असली रेमडेसिविर इंजेक्शन के कांच की शीशी काफी हल्की होती है. ऐसे में जरूरी है कि इन बातों का ध्यान रखा जाए.