उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने पश्चिम बंगाल में रियल एस्टेट क्षेत्र के विनियमन संबंधी राज्य के कानून को मंगलवार को निरस्त कर दिया और कहा कि यह कानून ‘असंवैधानिक’ है. सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक ये केंद्र के रियल एस्टेट (विनियमन एवं विकास) कानून (रेरा) का अतिक्रमण करता है.
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने कहा कि पश्चिम बंगाल आवासीय उद्योग विनियमन कानून, 2017 केंद्र के रेरा से काफी हद तक मिलता-जुलता है और इसलिए यह संसद के कानून के साथ विरोध की स्थिति पैदा करता है. फैसले में कहा गया, ‘राज्य के कानून ने संसद के अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण किया है.’
अदालत ने कहा कि आज के फैसले से पहले राज्य कानून के तहत घर खरीद चुके लोगों को चिंता करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि उनका पंजीकरण एवं अन्य कानून वैध रहेंगे. न्यायालय ने घर खरीदने वालों के संघ ‘फोरम फॉर पीपल्स कलेक्टिव एफर्ट्स’ की उस याचिका पर यह फैसला सुनाया, जिसमें पश्चिम बंगाल उद्योग विनियमन कानून, 2017 की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई थी.
RERA एक सेंट्रल एक्ट है जो Real Estate Regulation & Development Act का शॉर्ट फॉर्म है. ये एक्ट पिछले साल लागू हुआ था. मकसद था, कि रियल एस्टेट मामले में जो गैर-कानूनी प्रैक्टिस चल रही है, जैसे मकान मिलने में देरी, निर्माण के लिए घटिया क्वालिटी के सामान यूज होना या बेवजह कीमत बढ़ा देना, इन्हें रोका जा सके. जून 2019 से इसे देश के सभी राज्यों में लागू होना था और सभी राज्यों में इसकी वेबसाइट भी बननी थी.