भोपाल नगर निगम ने अब 10 तारीख तक जलकर नहीं भरने पर 15% जुर्माना वसूलने का आदेश दिया है। कोरोना काल में माफी की उम्मीद कर रहे शहर के लिए यह बड़ा झटका है। नगर निगम में प्रशासकीय कार्यकाल चल रहा है और कोरोना काल में भी दंड वसूली का यह सख्त आदेश मप्र सरकार द्वारा नियुक्त प्रशासक के संकल्प के आधार पर निकाला गया है। इस मामले में निगम कमिश्नर का कहना है कि अधिभार पहली बार नहीं लगा रहे हैं। इसे हटाने का अधिकार सरकार के पास है। गौरतलब है पिछली बार सरकार ने कई राहतें दी थी, इस बार कोई विचार नहीं किया है।
लोग इसका विरोध कर रहे हैं। उन्होंने इसे शर्मनाक बताते हुए सोशल मीडिया पर पोस्ट करना शुरू कर दी है। लोगों का कहना है कि लोग तंगी में है और इन्हें जेबें भरने की पड़ी है। दूसरी तरफ इंदौर में एक दिन पहले ही कुछ नेताओं ने टैक्स में राहत की मांग की है लेकिन भोपाल में नेताओं की चुप्पी ने सवाल खड़े कर दिए हैं। आने वाले समय में नगर निगम चुनाव भी होने हैं, ऐसे में प्रशासक का यह फैसला भाजपा की मुश्किल बढ़ा सकता है। वर्तमान प्रशासक के जरिए पूरा नियंत्रण सरकार के पास ही है।
46 करोड़ टैक्स मिला था पिछले साल
नगर निगम द्वारा जारी आदेश में साफ कहा गया है कि यह आदेश प्रशासक कवींद्र कियावत के संकल्प के आधार पर यह फैसला किया गया है। निगम के एक अधिकारी ने बताया कि निगम को जल प्रभार से 2020-21 में 46 करोड़ रुपए की राशि प्राप्त हुई थी। इसके पहले वर्ष 2019-20 में 39 करोड़ रुपए की राशि प्राप्त हुई थी। भोपाल में घरेलू जल कनेक्शन के करीब 2 लाख 20 हजार उपभोक्ता है। इनमें प्रतिमाह 180 रुपए प्रति कनेक्शन शुल्क लिया जाता है। इसके अलावा करीब 1500 सोसायटियों को बल्क कनेक्शन दिए गए है। जिनसे 1 हजार लीटर पर 14 रुपए 10 पैसे के हिसाब से बिल वसूल किया जाता है। इसके अलावा कमर्शियल कनेक्शन भी है।
जनता बोली-जनता भूखों मर रही, आप अपनी जेबें भरने में लगे
– नवरत्न सारस्वत ने बीएमसी के सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर लिखा कि बीएमसी करो। इस समय जनता भूखों मर रही है और आप अपनी जेबें भरने में लगे हैं। बेशर्म लोगों की फौज इकट्ठा कर ली है।
– वहीं, मनोरहलाल नाम के नागरिक ने अपनी प्रतिक्रिया दी है कि कोरोना कॉल में लॉकडान वाला कर्फ्यू चल रहा है। लोगों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। गरीब जनता जलकर की राशि कहां से भरे। बावजूद बहुत ही शर्मनाक निगम द्वारा जलकर राशि समय पर जमा नहीं करने वालों के ऊपर 15 प्रतिशत राशि अधिभार लगाने के आदेश जारी किए हैं। यह जनता से अन्याय है।
जिम्मेदार बोले – हटाना हमारे अधिकार में नहीं
नगर निगम आयुक्त केवीएस चौधरी ने कहा कि जलप्रभार पर अधिभार पहली बार नहीं लगाया गया है। यह पहले से चला आ रहा है। हमने जनता को राहत देने के लिए 7 तारीख की जगह 10 तारीख कर दिया है। इसको हटाने का अधिकार नगर निगम के पास नहीं है। यह सरकार के पास है।
इंदौर में राहत की मांग उठी, भोपाल में चुप्पी
निकाय टैक्स में राहत देने को लेकर इंदौर में कांग्रेस नेताओं ने निगमायुक्त प्रतिभा पाल से मुलाकात की है। आश्वासन मिला है। इधर, भोपाल में टैक्स पर जुर्माने के आदेश के बावजूद भाजपा-कांग्रेस नेता चुप हैं।
वसूली पूरी करने का मार्च एंडिंग के बाद लाॅकडाउन का फाॅर्मूला तो नहीं?
पिछली बार केंद्र सरकार ने मार्च एंड में लॉकडाउन कर दिया था इससे राज्य सरकार और नगर निगमों का वसूली बजट गड़बड़ा गया था। सबसे ज्यादा रिकवरी मार्च एंडिंग में आती है। इस बार सरकार ने कथित चतुराई दिखाते हुए केस बढ़ने के बावजूद सख्त लॉकडाउन मार्च के बाद लगाया। लॉकडाउन के बीच आर्थिक संकट न आए, इस बात से जोड़कर देखा जा रहा है। ऐसा अधिकतर सरकारों ने किया।