गुजरात के मोरबी से जबलपुर सहित कई राज्यों में फैले नकली रेमडेससिविर इंजेक्शन ने कई लोगों की जान ली है। सिटी अस्पताल में भर्ती कई मरीजों की जान गई। अब उनके अपनों का दावा है कि उनकी मौत नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन के चलते ही हुई है। ऐसे लोग ओमती थाने में FIR दर्ज कराने पहुंच रहे हैं। SIT भी ऐसे परिवारों के बयान दर्ज करने में जुटी है। सिटी अस्पताल में अपने अपनों को खो चुके दो परिवार वालों ने सुप्रीम कोर्ट में भी मामला लगाते हुए CBI जांच की मांग की है। अब ताजा घटनाक्रम में माढ़ोताल क्षेत्र की रहने वाली नीतू शिवहरे नाम की महिला सामने आई है।
ASP रोहित काशवानी को दी गई शिकायत में बताया कि एक अप्रैल को उसने पति मनोज शिवहरे को सिटी अस्प्ताल में भर्ती करवाया था। उन्हें मामूली बुखार था। मनोज शिवहरे के भर्ती होते ही इलाज के नाम पर रुपए की वसूली शुरू हो गई। पहले ढाई लाख रुपए जमा करवाए गए। इस दौरान चार रेमडेसिविर इंजेक्शन लगाए गए। नौ अप्रैल को उनकी तबियत बिगड़ी और मौत हो गई।
मंडला के किराना व्यापारी से वसूले 6 लाख 83 हजार रुपए
सिटी अस्पताल के लालच का शिकार मंडला निवासी किराना व्यापारी जगदीश भी बना। उसके परिवार वालों ने ओमती थाने में शिकायत दर्ज कराई है कि 19 दिन तक जगदीश को अस्पताल में भर्ती रखा गया। अस्पताल ने इस दौरान 6 की बजाए 9 रेमडेसिविर इंजेक्शन लगा दिए। इसका बिल 6 लाख 83 हजार रुपए वसूले गए। इसके बावजूद जगदीश को अस्पताल प्रबंधन नहीं बचा पाया।
पिता ने बताया कि कैसे अस्पताल में चला खेल
जगदीश के पिता टेकचंद वीरानी ने अस्पताल की लूट के बारे में बताया तो उनकी आंखें नम हो गईं। उनका दावा है कि 22 अप्रैल को सिटी अस्पताल में भी ऑक्सीजन की कमी से 5 मौतें हुई, लेकिन उसे दबा दिया गया। बेटे जगदीश को उन्होंने 21 अप्रैल को भर्ती कराया था। अस्पताल से सिर्फ आश्वासन और बिल जमा करने की बात ही कही जाती रही। नौ मई को आखिरकार उसने दम तोड़ दिया।
सपन की गिरफ्तारी के बाद हटाया गया नकली इंजेक्शन
टेकचंद वीरानी के मुताबिक सात मई को जब गुजरात पुलिस सपन को गिरफ्तार कर ले गई, तो सिटी हॉस्पिटल मे हड़कंप मचा हुआ था। सिटी अस्पताल की मैनेजर सोनिया खत्री दवाईयों को कार्टून में भर-भरकर अस्पताल से बाहर भिजवा रही थीं। रात भर यह भागदौड़ चलती रही।
दूसरे दिन उन्हें पता चला कि अस्पताल में नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन लगाए गए थे। आरोप लगाया कि उसके बेटे की मौत भी इसी नकली इंजेक्शन से हुई है। जगदीश उनका इकलौता बेटा था। उसकी 6 साल की बेटी की जिम्मेदार अब उनके बूढ़े कंधों पर आ गई है।
परिवार वालों की शिकायत को भी एसआईटी ने जांच में लिया
सिटी अस्प्ताल के कारनामों को उजागर करने के लिए गठित SIT भी ऐसे पीड़ित परिवार वालों के बयान दर्ज कर रही है। SIT प्रभारी IPS रोहित काशवानी के मुताबिक इस मामले में जो भी तथ्य व साक्ष्य आएंगे, उसे जांच में शामिल किया जाएगा। SIT में शामिल भेड़ाघाट TI शफीक खान सहित पांच लोगों की टीम ने शुक्रवार को नरसिंहपुर में तीन पीड़ित परिवार वालों के घर पहुंच कर उनके बयान दर्ज किए हैं।
विदेशों में घूमने का शौकीन है सरबजीत
सिटी हॉस्पिटल का संचालक सरबजीत सिंह ने चंद सालों में ही अकूत संपत्ति बना ली हे। बड़े नेताओं और प्रशासनिक अधिकारी उसकी पार्टी में शोभा बढ़ाते थे। बड़ी पार्टियां करना और विदेशों में घूमना उसका शौक है। उसकी संपत्ति का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि सिटी हॉस्पिटल, सिटी पैलेस होटल, पेट्रोल पंप, फॉर्म हाउस, कई बिल्डिंग के प्रोजेक्ट और शहर के कई पॉश इलाकों में उसकी जमीनें हैं। इसके अलावा दमोह में एक बड़े अस्पताल का निर्माण अभी जारी है। जबलपुर में ही दो अस्पताल बनाकर वह बेच चुका है। उसके पास कई लग्जरी गाड़ियां हैं। पॉश सोसाइटी में उसका बंगला है।
250 बिस्तर का है उसका सिटी अस्पताल
शहर में निजी हाॅस्पिटल के टॉप थ्री में शामिल सिटी अस्पताल में 250 बेड है। इसमें 150 बेड उसने कोविड के लिए आवंटित कर रखा था। 120 बेड इसमें ऑक्सीजन सपोर्ट वाले और 30 बेड वेंटीलेटर वाले हैं। कोविड मरीजों के इलाज पर उसने पांच से 10 लाख रुपए तक बिल वसूले हैं। बावजूद वह नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन के धंधे में उतर कर मरीजों की जान से खिलवाड़ करता रहा।
नेताओं को करता था फाइनेंस
मोखा के कई नेताओं से मधुर संबंध हैं। चुनाव में वह बड़ा फाइनेंसर है। दबी जुबान चर्चा इस बात की भी है कि उसके कारोबार में कई सफेदपोश पार्टनर भी हैं। इसका खुला आरोप BJP के गोटेगांव विधायक जालम सिंह पटेल खुलेआम लगा चुके हैं। यहीं कारण है कि मोखा हर बार पुलिस की गिरफ्त से बच जाता रहा है। गिरफ्तारी से पहले मोखा विहिप का नर्मदा जिलाध्यक्ष था। बाद में इसे हटाया गया। पूर्व में विहिप के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके प्रवीण तोगड़िया तक उसके यहां आ चुके हैं। हालांकि गिरफ्तारी के बाद कई नेता उसके साथ के फोटो और पोस्ट सोशल मीडिया से हटा रहे हैं।
चंदा देने में आगे
सरबजीत मोखा अपने काले कारनामों को छुपाने के लिए समाजसेवा का भी लबादा ओढ़े था। चंदा देने में भी वह आगे रहा। राम मंदिर निर्माण के लिए एकत्र किए जा रहे धन संग्रह में उसने 25 लाख का चंदा दिया था। यहीं नहीं करमेत में तैयार 500 बेड के कोविड केयर सेंटर के लिए उसने सांसद निवास पर कोविड के लिए जिला प्रभारी बनाए गए मंत्री अरविंद भदौरिया की मौजूदगी में 10 लाख रुपए रेडक्रॉस को दिए थे।
मोखा सहित तीन पर दर्ज है FIR
नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन गुजरात से लाकर मध्य प्रदेश में खपाने वाले सपन जैन को 6 मई को गुजरात पुलिस ने आधारताल से गिरफ्तार किया था। इसके बाद सरबजीत मोखा और देवेश चौरसिया को ओमती पुलिस ने गिरफ्तार किया। तीनों के खिलाफ ओमती थाने में 500 नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन खपाने का प्रकरण दर्ज है। इसी की जांच के लिए 20 सदस्यीय SIT गठित की गई है।