स्वास्थ्य

हॉस्पिटल में आ रहे हार्ट अटैक के मामलों को देखें तो पता चलता है कि इसके लिए कोई एक कारण जिम्मेदार नहीं: डॉक्टर

नई दिल्ली
हार्ट अटैक के जोखिम बढ़ने के बारे में कार्डियोलॉजिस्ट डॉ नरेंद्र एन. सिंह बताते हैं, हॉस्पिटल में आ रहे हार्ट अटैक के मामलों को देखें तो पता चलता है कि इसके लिए कोई एक कारण जिम्मेदार नहीं है। अपनी सेहत को लेकर अलर्ट रहें और डॉक्टर की सलाह पर नियमित अंतराल पर फुल बॉडी चेकअप जरूर कराते रहें। हार्ट अटैक वैश्विक स्तर पर बढ़ती स्वास्थ्य समस्या है, जो समय के साथ अब स्वास्थ्य विशेषज्ञों के लिए गंभीर चिंता का कारण बनती जा रही है। ये अब सिर्फ उम्र बढ़ने के साथ होने वाली समस्या नहीं रह गई है, कम उम्र के लोग (यहां तक कि 20 से भी कम उम्र में) भी हार्ट अटैक का शिकार देखे जा रहे हैं। हाल ही के दो मामलों ने स्वास्थ्य विशेषज्ञों को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या ये समस्या महामारी का रूप ले लेगी?

पहला मामला मध्यप्रदेश के इंदौर का है। यहां द्वारकापुरी क्षेत्र में एक 18 साल के युवक की हार्ट अटैक से मौत हो गई थी। रात को उसे सीने में तेज दर्द उठा और घबराहट महसूस हुई। परिजन उसे अस्पताल लेकर पहुंचे, लेकिन डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। मेडिकल रिपोर्ट में मौत की वजह हार्ट अटैक बताई। परिजनों बताया कि रामनवमी की पूर्व संध्या पर घर में पूजा रखी थी। अर्जुन भी उसमें शामिल हुआ था। रात तक वह सामान्य नजर आ रहा था, लेकिन रात ढाई बजे वह जागा और सीने में दर्द की बात करने लगे। कुछ देर बाद वह बेहोश हो गया था। दूसरा मामला महाराष्ट्र के धाराशिव जिले के शिंदे कॉलेज का है जहां फेयरवेल के दौरान मंच पर स्पीच दे रही 20 वर्षीय छात्रा की अचानक गिरने के बाद मौत हो गई। वायरल वीडियो में वर्षा स्पीच दे रही होती है लेकिन कुछ ही पलों में मंच पर गिर जाती हैं। अस्पताल ले जाने पर डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित किया, मौत का कारण हार्ट अटैक बताया जा रहा है।

हार्ट अटैक के बढ़ते मामलों ने डराया
पिछले कुछ वर्षों के डेटा पर नजर डालें तो पता चलता है कि खेलते-दौड़ते, ऑफिस में आराम से काम करते-करते कई लोगों की हार्ट अटैक या कार्डियक अरेस्ट से मौत हुई है। आश्चर्यजनक रूप से इसमें बड़ी संख्या ऐसे लोगों की भी है जिनकी उम्र 30 से कम है। जब भी बात हृदय को स्वस्थ रखने की आती है तो लोगों को आहार को ठीक रखने और नियमित व्यायाम करने की सलाह दी जाती है। हालांकि पिछले दिनों में कुछ ऐसी भी खबरें सामने आईं जिसमें नियमित योग करने वाले और शारीरिक रूप से फिट रहने वाले खिलाड़ियों को भी हार्ट अटैक हुआ।
 
फिटनेस को लेकर अलर्ट रहने वालों में हार्ट अटैक के बढ़ते मामले
मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध योग गुरु और वरिष्ठ पशु चिकित्सक डा. पवन सिंहल की हाल ही में साइलेंट हार्ट अटैक से मौत हो गई। डॉ. पवन सिंहल अपनी सादगी और स्वस्थ जीवन शैली के लिए मशहूर थे। डॉ. सिंहल ने वर्ष 2022 में 11 घंटे में 100 किमी की दौड़ का रिकॉर्ड बनाया था। वह नियमित रनिंग और योग करते थे। इसी तरह एक अन्य मामले में बांग्लादेश के पूर्व क्रिकेटर तमीम इकबाल को भी एक मैच के दौरान हार्ट अटैक हुआ, तुरंत उपचार मिलने के कारण वह फिलहाल ठीक हैं।
फिटनेस एक्सपर्ट्स और खिलाड़ियों को हार्ट अटैक होने की घटनाओं ने लोगों के मन में कई तरह के सवाल खड़े कर दिए हैं। आखिर ये मामले इतनी तेजी से क्यों बढ़ते जा रहे हैं।

क्या कहते हैं स्वास्थ्य विशेषज्ञ?
हार्ट अटैक के जोखिम बढ़ने के बारे में कार्डियोलॉजिस्ट डॉ नरेंद्र एन. सिंह बताते हैं, हॉस्पिटल में आ रहे हार्ट अटैक के मामलों को देखें तो पता चलता है कि इसके लिए कोई एक कारण जिम्मेदार नहीं है। लाइफस्टाइल और खान-पान की गड़बड़ी तो इसे बढ़ा ही रही है साथ ही काम के दबाव में लोगों की बढ़ती शारीरिक निष्क्रियता को भी इसका एक कारण माना जा सकता है। जिम जाने वाले लोगों में भी इसके मामले बढ़े हैं, इसके लिए बिना प्रशिक्षक या फिर शरीर की जांच के तेज स्तर के व्यायाम करना एक कारण हो सकता है। तेज स्तर के व्यायाम के दौरान खून का संचार को बढ़ जाता है हालांकि कई मामलों में देखा गया है कि इसके साथ मुख्य धमनियों से जुड़ी कोलेट्रल वेसल्स यानी छोटी-छोटी नसें समय पर नहीं खुल पाती हैं। ये रक्त के प्रवाह को हार्ट के कुछ हिस्सों में बाधित कर सकती हैं जिससे हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है।

अगर आप भी जिम जाते हैं तो एक बार कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर की जांच जरूर कराएं। अक्सर इन पर लोगों का ध्यान नहीं जाता है। हाई कोलेस्ट्रॉल के लक्षण भी बहुत स्पष्ट नहीं होते, ऐसे में अगर आप तीव्र व्यायाम करते हैं तो इससे रक्त का प्रवाह तेज होने से धमनियों पर दबाव बढ़ता है जिससे भी आपको हार्ट अटैक हो सकता है। अपनी सेहत को लेकर अलर्ट रहें और डॉक्टर की सलाह पर नियमित अंतराल पर फुल बॉडी चेकअप जरूर कराते रहें, ताकि शरीर में होने वाली समस्याओं का समय रहते पता लगाया जा सके।

 

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