ज्योतिष

हनुमान जयंती पर इस शुभ मुहूर्त में करें बजरंगबली की पूजा

देश भर में हनुमान जयंती बड़े ही धूम धाम से मनाई जाती है. कथाओं के अनुसार, हनुमान जी की जन्म चैत्र माह शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को राजा केसरी और माता अंजनी के घर हुआ था. कहते हैं हनुमान जी अराधाना करने से व्यक्ति को सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है. दरअसल, बजरंगबली को अष्ट सिद्धियां और नौ निधि का वरदान प्राप्त है, जिससे वह अपने सभी भक्तों की विपत्तियों को समाप्त कर देते हैं. मान्यता है कि हनुमान जन्मोत्सव के दिन भगवान राम, माता सीता और हनुमान जी की पूजा करने व्यक्कि की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

हनुमान जयंती शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, हनुमान जन्मोत्सव पर पूजा करने का शुभ अभिजित मुहूर्त सुबह 11 बजकर 56 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 48 मिनट तक रहेगा. इस दौरान भक्त बजरंग बली की विधि-विधान से पूजा कर सकते हैं.

हनुमान जयंती पूजा विधि

हनुमान जयंती के दिन हनुमान जी के साथ भगवान राम और माता सीता की पूजा की जाती है. इस दिन सुबह उठकर स्नान कर लाल रंग के वस्त्र पहने. उसके बाद हनुमान जी को सिंदूर, लाल रंग के फूल, तुलसी दल, चोला और बूंदी के लड्डू का प्रसाद अर्पित करें. उसके बाद मंत्र जाप करें. फिर हनुमान चालीसा और सुंदरकांड का पाठ करें. अंत में आरती करें और सभी में प्रसाद वितरित करें.

इन चीजों का लगाएं भोग

हनुमान जयंती के दिन बजरंगबली को प्रसन्न करने से लिए पान का प्रसाद, गुड़ और चना, नारियल, केले, केसर का मीठा चावल, खीर और जलेबी का भोग लगाना शुभ होता है.

हनुमान जी के मंत्र

    ऊं हं हनुमते नम:
    ऊं हं पवन नन्दनाय स्वाहा
    ऊं नमो भगवते हनुमते नम:
    ऊं हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट
    ॐ नमो भगवते पंचवदनाय पूर्वकपिमुखाय ठं ठं ठं ठं ठं सकल शत्रु संहारणाय स्वाहा ||
    अंजनी गर्भ संभूताय कपीन्द्र सचिवोत्तम रामप्रिय नमस्तुभ्यं हनुमान रक्ष रक्ष सर्वदा
    जल खोलूं जल हल खोलूं खोलूं बंज व्यापार आवे धन अपार। फुरो मंत्र ईश्वरोवाचा हनुमत वचन जुग जुग सांचा।
    अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता, अस बर दीन जानकी माता

हनुमान जी की आरती

आरती कीजै हनुमान लला की।

दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।

आरती कीजै हनुमान लला की।

दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।

जाके बल से गिरिवर कांपे।

रोग दोष जाके निकट न झांके।

अंजनि पुत्र महाबलदायी।

संतान के प्रभु सदा सहाई।।

आरती कीजै हनुमान लला की।

दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।

दे बीरा रघुनाथ पठाए।

लंका जारी सिया सुधि लाए।

लंका सो कोट समुद्र सी खाई।

जात पवनसुत बार न लाई।

आरती कीजै हनुमान लला की।

दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।

लंका जारि असुर संहारे।

सियारामजी के काज संवारे।

लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे।

आनि संजीवन प्राण उबारे।

आरती कीजै हनुमान लला की।

दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।

पैठी पाताल तोरि जमकारे।

अहिरावण की भुजा उखारे।

बाएं भुजा असुरदल मारे।

दाहिने भुजा संत जन तारे।

आरती कीजै हनुमान लला की।

दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।

सुर-नर-मुनि जन आरती उतारें।

जय जय जय हनुमान उचारें।

कंचन थार कपूर लौ छाई।

आरती करत अंजना माई।

आरती कीजै हनुमान लला की।

दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।

लंकविध्वंस कीन्ह रघुराई।

तुलसीदास प्रभु कीरति गाई।

जो हनुमानजी की आरती गावै।

बसी बैकुंठ परमपद पावै।

आरती कीजै हनुमान लला की।

दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।

आरती कीजै हनुमान लला की।

दुष्ट दलन रघुनाथ कला की।।

हनुमान जयंती का महत्व

हिंदू धर्म में हनुमान जी को 8 चिरंजीवियों में से एक माना जाता है. कहते हैं वह आज भी पृथ्वी पर मौजूद हैं. धार्मिक मान्यता के अनुसार, हनुमान जयंती के दिन विधि-विधान से पूजा करने से व्यक्ति को हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है, जिससे उसके जीवन के सभी कष्ट और संकट दूर होते हैं. इस दिन पूजा में उन्हें फूल, माला, सिंदूर चढ़ाने के साथ बूंदी या बेसन के लड्डू, तुलसी दल अर्पित करने से वह प्रसन्न होते हैं.

RO No. 13169/ 31

RO No. 13098/ 20

4
2
5
3
6

PRATYUSHAASHAKINAYIKIRAN.COM
Editor : Maya Puranik
Permanent Address : Yadu kirana store ke pass Parshuram nagar professor colony raipur cg
Email : puranikrajesh2008@gmail.com
Mobile : -91-9893051148
Website : pratyushaashakinayikiran.com

जनसम्पर्क विभाग – आरएसएस फीड