पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता की सड़कें सुनसान हैं, आसमान में बारिश वाले बादलों के साथ अंधेरा छा गया है. शहर के अस्पताल कोविड-19 रोगियों से भरे हुए हैं. राज्यभर में ज्यादातर ब्लड बैंक और वैक्सीनेशन सेंटर बंद पड़े हैं. इस बीच एक विनाशकारी ‘बहुत गंभीर’ चक्रवाती तूफान भी तबाही मचाने के लिए आ रहा है.
साइक्लोन और कोविड-19
चक्रवात अम्फान के विपरीत पश्चिम बंगाल के तटीय जिलों से
निकाले जा रहे लोगों को संक्रमण के डर से ज्यादा लोगों को शिविरों में नहीं रखा जा सकता है. बंगाल अपनी जनसंख्या के अनुपात में मुश्किल से ही कोरोना टेस्टिंग कर पा रहा है, ऐसे में कोरोना के अज्ञात मामलों की आशंका और भी अधिक बढ़ जाती है.
राज्य के तीन तटीय जिलों दक्षिण 24-परगना, उत्तर 24-परगना और पूर्वी मिदनापुर से लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया गया है. इन जिलों में इस सप्ताह में ही कोविड-19 से 100 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. जिला प्रशासन के अधिकारियों ने कहा कि पिछले साल राज्यभर में आए चक्रवात अम्फान की तुलना में, सामाजिक दूरी सुनिश्चित करने के लिए पांच गुना अधिक अस्थायी घरों की व्यवस्था की गई है.
‘द टेलीग्राफ’ की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि मुख्य रूप से तीन जिलों में कम से कम 3,000 इमारतों को विस्थापितों को आश्रय देने के लिए चुना गया है. पहले सिर्फ 1000 लोगों को ही दो मंजिला स्कूल की इमारत में रखने की व्यवस्था थी.
चक्रवात अम्फान के दौरान राज्य सरकार ने इसके तटीय क्षेत्रों में आने से पहले लगभग 1.5 लाख लोगों को निकालकर सुरक्षित जगहों पर पहुंचा दिया था. इस बार सरकार ने चक्रवात यास के नवीनतम रिपोर्ट के आधार पर कम से कम 3.5 लाख लोगों को दूसरी जगह शिफ्ट करने की योजना बनाई है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि चक्रवात यास का प्रभाव अम्फान से भी ज्यादा गंभीर हो सकता है. लिहाजा किसी तरह की लापरवाही नहीं बरती जा सकती. ममता बनर्जी इससे पहले गृहमंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में हुई मीटिंग राहत फंड को लेकर केंद्र सरकार पर पक्षपात का आरोप लगा चुकी है.
वहीं, यास तूफान को लेकर ममता बनर्जी ने कहा कि अस्पतालों और वैक्सीन केंद्रों के लिए व्यापक योजनाएं अपनाई गई हैं. डायरिया, बुखार, सांप के काटने पर सभी प्रकार की दवाओं को तैयार रखने के लिए कहा गया है. उन्होंने कहा कि कम से कम 1,000 बिजली बहाली टीमों को तैयार रखा गया है और एक बार चक्रवात थमने के बाद वे काम करना शुरू कर देंगे.
ब्लड बैंक में स्टॉक हो रहा खत्म
इस बीच तृणमूल कांग्रेस सरकार के सूत्रों ने खुलासा किया कि पार्टी ने जिलों के कैडरों को रक्तदान शिविर लगाने के लिए कहा है, क्योंकि उनमें से लगभग 90 प्रतिशत ब्लड बैंक कोरोना की दूसरी लहर के कारण बंद हो गए थे. सोमवार तक राज्य भर में रोजाना की जरूरत का सिर्फ एक तिहाई खून ही लिया जा रहा था. खून की कमी के कारण सरकारी अस्पतालों में विभिन्न सर्जरी में देरी हो रही है.
. एक अस्पताल प्रशासन ने बताया कि जिन मरीजों को खून की जरूरत है, उनसे अपने साथ एक डोनर लाने का आग्रह किया जा रहा है. हालांकि, लॉकडाउन और कोरोना के कारण कई डोनर घर से निकलने में हिचक रहे हैं. वहीं, कोरोना के इलाज में कारगर दवा रेमडेसिविर और ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर की कालाबाजारी भी राज्य के लिए एक बड़ी चुनौती है.
टेस्टिंग में कमी, ग्रामीण इलाकों में सीमित वैक्सीन
बंगाल में दूसरी बड़ी समस्या कोरोना टेस्टिंग की दर में कमी है. रोजाना तकरीबन 10,000 तक ही टेस्टिंग हो रही है. यह शायद ही राज्य की आबादी के अनुपात में है. सिर्फ टेस्ट ही नहीं, टीकाकरण के मामले में भी बंगाल बहुत पीछे है. समाचार एजेंसी पीटीआई की एक रिपोर्ट में सीएम ममता बनर्जी के हवाले से कहा गया था कि उनकी सरकार ने बंगाल के लिए केंद्र सरकार से तीन करोड़ टीके मांगे हैं, जिनमें से एक करोड़ निजी अस्पतालों में वितरित किए जाएंगे.
20 मई तक कोलकाता के 30 प्रतिशत और चार जिलों में फैले आसपास के शहरी इलाकों में आंशिक रूप से टीकाकरण किया गया था. इसकी तुलना में 14 ग्रामीण जिलों में से सिर्फ सात में 10 फीसदी से कम टीकाकरण हुआ. जबकि, राज्य में रोजाना कोरोना के 20 हजार तक मामले आ रहे हैं और हर रोज 150 के आसपास मौतें हो रही हैं.