दुनिया के 3 अलग-अलग देशों में पर्यावरण संरक्षण को लेकर ऐतिहासिक फैसले आए हैं। पहला फैसला ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न की फेडरल कोर्ट ने लिया है। उसने कोयला खदान को लेकर सरकार के खिलाफ किए मुकदमे में याचिकाकर्ता 8 बच्चों के पक्ष में फैसला दिया है।
दूसरा बड़ा फैसला अमेरिका से आया है, जहां नामी तेल कंपनियों एक्सॉन मोबिल और शेवरॉन को निवेशकों ने फटकार लगाई। उन्हें ग्लोबल वॉर्मिंग पर जरूरी कदम न उठाने के लिए निवेशकों से फटकार पड़ी। इतना ही नहीं, बोर्ड के चुनाव में भी हार झेलनी पड़ी। तीसरा फैसला नीदरलैंड्स की कोर्ट ने दिया। इसमें पहली किसी कंपनी को अंतरराष्ट्रीय समझौते का पालन करने को कहा गया है।
ऑस्ट्रेलिया: अदालत बच्चों के साथ, खनन पर रोक
8 किशोरों ने कोयला खदान पर रोक को लेकर सरकार पर केस किया था। उन्होंने कहा था कि प्रदूषण से हमारी सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार की है। मेलबर्न कोर्ट के जज मोर्डेसाई ब्रोमबर्ग ने इनके पक्ष में फैसला दिया।
अमेरिका: तेल कंपनियों को निवेशकों की फटकार
एक्सॉन और शेवरॉन को निवेशकों ने ग्लोबल वॉर्मिंग पर ढिलाई को लेकर फटकार लगाई। उन्होंने बोर्ड में दो सीटें पर्यावरण कार्यकर्ताओं के हेज फंड को भी दे दी। वहीं, शेवरॉन के दो तिहाई निवेशकों ने उत्सर्जन घटाने का दबाव डाला है।
नीदरलैंड्स: शेल को 45% उत्सर्जन घटाने के आदेश
कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया। तेल कंपनी शेल और अन्य को पेरिस समझौते का पालन करते हुए 10 साल में उत्सर्जन 45% घटाने को कहा। उसके जीवाश्व ईंधन निकालने पर भी रोक लगाई। कोर्ट ने कहा कि यह बात पूरी दुनिया पर लागू होती है।