केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने टैक्सपेयर्स को बड़ी राहत दी है. CBDT ने वित्तीय वर्ष 2021 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने की समय सीमा बढ़ा दी है. वित्त वर्ष 2020-21 की चौथी तिमाही के लिए टीडीएस स्टेटमेंट 30 जून तक बढ़ा दिया गया है. पहले टीडीएस दाखिल करने की अंतिम तिथि 31 मई थी. टैक्सबड्डी डॉट कॉम के संस्थापक सुजीत बांगर ने कहा, “यह टीडीएस कटौती करने वालों के लिए एक बड़ी राहत है क्योंकि इन रिटर्न में बहुत सारे रिकॉर्ड और डेटा को सही ढंग से रिपोर्ट करना होता है.”
विभाग के सर्कुलर के मुताबिक, TDS फाइल करने की अंतिम तिथि 30 जून तक बढ़ाने के साथ ही सीबीडीटी ने फॉर्म-16 जारी किए जाने की अवधि भी 15 जून से बढ़ाकर 15 जुलाई 2021 कर दी है.
TDS रिटर्न फाइल करते समय याद रखने योग्य मुख्य बातें-
1) इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करते समय अपनी कमाई के सभी सोर्स के बारे में सही जानकारी देना अनिवार्य है. इसमें आपके पहले नियोक्ता, मौजूदा नियोक्ता, इन्वेस्टमेंट आदि से होने वाली कमाई शामिल होती है. अगर कोई सोर्स के बारे में जानकारी नहीं दी गई है तो टीडीएस सर्टिफिकेट और फॉर्म 26AS में यह साफ तौर पर दिख जाएगा. ऐसा करने पर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट जांच के बाद टैक्स डिमांड नोटिस भेज सकता है ताकि टैक्सपेयर अतिरिक्त बकाया टैक्स जमा कर सके
2) यदि किसी का हर वर्ष में 50,000 रुपये से अधिक टीडीएस काटा जाता है और उस व्यक्ति ने पिछले दो वर्षों में टीडीएस फाइल नहीं किया है तो रिटर्न दाखिल करते समय सरकार ज्यादा टीडीएस चार्ज करेगी. बजट 2021 में, आय की निश्चित नेचर वाले मामलों पर उच्च दर पर टीडीएस काटने के लिए एक नया सेक्शन 206AB पेश किया गया था, जिनमें पिछले दो वर्षों की आय का रिटर्न दाखिल नहीं किया और हर वर्ष में काटा गया टीडीएस 50,000 रुपये से अधिक है. टीडीएस की दर निम्न सीमा से अधिक होगी 1. संबंधित अनुभाग/प्रावधान के तहत निर्दिष्ट दर से दोगुना 2. लागू दर/दरों का दोगुना या 3. 5% की दर.
3) यदि आईटीआर दाखिल करते समय नकद में देय कर की राशि 1 लाख रुपये से अधिक है, तो सेक्शन 234A के तहत पेनल इंटरेस्ट आईटीआर दाखिल करने की मूल देय तिथि से लागू होगा.
4) एक टैक्सपेयर को इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते समय अपने सभी बैंक अकाउंट के बारे में जानकारी देनी है है. हालांकि, इसमें निष्क्रिय बैंक अकाउंट को नहीं शामिल किया जाता है. टैक्सपेयर उस बैंक अकाउंट को भी चुन सकते हैं, जिसमें वो टैक्स रिटर्न प्राप्त करना चाहते हैं. आमतौर पर टैक्सपेयर यह मानकर चलते हैं उनके द्वारा प्राप्त सभी तरह के डोनेशन 100 फीसदी टैक्स फ्री होते हैं. हालांकि, यह सही नहीं है. कुछ डोनेशन पर केवल 50 फीसदी ही टैक्स छूट मिलती है.