मध्यप्रदेश में प्री-मानसून की गतिविधि लगभग हर दिन जारी है। पिछले चार दिनों से बादल दोपहर से छा जाते हैं। फिर शाम होते-होते बरस पड़ते हैं। गुरुवार को भी ऐसा ही हुआ। दोपहर 3 बजे अचानक से काले घने बादल आसमान पर छाए। आंधी के साथ तेज बारिश शुरू हो गई। शुरुआत में तो यह आधे शहर में थी, लेकिन धीरे-धीरे पूरा इंदौर भीग गया।
इसी तरह, छिंदवाड़ा में भी दोपहर आंधी से साथ तेज बारिश हुई। भोपाल में बादल छाए हुए हैं। रात तक बूंदाबांदी की संभावना मौसम विभाग ने जताई है। बाकी जगह, गुना, ग्वालियर, जबलपुर, होशंगाबाद, सागर और खंडवा में मौसम सामान्य है।
इंदौर में ओले और तेज आंधी के साथ शुरू हुई बारिश से 20 से ज्यादा पेड़ धराशायी हो गए। शहर के ज्यादातर इलाकों में बिजली गुल हो गई। तेज बारिश के कारण ज्यादातर जगहों पर बीआरटीएस ने नालों का रूप ले लिया। यहां एक से दो फीट तक पानी भर गया। मौसम विशेषज्ञों की मानें तो बंगाल की खाड़ी और अरब सागर तरफ से नमी मिलने की वजह से बादल बरस रहे हैं। जून के शुरुआत से ही बारिश के कारण तापमान 38 डिग्री के आसपास बना हुआ है। रात का पारा भी 21.8 डिग्री रिकार्ड हुआ।
जानकारी अनुसार प्री-मानसून की अवधि में ही अब तक 1.5 इंच बारिश हो चुकी है। हालांकि यह बारिश पूरे शहर में एक जैसी नहीं हुई। टुकड़ों में शहर भीगा। पिछले की बात की जाए तो इस अवधि केवल बूंदाबांदी ही हुई थी। सात जून के बाद से बारिश तेज हुई थी, जबकि इस बार नौतपा के दूसरे दिन से ही बारिश हो रही है।
नौतपा में औसत 1 से 3 डिग्री तक कम रहा तापमान
नौतपा के आठ में से तीन दिन अधिकतम तापमान औसत से 3 डिग्री तक कम होकर 36 डिग्री रिकार्ड हुआ। जबकि बाकी बचे पांच दिन में तापमान सामान्य से 1 डिग्री कम होकर 39 डिग्री रिकाॅर्ड हुआ। इस तरह पिछले एक दशक में पहला ऐसा नौतपा रहा, जिसमें तापमान औसत से कम रहा।
36 डिग्री के साथ शुरू हुआ था मई
पहले मई में एक भी दिन अधिकतम तापमान सामान्य नहीं रहा, बल्कि सामान्य से 1 से 5 डिग्री तक कम ही रिकॉर्ड हुुआ। इसके पीछे दो बड़े कारण तूफान ताऊ ते और यस रहा है। मई की शुरुआत 36 डिग्री तापमान के साथ हुई थी। आखिरी के दिनों में तापमान 42 से 43 के बीच रिकॉर्ड होता है, लेकिन इस बार मई का समापन भी 37 डिग्री के साथ हो रहा है। बीते दिनों में ही 1.3 इंच बारिश भी हो चुकी है। प्री-मानसून की इस गतिविधि को देखते हुए सक्रिय मानसून 13 जून के आसपास घोषित हो सकता है। इस अवधि में 4 इंच के आसपास पानी गिरा, लगातार पश्चिमी हवाएं आती रहीं, नमी भी 70 फीसदी तक बनी रही तो मानसून की आमद मान ली जाती है।