मध्यप्रदेश

नक्सलियों को सेना की 70 AK-47 राइफलें देने वाले 8 तस्करों को लाए बगैर ही जबलपुर पुलिस ने चालान पेश किया, पूछताछ भी नहीं

देश की सेना द्वारा इस्तेमाल की जाने वाले एके-47 राइफल की तस्करी को लेकर मध्यप्रदेश पुलिस गंभीर नहीं है। सेना के जबलपुर ऑर्डिनेंस डिपो से 70 एके-47 राइफलें चोरी के मामले में पुलिस आज तक पूछताछ पूरी नहीं कर पाई है। रिकॉर्ड में आठ आरोपियों को फरार बताकर टाला जा रहा है जबकि ये सभी आरोपी बिहार की जेल में बंद हैं। ढाई साल इन्हें नहीं लाया जा रहा है। कार्रवाई के नाम पर प्रोडक्शन वारंट ही जारी कराती रही, जबकि खुद यहां की पुलिस वहां से ट्रांसफर रिमांड पर ला सकते हैं। इसने कई सवाल खड़े कर दिए हैं।

गोरखपुर पुलिस ने बिहार के मुंगेर में 29 अगस्त 2018 को तीन एके-47 के साथ दबोचे गए इमरान के खुलासे के बाद 5 सितंबर को पंचशील नगर निवासी रिटायर्ड आर्मरर पुरुषोत्तम को दबोचा था। इसके अगले दिन पुलिस ने उसके बेटे शीलेंद्र और जयप्रकाश नगर अधारताल निवासी सेंट्रल ऑर्डिनेंस डिपो (सीओडी) में स्टोर मैनेजर सुरेश ठाकुर को गिरफ्तार किया गया था। 7 सितंबर 2018 को पुलिस ने पुरुषोत्तम की पत्नी चंद्रवती को गिरफ्तार किया था।

पुलिस की पूछताछ में बिहार के नौ आरोपियों की भूमिका आई थी सामने
गोरखपुर थाना पुलिस और क्राइम ब्रांच की संयुक्त टीम ने इस मामले की विवेचना शुरू की। विवेचना में मुंगेर (बिहार) के मिर्जापुर बरदह निवासी माेहम्मद इरमान, उसकी पत्नी सादारिफत, नियाजुल रहमान, मोहम्मद तनवीर आलम, मोहम्मद रिजवान भुट्टो, अजमेरी बेगम, रिजवाना बेगम, मोहम्मद शमशेर, मोहम्मद इरफान आलम की भूमिका सामने आई थी।


दिसंबर 2018 में कोर्ट में पेश कर दिया था चालान
इस हाइप्रोफाइल प्रकरण की जांच में बिहार के आरोपियों से पूछताछ में कई अहम खुलासे होने की उम्मीद थी। पर गोरखपुर पुलिस ढाई साल में मोहम्मद इमरान की पत्नी सादारिफत को ही गिरफ्तार कर पाई। दरअसल उसने हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका लगाई थी। पेशी पर आने के दौरान उसे पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। अन्य 8 आरोपियों को लाए बिना ही गोरखपुर पुलिस ने दिसंबर 2018 में मामले में कोर्ट में 173(8) में चालान पेश कर दिया। ये आरोपी रिकॉर्ड में आज भी फरार बताए जा रहे हैं। इससे जांच और पूछताछ पर असर पड़ सकता है।

प्रोडक्शन वारंट ही जारी कराती रही है पुलिस
गोरखपुर थाने में पदस्थ एसआई बृजभान सिंह वर्तमान में इस मामले की विवेचना कर रहे हैं। उनके मुताबिक आरोपियों को एमपी लाने के लिए कई बार कोर्ट से प्रोडक्शन वारंट जारी कराया गया। मुंगेर की जेल में तामीली भी कराई गई, लेकिन आरोपी नहीं लाए जा सके। पिछली बार प्रोडक्शन वारंट कोर्ट में लगाया था, लेकिन ये नहीं मिला। एक बार फिर से आरोपियों को लाने के लिए कोर्ट से प्रोडक्शन वारंट जारी कराएंगे।
पुरुषोत्तम के घर से ये हुई थी जब्ती
जबलपुर के पंचशील नगर गोरखपुर निवासी पुरुषोत्तम रजक के मकान की तलाशी में इंसास रायफल की एक मैग्जीन, एके-47 के तीन कारतूस, रायफल का एक स्टर्ड नट, नौ रायफल के स्प्रिंग, रायल की एक एल्यूमीनियम की बट प्लेट, रायफल की चार लोहे की ट्रेगर स्प्रिंग, चार ट्रेगर क्लिप, चार स्क्रू, दो बोल्ट, दो वाईसर, रायफल की मरम्मत किए जाने वाले अन्य सामान मिले। अंग्रेजी शराब की 14 बॉटल और 8 बीयर की बॉटल जब्त हुआ था। एके-47 के कई पार्ट्स आरोपी ने पत्नी व बेटे की मदद से एक सितंबर को गौर नदी में फेंक दिया था। वहीं सुरेश ठाकुर ने भी कुछ उपकरण तिलवारा में फेंक दिया था।


पार्ट्स के रूप में चुराकर असेम्बल कर तस्करों के माध्यम से नक्सलियों को बेचा
जबलपुर स्थित सेना के डिपो (सीओडी) से सुरेश ठाकुर पार्ट्स के रूप में एके-47 चुराकर पुरुषोत्तम को देता था। अपने घर में पुरुषोत्तम इसे असेम्बल कर मुंगेर के इमरान व मोहम्मद शमशेर के तस्करों को पांच लाख रुपए में बेचता था। ये तस्कर इसे नक्सलियों से लेकर कोल माफिया और बदमाशों को मुंहमांगी कीमत पर बेचा था। 70 एके-47 में बिहार की पुलिस और एनआईए की टीम 22 ही बरामद कर पाई है। एनआईए इस मामले में पटना की स्पेशल कोर्ट में अपनी जांच पूरी कर चार्जशीट दाखिल कर चुकी है। एएसपी गोपाल खांडेल के मुताबिक आरोपियों को लाने फिर से प्रोडक्शन वारंट जारी करा रहे हैं। इसके बाद आरोपियों को यहां लाया जाएगा।

ये 8 आरोपी, जो बिहार जेल में बंद हैं
मुंगेर (बिहार) के मिर्जापुर बरदह निवासी माेहम्मद इरमान, नियाजुल रहमान, मोहम्मद तनवीर आलम, मोहम्मद रिजवान भुट्टो, अजमेरी बेगम, रिजवाना बेगम, मोहम्मद शमशेर, मोहम्मद इरफान आलम मुंगरे की जेल में बंद हैं। इनसे जबलपुर पुलिस को पूछताछ करनी है।

यह होता है प्रोडक्शन वारंट

दूसरे जिले या राज्य की जेल में बंद आरोपी को कोर्ट में पेश करने के लिए प्रोडक्शन वारंट जारी किया जाता है। यह वारंट वहां के जेल अधीक्षक को भेजा जाता है। उस जिले की पुलिस वारंट जारी करने वाले कोर्ट में आरोपी को पेश करती है। इसके बाद यहां की पुलिस आरोपी को रिमांड या कस्टडी में लेती है।

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