मध्यप्रदेश

गिरफ्तारी से पहले सरबजीत मोखा की मोबाइल पर CSP से देर रात 3 बजे बातचीत होती रही; मोबाइल जब्त नहीं करके फंसी पुलिस

नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन मामले में गिरफ्तार सिटी हॉस्पिटल का संचालक और विहिप नेता सरबजीत मोखा के गुम मोबाइल में कई लोगों के राज दफन हो गए हैं। अब इस बात की जांच हो रही है कि उसका मोबाइल सचमुच गायब हुआ है या फिर इसे कुछ लोगों ने अपना राज उजागर होने की डर से गायब करवा दिया।

SIT सूत्रों के मुताबिक मोखा का मोबाइल भले ही जब्त नहीं हो पाया, लेकिन उसके CDR ने कई की पोल खोल दी है। जांच में पता चला कि एक सीएसपी की मोखा से रात 3 बजे तक बात हुई थी। वहीं एएसपी स्तर के अधिकारी से भी मोखा की बात हुई थी। हालांकि तब मोखा के खिलाफ कोई प्रकरण दर्ज नहीं हुआ था। एफआईआर दर्ज होने के बाद जिस मोखा को गायब बताया जा रहा था। उसने खुद फोन कर पुलिस को अस्पताल में भर्ती होने की जानकारी दी थी। तब मोखा को भी यही लग रहा था कि अधिकारी और मददगार चेहरे उसे बचा लेंगे।

बहरहाल मोखा के गुमे मोबाइल की गुत्थी भले ही नहीं सुलझ पाई हो, लेकिन रविवार को माइलान कंपनी की ओर से पत्र भेजकर ये जरूर स्पष्ट किया गया है कि जो इंजेक्शन जबलपुर में जब्त हुए हैं, उस बैच नंबर (246039-ए) के इंजेक्शन कंपनी ने कभी वहां भेजे ही नहीं थे।

24 घंटे बाद मोखा के मोबाइल की आई थी सुध
मोखा को गिरफ्तार करने के 24 घंटे बाद जब वह जेल भेज दिया गया तब पुलिस को उसके मोबाइल की सुध आई जबकि इससे पहले पूरे समय वह क्राइम ब्रांच की निगरानी में सीएसपी व एएसपी की पूछताछ में रहा। वहां उससे कई दौर की पूछताछ हुई। पहले कोविड वार्ड में गिरफ्तारी के वक्त इस पर ध्यान नहीं दिया गया। फिर 24 घंटे की पूछताछ के दौरान भी किसी को मोबाइल की सुध नहीं आई। बहरहाल उसका मोबाइल न मिलने के बावजूद एसआईटी उसके खिलाफ तगड़े साक्ष्य जुटा चुकी है।

माइलान कंपनी का पत्र भी होगा अहम साक्ष्य
एएसपी रोहित काशवानी के मुताबिक रेमडेसिविर इंजेक्शन बनाने वाली माइलान कंपनी को पत्र लिखा गया था। इसी नाम के नकली इंजेक्शन सिटी अस्पताल में 171 मरीजों को लगाए गए थे। कंपनी ने पत्र में स्पष्ट कर दिया है कि जिस बैच नंबर का जिक्र किया गया है, उस बैच नंबर का इंजेक्शन उसने कभी जबलपुर में भेजा ही नहीं है। अब कंपनी नकली इंजेक्शन में मिले सफेद पाउडर की जांच करेगी कि इसमें क्या मिला है और यह कोविड मरीजों को किस तरह प्रभावित कर सकता है।

अस्पताल की गिरी साख, नहीं आ रहे नए मरीज
नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन के प्रकरण ने सिटी अस्पताल की साख गिरा दी है। अब नए मरीज के साथ-साथ पुराने मरीज भी जाने से कतरा रहे हैं। कोविड का इलाज पहले ही रोक दिया गया है। सामान्य बीमारी के इलाज कराने वाले भी नहीं जा रहे हैं। सिटी अस्पताल में कैंसर वाले मरीज ही जा रहे हैं। वहीं इक्का-दुक्का रूटीन चेकअप वाले मरीज पहुंच जाते हैं।

ये है नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन का मामला
1 मई को गुजरात पुलिस ने नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन का खुलासा किया था। 6 मई की रात जबलपुर से फार्मा कंपनी के संचालक सपन जैन को गिरफ्तार कर गुजरात ले गई। सपन ने सिटी अस्पताल के डायरेक्टर सरबजीत मोखा के कहने पर 500 नकली इंजेक्शन सप्लाई की बात का खुलासा किया। ओमती पुलिस ने सिटी अस्पताल के दवाकर्मी देवेश चौरसिया को दबोचा। इसके बाद सरबजीत मोखा, उसकी मैनेजर सोनिया खत्री, पत्नी जसमीत कौर, बेटे हरकरण मोखा, सपन जैन के एमआर दोस्त राकेश शर्मा को गिरफ्तार किया है। मोखा के खिलाफ एनएसए की भी कार्रवाई की है। चार आरोपी रीवा निवासी सुनील मिश्रा, सपन जैन, पुनीत शाह, कौशल वोरा से पूछताछ होनी है। अभी ये चारों आरोपी गुजरात की मोरबी पुलिस की कस्टडी में हैं। जबलपुर की एसआईटी ने प्रोडक्शन वारंट जारी कराया है।

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