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अब नहीं रुलाएगी प्याज, किसान और ग्राहकों को ऐसे होगा फायदा

अगर आलू (Potato) की पैदावार की बात करें तो यूपी (UP) का देश में पहला स्थान है. लेकिन प्याज (Onion) के मामले में यूपी पिछड़ा हुआ है. जरूरत का करीब 70 फीसद प्याज यूपी को महाराष्ट्र (Maharashtra), कर्नाटक, राजस्थान (Rajasthan) और मध्य प्रदेश से खरीदना पड़ता है. एक खास वक्त में प्याज के दाम बढ़ने पर प्याज और ज्यादा रुलाती है. लेकिन अब यूपी सरकार प्याज उगाने पर किसानों का ज्यादा मुनाफा कराएगी. वहीं यूपी में ही जरुरत का प्याज पैदा होने से ग्राहकों को भी महंगी प्याज नहीं खरीदनी पड़ेगी. एक हेक्टेयर में प्याज उगाने पर किसानों को 12 हजार रुपये की मदद दी जाएगी. वहीं सरकार ने जो नियम रखे हैं उसके मुताबिक गौतम बुद्ध नगर (Gautam Budh Nagar) के किसान भी अपने यहां प्याज उगा सकते हैं.

सरकार चाहती है ऐसी जगह उगाई जाए प्याज

यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने प्याज उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए एक हेक्टेयर में प्याज उगाने पर किसानों को 12 हजार रुपये की मदद का ऐलान किया है. लेकिन नियम यह है कि किसानों को ऐसी जमीन पर प्याज का उत्पादन करना होगा जहां बरसात का पानी न भरता हो. खेती-किसानी से जुड़े गौतम बुद्ध नगर के जानकारों की मानें तो उनके जिले में बहुत सारी जमीन ऐसी है जहां बरसात का पानी नहीं भरता है. ऐसे में उनके लिए प्याज की खेती बहुत ही फायदेमंद साबित होगी, क्योंकि दिल्ली-एनसीआर में कई बड़ी मंडियां उन्हें प्याज बेचने के लिए मिल जाएंगी.

एक साल में 15 लाख मीट्रिक टन प्याज खाता है यूपी
उद्यान विभाग के निदेशक आरके तोमर के अनुसार यूपी में हर साल करीब 15 लाख मीट्रिक टन प्याज की खपत होती है. जबकि रवि और खरीफ दोनों सीजन में मिलाकर यूपी में कुल 4.70 लाख मीट्रिक टन प्याज का ही उत्पादन होता है. जिसकी बड़ी वजह है कि अभी यूपी में सिर्फ 28,538 हेक्टेयर जमीन पर ही प्याज की खेती की जा रही है.

वहीं कृषि एक्सपर्ट के मुताबिक यूपी में प्याज उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए और जरूरत की 15 लाख मीट्रिक टन प्याज की खेती करने के लिए एक लाख हेक्टेयर जमीन की जरूरत है. जब एक लाख हेक्टेयर भूमि में प्याज की खेती होने लगेगी तो यूपी की जरूरत पूरी हो जाएगी और उसे दूसरे राज्यों से प्याज नहीं खरीदनी पड़ेगी.

यूपी के कृषि एक्सपर्ट ने इसके लिए एक योजना बनाई है. योजना के तहत ऐसे जिले जहां बरसात का पानी नहीं भरता है में प्याज का उत्पादन करने को प्राथमिकता दी जाएगी. एक्सपर्ट कमेटी ने इसके लिए गंगा किनारे बसे वाराणसी, जौनपुर, मिर्जापुर, गाजीपुर, कौशाम्बी, कानपुर, फतेहपुर, फर्रुखाबाद, कन्नौज, इटावा और बुंदेलखंड के जिलों को चुना है. साथ ही किसानों से भी अपील की है कि अगर उनके यहां ऐसी जमीन है जहां बरसात का पानी नहीं भरता है तो वो आगे आकर इस योजना में शामिल हो सकते हैं और सरकर की योजना का फायदा भी उठा सकते हैं.

उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों को बीज भी देगी सरकर

यूपी में प्याज की फसल बेहतर हो इसके लिए एग्रीफाउंड डार्क रेड, भीमा सुपर तथा लाइन 883 बीज किसानों को उपलब्ध कराए जा रहें हैं. इस बीज से बेहतर किस्म का प्याज किसानों को मिलेगा और प्रति हेक्टेयर क्षेत्र में ज्यादा प्याज की पैदावार होगी. अमूमन एक हेक्टेयर क्षेत्र में करीब 50 हजार रुपए की लागत से करीब 150 से 200 कुंतल प्याज की पैदावार होती है. इन बीजों के उपयोग से प्याज की पैदावार में इजाफा होगा और किसानों की आय भी बढ़ेगी. फ़िलहाल प्याज उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए शुरू किए गए इस प्रयोग को अगले रवी सीजन में भी लागू किया जाएगा, ताकि हर साल प्याज उत्पादन को बढ़ावा मिले और ज्यादा से ज्यादा किसान प्याज की खेती करने में उत्साह दिखाएं.

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