तमिलनाडु के रामेश्वरम में मछुआरों ने आरोप लगाया है कि जब वे पाल्क जलडमरूमध्य में मछलियां पकड़ रहे थे तो श्रीलंकाई नौसेनिकों ने लगभग एक-एक लाख रुपये मूल्य के मछली पकड़ने वाले करीब 30 जालों को क्षतिग्रस्त कर दिया और उनकी तरफ हथियार तानते हुए उनका पीछा किया. मछुआरों के संघ के प्रमुख सेसु राजा ने यहां कहा कि शनिवार रात को मछुआरे जब लगभग 597 नौकाओं में मछली पकड़ने के लिये निकले तो श्रीलंकाई नौसैनिकों बंदूकें तानते हुए उनका पीछा किया और ’’लगभग एक-एक लाख रुपये के मूल्य के जाल काट दिये. ’’
उन्होंने कहा कि श्रीलंकाई नौसैनिकों की ओर से भारतीय मछुआरों पर हमले बढ़ रहे हैं और वे मुश्किलों का सामना कर रहे हैं. राजा ने कहा, ’’हम अपनी नौका बेचने की कोशिश करें और यह पेशा छोड़ कुछ और काम करें, लेकिन नौकाओं का कोई खरीददार भी नहीं मिल रहा. ’’
उन्होंने कहा कि केन्द्र और राज्य सरकारों को मछुआरों, उनकी नौकाओं, जाल और अन्य सामान की सुरक्षा की गारंटी देनी चाहिये.
लगाते रहे हैं एक-दूसरे पर आरोप
इससे पहले इसी साल 18 जून को श्रीलंका के 13 स्थानीय मछुआरों के एक समूह ने दावा किया था कि मछली पकड़ने के जहाज ‘थुशान 1’ और ‘थुशान 2’ पर सवार होकर वे सात मई को समुद्र में उतरे थे और चार जून को डिगो गार्शिया के निकट अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्र में भारतीय नौसेना ने उनके साथ मारपीट की. इनमें से दो मछुआरों ने स्थानीय हीरू टीवी को बताया कि वह मछुआरे हैं, इसके बावजूद उन्होंने हमसे मादक पदार्थ मांगे.
भारतीय उच्चायोग ने मछुआरों के भारतीय नौसेना द्वारा उनके साथ मारपीट के दावे को खारिज किया. उच्चायोग की ओर से कहा गया कि 17 जून को मीडिया में आई खबरों में कहा गया कि भारतीय नौसेना ने श्रीलंका के मछुआरों के समूह पर हमला किया जो साफ झूठ है. इस तरह की कोई घटना नहीं घटी.