झारखंड के गिरिडीह जिले में देवरी प्रखंड के अति नक्सल प्रभावित इलाका भेलवाघाटी में वन विभाग (Forest Department) की जमीन पर दबंग और बिचौलिए धीरे-धीरे कब्जा कर रहे हैं. ये लोग इन जमीनों पर घर से लेकर पशुशेड तक बनवा रहे हैं. इसको लेकर स्थानीय ग्रामीणों में विरोध देखा जा रहा है. ग्रामीणों ने प्रशासन को आवेदन देकर इस सिलसिले में शिकायत दर्ज कराई है. बावजूद इसके अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है.
ग्रामीणों का आरोप है कि वनपाल महीने में एक बार आकर जमीन पर कब्जा करने वालों से पैसे लेकर चले जाते हैं. उनकी सहमती से वन विभाग की जमीन पर अवैध कब्जा का सिलसिला जारी है. ग्रामीणों ने बताया कि भेलवाघाटी पंचायत में वन विभाग की 165 एकड़ भूमि थी. लेकिन अवैध कब्जा के चलते मात्र 5 एकड़ भूमि बच गई है. सूचना एवं लिखित शिकायत देने पर भी कोई कार्रवाई नहीं होती है. इससे जमीन माफियाओं का मनोबल बढ़ा हुआ है.
गांववालों के मुताबिक ये लोग पहले अतिक्रमण वन भूमि पर कच्चे मकान का निर्माण करते हैं. फिर इसे अन्य ग्राहकों को बेच देते हैं. फर्जी कागजात जैसे हुकुमनामा, पर्चा या भूदान जैसे अन्य प्रकार से खरीदारों का अधिकार संबंधित कागजात किसी प्रकार बनवा देते हैं. अवैध तरीके से खरीदारी करने वाले लोग भी इस खेल में भू-माफियाओं का साथ देते हैं. ताकि उनसे कोई जमीन छीन नहीं सके.
नाम नहीं छापने की शर्त पर ग्रामीणों ने बताया कि वन भूमि की जमीन पर अतिक्रमण कराना और फिर इसे बेच देने का यह खेल वर्षों से जारी है. जंगलों से पेड़ों की अवैध कटाई भी की जा रही है. जिसके कारण इलाके में आरा मिलों की संख्या बढ़ती जा रही है. एक ओर जहां सरकार की ओर से पेड़ लगाओ पर्यावरण बचाओ का नारा दिया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से आरा मिल संचालकों द्वारा जंगल को निरंतर उजाड़ा जा रहा है.