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बॉम्बे HC में याचिका- अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए घातक हैं नए IT नियम, सुप्रीम कोर्ट में हो सकती है सुनवाई

बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay Highcourt) में सूचना एवं प्रौद्योगिकी (IT Rules) नियमावली, 2021 के प्रावधानों को चुनौती देने के उद्देश्य से दायर की गई दो याचिकाओं में सोमवार को कहा गया कि यह नियम ‘अस्पष्ट’ और ‘दमनकारी’ हैं. समाचार वेबसाइट ‘द लीफलेट’ और पत्रकार निखिल वागले की ओर से यह याचिकाएं दायर की गई हैं. याचिकाकर्ताओं ने अदालत में कहा कि आईटी नियमों का प्रेस तथा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर घातक असर होगा. द लीफलेट की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील डेरियस खम्बाटा ने चीफ जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस जीएस कुलकर्णी की पीठ से आग्रह किया कि नए नियमों पर तत्काल रोक लगाई जाए.

याचिकाकर्ताओं ने कहा कि नए नियमों के तहत नागरिकों और पत्रकारों द्वारा तथा डिजिटल समाचार वेबसाइट आदि पर प्रकाशित सामग्री पर कई पाबंदियां लगाई गई हैं. उन्होंने कहा कि सामग्री के नियमन और उत्तरदायित्व की मांग करना ऐसे मापदंडों पर आधारित है जो अस्पष्ट हैं और वर्तमान आईटी नियमों के प्रावधानों तथा संविधान प्रदत्त अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के परे हैं.

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर घातक असर- याचिका
खम्बाटा ने कहा, ‘ऐसा पहली बार हो रहा है कि सामग्री पर खुलकर प्रतिबंध लगाए जा रहे हैं. यह नियम आईटी कानून के मापदंडों से परे जाते हैं. यह नियम अनुच्छेद 19 के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के प्रावधानों से भी परे जाते हैं.’ उन्होंने कहा, ‘यह नियम अस्पष्ट और दमनकारी हैं. इससे लेखकों, प्रकाशकों, सामान्य नागरिकों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर घातक असर होगा जो इंटरनेट पर कुछ भी डाल देते हैं. यह नियम तर्क के परे हैं.’

वागले की ओर से पेश हुए वकील अभय नेवागी ने अदालत को बताया कि यह नियम अविवेकपूर्ण, अवैध और नागरिकों के निजता के अधिकार, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के विरुद्ध हैं. उधर, केंद्र के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने कहा है कि यह याचिका सुप्रीम कोर्ट के समक्ष जाएगी और मंगलवार को सुनवाई हो सकती है.

सिंह ने कहा कि केरल हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश पारित किए हैं. मद्रास हाईकोर्ट सहित दो अन्य हाईकोर्ट्स ने केंद्र को नोटिस जारी किया था और नियमों पर रोक नहीं लगाई थी. उन्होंने कहा कि नियमों के खिलाफ विभिन्न हाईकोर्ट्स में 15 याचिकाएं दायर की गई हैं, इसलिए केंद्र ने सभी को सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरित करने की मांग की थी.

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