दक्षिण चीन सागर (South China Sea) यानी SCS में अमेरिका और चीन के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है. साउथ चाइना सी में हाल ही में अमेरिका ने अपने दो एयरक्राफ्ट कैरियर और बड़ी संख्या में लड़ाकू विमान तैनात किए हैं. इससे घबराए चीन ने भी अब अपने कृत्रिम द्वीपों पर फाइटर जेट तैनात कर दिए हैं. चीन और अमेरिका के बीच चल रहे वार-पलटवार से इलाके में तनाव काफी बढ़ गया है.
अमेरिकी नौसेना के विध्वंसक यूएसएस बेनफोल्ड (USS Benfold) ने बुधवार को चीन में नानशा के रूप में जाने जाने वाले स्प्रैटली द्वीप समूह के करीब स्थित मिसचीफ रीफ को यह कहते हुए पार किया कि यह FONOP (नेविगेशन ऑपरेशन की स्वतंत्रता) का हिस्सा था. चीन इस बयान से भड़क गया है. उसने अमेरिका को शांति का सबसे बड़ा विध्वंसक करार दिया है.
यूएस 7वें फ्लीट के सार्वजनिक मामलों के अधिकारी लेफ्टिनेंट मार्क लैंगफोर्ड ने एक बयान में कहा,’8 सितंबर को यूएसएस बेनफोल्ड (डीडीजी 65) अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुरूप स्प्रैटली द्वीप समूह में नौवहन अधिकारों और स्वतंत्रता पर जोर देते हुए आगे तक गया. इस दौरान FONOP के तहत समुद्र के अधिकारों, स्वतंत्रताओं और वैध उपयोगों को बरकरार रखा गया. यूएसएस बेनफोल्ड ने प्रदर्शित किया कि मिसचीफ रीफ, जो अपनी प्राकृतिक अवस्था में कम ज्वार वाला है, अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत एक प्रादेशिक समुद्र के दायरे में नहीं आता.’
चीन स्प्रैटली द्वीप समूह सहित लगभग पूरे दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा करता है. वहीं, फिलीपींस, वियतनाम, मलेशिया और ब्रुनेई सहित इसके कई समुद्री पड़ोसी देश भी दक्षिण चीन सागर के द्वीपों और चट्टानों पर प्रतिस्पर्धी दावे करते आए हैं. रिंग के आकार की मिसचीफ रीफ फिलीपींस तट से लगभग 250 किमी दूर स्थित है. इसे लेकर अमेरिका और चीन में विवाद बढ़ा हुआ है.
बयान में आगे कहा गया, ‘जैसा कि समुद्री कन्वेंशन के कानून में परिलक्षित होता है, मिसचीफ रीफ अपने प्राकृतिक रूप से बनी है. इसपर भूमि सुधार के प्रयास, प्रतिष्ठान और संरचनाएं अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत इसकी विशेषता को नहीं बदलते हैं.’
2017 में यह बताया गया था कि चीन ने अपने दावे को प्रभावी ढंग से मजबूत करने के लिए मिसचीफ रीफ सहित स्प्रैटली द्वीप समूह पर कई सैन्य प्रतिष्ठान बनाए थे. विशेषज्ञों का मानना है कि चीन अमेरिकी विमानों का खतरा दिखाकर दक्षिण चीन सागर का सैन्यीकरण कर रहा है. इसी वजह से वह वूडी द्वीप पर और ज्यादा फाइटर जेट तैनात कर रहा है.
विशेषज्ञों का कहना है कि चीन हमेशा से ही इन कृत्रिम द्वीपों पर हथियार और फाइटर जेट तैनात करना चाहता था और अमेरिकी अभ्यास के बाद अब उसे ऐसा करने का मौका मिल गया है. अमेरिकी नौसेना के युद्धपोत अक्सर विवादित द्वीपों के पास जाते हैं, जिसकी चीन में तीखी आलोचना होती है.