संयुक्त राष्ट्र (UN) में भारत (India) ने एक बार फिर अफगानिस्तान (Afghanistan) में आतंकवाद (Terrorism) का मुद्दा उठाया है. भारत ने गुरुवार को कहा कि यह जरूरी है कि तालिबान अपने इस वादे पर बना रहे कि अफगान की मिट्टी का इस्तेमाल आतंकवाद के लिए नहीं होगा. इसके अलावा भारत ने उम्मीद जताई है कि तालिबान के शासन में अफगान के लोग बगैर रोक-टोक के अंतरराष्ट्रीय यात्राएं कर सकेंगे. तालिबान ने हाल ही में अफगानिस्तान में अपनी अंतरिम सरकार का ऐलान किया है. खास बात यह है कि इस कार्यवाहक सरकार में कई मंत्री नामित आतंकी हैं.
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थाई प्रतिनिधि टीएस त्रिमूर्ति ने 30 अगस्त के संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव की बात दोहराई, जिसमें कहा गया था कि अफगान क्षेत्र का उपयो किसी भी देश को डराने या उसपर हमला करने, आतंकियों को पनाह देने और आतंकी गतिविधियों को साजिश रचने या उन्हें आर्थिक मदद पहुंचाने के लिए नहीं होगा. भारत लगातार यूएन में आतंकवाद के मुद्दे पर अपनी चिंता जाहिर कर रहा है.
त्रिमूर्ति ने कहा, ‘इसने (प्रस्ताव) हमारे कई सामूहिक चिंताओं और विशेष रूप से आतंकवाद को ध्यान में रखा है. जहां यह कहा गया है कि तालिबान अफगान की मिट्टी का इस्तेमाल प्रस्ताव 1267 के तहत नामित आतंकियों और आतंकी समूहों समेत आतंकवाद के लिए नहीं होने देगा.’ उन्होंने कहा, ‘जैसा कि बीते महीने काबुल एयरपोर्ट पर आतंकी हमला देखा गया, अतंकवाद लगातार अफगानिस्तान के लिए बड़ा गंभीर खतरा बना हुआ है. इसलिए इस संबंध में किए गए वादों का सम्मान और पालन किया जाना चाहिए.’
भारत की अध्यक्षता के तहत अपनाए गए प्रस्ताव में तालिबान का नाम शामिल था और आतंकवाद को लेकर वादे को शामिल किया गया था. साथ ही इसमें तालिबान के बयान का भी जिक्र था, जिसमें कहा जा रहा था कि अफगान बगैर रोक-टोक के विदेश यात्रा कर सकेंगे. भारतीय पक्ष ने कहा, ‘हम उम्मीद करते हैं कि अफगान और विदेशी नागरिकों की सुरक्षित रवानगी समेत इन वादों का पालन होगा.’