राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने मंगलवार को कहा कि आज देश में वीर सावरकर के बारे में सही जानकारी का अभाव है. उन्होंने कहा कि देश को सावरकर के विचारों की जरूरत है. भागवत ने कहा कि देश में सावरकर जी को बदनाम करने की मुहिम चली थी. असली लक्ष्य स्वामी विवेकानंद स्वामी अरविंद पर लगेगा. सावरकर जी इनके विचार के कारण बने. सावरकर जी जोड़ने का प्रयास है. उन्होंने कहा कि भारतीय परंपरा में धर्म का मतलब जोड़ने वाला है इसे पूजा से नहीं जोड़ सकते हैं. आज की भाषा में मानवता है. वे हिंदुत्व शब्द का प्रयोग करते थे लेकिन इसे ऐसा नहीं समझा जाता था. आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने मंगलवार को विनायक दामोदर सावरकर पर लिखी गई एक पुस्तक का विमोचन के दौरान ये बातें कहीं.
भागवत ने आगे कहा सर सैयद अहमद खां का हिंदू महासभा द्वारा स्वागत किया गया और जब कहा गया कि वे पहले मुस्लिम बैरिस्टर थे तो उन्होंने अपने भाषण में कहा कि क्या मैं अलग हूं? बिस्मिल ने कहा था कि अगर मेरा पुनर्जन्म हो तो भारत मे ही हो. भारत से गए मुसलमान की प्रतिष्ठा पाकिस्तान में भी नहीं है. भारत मे सभी के पूर्वज एक ही हैं. आरएसएस प्रमुख ने कहा कि अंग्रेजों का मानना था कि अपनी लूट को जारी रखने के लिए इन्हें तोड़ना होगा. जब यह कोलाहल होने लगा कि हम एक नहीं बल्कि दो हैं तो कहना पड़ा कि पूजा के नाम पर विभेद नहीं करना चाहिए और इसलिए उन्होंने कठोर बात कही.
सबका हिंदुत्व एक है
भागवत ने कहा कि संसद में क्या होता है मारपीट नहीं होती लेकिन सब कुछ होता है बाहर सब एक हैं. सबका हिंदुत्व एक है और वह सनातन है. भारत में जो आया वह यहां का हो गया इसलिए विभाजन की बात मत करें.
मोहन भागवत ने कहा कि नागपुर में मुस्लिम सभा में प्रमोद महाजन ने कहा था कि हम राम मंदिर वाले है और हम आपको वोटर नहीं मानते. हम एक रोटी खायेंगे तो आपको भी आधी देंगे. लेकिन आपका भी कर्तव्य है. हम किसी का भी तुष्टिकरण नहीं करते हैं.