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ISI चीफ की नियुक्ति पर आर्मी चीफ से भिड़े इमरान; संभावित दावेदारों का इंटरव्यू लेना चाहते हैं पाक PM

पाकिस्तान की बदनाम खुफिया एजेंसी ISI के चीफ की अपॉइंटमेंट पर प्रधानमंत्री इमरान खान और आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा में ठन गई है। मुल्क के मीडिया में अगर इन दिनों सबसे बड़ा कोई मुद्दा है तो वो ISI चीफ की नियुक्ति है। आर्मी चीफ बाजवा ने ISI के वर्तमान प्रमुख जनरल फैज हमीद को हटाकर पेशावर कोर का कमांडर बना दिया। इमरान इससे सख्त खफा हैं क्योंकि संवैधानिक तौर पर उन्हें ही तबादले या नियुक्ति का अधिकार है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, टकराव न बढ़े इसलिए बाजवा ने बीच का रास्ता निकालते हुए तीन नामों का पैनल प्रधानमंत्री के पास भेजा। इमरान ने इसमें शर्त यह जोड़ दी कि वे तीनों कैंडिडेट्स का इंटरव्यू लेंगे। पैनल में शामिल तीन नामों में जनरल नदीम अंजुम भी शामिल हैं, जिन्हें बाजवा ISI चीफ बनाना चाहते हैं।

पहले ये झगड़ा समझ लीजिए
ISI के वर्तनाम चीफ हैं जनरल फैज हमीद। माना जाता है कि इमरान को इलेक्टेड की बजाए सिलेक्टेड प्राइम मिनिस्टर इन्हीं जनरल फैज की वजह से कहा जाता है। कहा जाता है कि फैज ने 2018 के चुनाव में जमकर धांधली की और इमरान को वजीर-ए-आजम बनवा दिया। शुरुआत में इमरान ने जनरल बाजवा को तीन साल का एक्सटेंशन देकर नवाजा और फैज पीछे रह गए। एक्सटेंशन के बाद आर्मी चीफ बाजवा अगले साल अक्टूबर में रिटायर हो रहे हैं।

इमरान चाहते हैं कि जनरल फैज ही अगले चीफ बनें और इसके पहले वो ISI सुप्रीमो बने रहें। बाजवा इससे इत्तेफाक नहीं रखते। वे जनरल अंजुम को ISI की कमान सौंपना चाहते हैं। तनातनी की असली वजह यही है। हालांकि, कुछ और भी कारण हैं या हो सकते हैं।

दोनों के लिए नाक का सवाल
पाकिस्तान में हुकूमत किसी की भी हो, पर्दे के पीछे कमान फौज के हाथ में ही होती है। जो पंगा लेने की कोशिश करता है, उसका हश्र नवाज शरीफ, बेनजीर भुट्टो या फिर जुल्फिकार अली भुट्टो की तर्ज पर होता है।इमरान को भले ही फौज ने प्रधानमंत्री बनाया हो, लेकिन वे डेढ़ साल बाद होने वाले चुनावों के मद्देनजर उसके सामने झुकने को तैयार नहीं हैं।

जनरल बाजवा अपने हिसाब से ISI चीफ बनाना चाहते हैं और इमरान जनरल फैज हमीद को हटाने तैयार नहीं। बाजवा ने बीच का रास्ता निकालने की कोशिश की। तीन नामों का पैनल इमरान के पास भेजा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इमरान इस जिद पर अड़ गए हैं कि वे तीनों जनरल का इंटरव्यू लेंगे। ऐसा पाकिस्तानी इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ।

तो इमरान का जाना तय
पाकिस्तान से मिल रही अलग-अलग मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि अगर इमरान और आर्मी चीफ के बीच सुलह नहीं होती तो इसी महीने पाकिस्तान को शाह महमूद कुरैशी के तौर पर नया प्रधानमंत्री भी मिल सकता है। इमरान खुद को फौज के हाथों शहीद ठहराने की कोशिश करेंगे ताकि जनता की सहानुभूति बटोर सकें। हालांकि, ये बिल्कुल आसान नहीं। वैसे भी इमरान सरकार के ज्यादातर मंत्री फौज के हाथों की कठपुतली माने जाते हैं।

आगे क्या मुमकिन
9 दिन पहले फौज ने एक बयान जारी कर जनरल फैज की जगह जनरल नदीम को ISI चीफ बनाने का ऐलान किया था। इमरान ने अब तक इस नोटिफिकेशन पर सिग्नेचर नहीं किए। उनके सूचना मंत्री फवाद चौधरी रोज प्रेस कॉन्फ्रेंस करके ये दावा कर रहे हैं कि कोई विवाद नहीं है। अवाम को उनकी बात हजम नहीं हो रही है। कयासों का बाजार गर्म है कि इमरान इस कुर्सी पर अब चंद दिनों के मेहमान हैं।

अगर आने वाले दिनों में यह डेडलॉक खत्म नहीं हुआ तो फिर दो विकल्प हैं। पहला- समय से पहले चुनाव कराए जाएं। दूसरा- किसी और को बाकी कार्यकाल के लिए प्रधानमंत्री बनाया जाए।

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