छत्तीसगढ़

धुर नक्सल पीड़ित गांव पायतुलगुट्टा ने शुरू की कुपोषण से जंग

नक्सल प्रभाव के कारण वर्षों से विकास की मुख्यधारा से कटे रहे कई क्षेत्र अब विपरीत और कठिन परिस्थितियों के बावजूद आगे बढ़ने लगे हैं। अतिसंवेदनशील नक्सल प्रभावित दूरस्थ इलाकों के लोगों तक सुविधाएं पहुचांने की बड़ी चुनौती अब राज्य सरकार के दृढ़ निश्चय और मैदानी अमलों के हौसलों के आगे आसानी से हल होने लगी है। इसका एक उदाहरण सुकमा जिले के कोण्टा विकासखण्ड के नक्सल प्रभावित ग्राम पायतुलगुट्टा में आंगनबाड़ी केन्द्र की शुरूआत के रूप में सामने है। यहां के निवासियों को अशिक्षा, पिछड़ेपन की वजह से कई प्रकार की समस्याओं से जूझना पड़ा है, जिसमें कुपोषण भी एक मुख्य समस्या बनकर उभर आई। कुपोषण से बच्चों में शारीरिक और मानसिक विकास सामान्य बच्चों की तुलना में कम हो जाता है। ऐसे में मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के छत्तीसगढ़ को कुपोषण मुक्त बनाने के संकल्प से सुदूर क्षेत्रों के महिलाआंे और बच्चों को सुपोषित बनाने की शुरू हुई मुहिम वरदान साबित हुई है। इसके परिणामस्वरूप नक्सलवाद से पीड़ित ग्राम पायतुलगुट्टा भी अब कुपोषण से भी जंग लड़ने लगा है।

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